उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल पेश करते हुए हिंदू धर्मगुरुओं तथा मतावलंबियों ने मुसलमानों के साथ मिलकर रोजा रखना शुरू कर दिया है। विकास की दौड़ में पिछड़े इस जिले में एम्स स्थापना की मुहिम के तहत शुरू की गई इस मुकद्दस कोशिश की हर तरफ चर्चा हो रही है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल ने केन्द्र और छत्तीसगढ़ सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जंगलों पर आदिवासियों का अधिकार है और यह अधिकार नहीं छीना जा सकता। राहुल ने कोरबा के खदान क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण का मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्राी के विकास के माॅडल पर सवाल खड़ा किया और आरोप लगाया कि इससे आदिवासियों को कोई लाभ नहीं मिल रहा।
राजस्थान में पिछले डेढ़-दो साल में दलित और सामाजिक तौर पर उपेक्षित वर्गों के खिलाफ अत्याचार की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले छह माह में दलित अत्याचारों की लहर सी आ गई है।
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सरकारी समर्थन से आदिवासियों का हथियारबंद संघर्ष ‘सलवा जूडूम’ भले ही सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद बंद हो गया हो मगर इस अभियान की परिकल्पना और शुरुआत करने वाले कांग्रेसी नेता दिवंगत महेंद्र कर्मा के बेटे छबिंद्र कर्मा इस अभियान को फिर शुरू करने की तैयारी में हैं।
सोनभद्र में 38 वर्षों से लंबित कनहर सिंचाई परियोजना को लेकर डूब क्षेत्र के ग्रामीणों और जिला प्रशासन में खूनी संघर्ष। प्रशासन ने की परियोजना स्थल की नाकाबंदी। धरनारत ग्रामीणों पर हुई गोलीबारी की जांच करने पहुंचे स्वतंत्र जांच दल को परियोजना निर्माण समर्थकों ने दो घंटे तक बनाया बंधक।
राष्ट्रीय स्वसंसेवक संघ ने कहा कि आजादी के पहले के एक हजार साल के विदेशी शासन के कारण बने बैकलाॅग को अब पूरा करना है और हिन्दू समाज अब अपनी स्वाभाविक शक्ति, मेधा और स्वाभिमान से खड़ा है। संघ की ओर से यह भी कहा गया कि संघ हिन्दू समाज के साथ सभी लोगों की चिंता करेगा।
देशभर में ईसाईयों के खिलाफ हो रहे हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। इसी कड़ी में राजस्थान के आदिवासी इलाकों में हर दिन ईसाईयों के खिलाफ कुछ न कुछ घटनाएं सामने आ रही हैं। नागरिक अधिकार संगठन पीयूसीएल की हाल ही में आई रिर्पोट के अनुसार उदयपुर जिले मे ईसाईयों के खिलाफ गंभीर मामले सामने आए हैं। इन्हें इनके पूजा करने के संवैधानिक अधिकार तक से वंचित किया जा रहा है। आदिवासी ईसाईयों को भयभीत किया जा रहा है।
देश भर में जोर-शोर से चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान के बीच मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के बाढ़ गांव के 45 परिवार सरकार से पूछ रहे हैं कि मेरे शौचालय कहां है? निर्मल भारत अभियान के वेबसाइट पर उनके घरों में शौचालय बन चुके हैं, पर वे सभी आज भी खुले में शौच जाने के मजबूर हैं। उनके घरों में शौचालय ही नहीं है। वे अपने गायब शौचालय के लिए लगातार आवेदन दे रहे हैं, पर उनकी सुनवाई ही नहीं हो रही है।
विनोद मेहता की कई बातें जो उन्हें अन्य संपादकों से अलग करती थीं, उनमें सबसे बड़ी यह है कि वे लोकतंत्र में सिर्फ यकीन ही नहीं करते थे, उसे पत्रकारिता में भी पूरी तरह अपनाया हुआ था। संपादक के नाम पत्र कॉलम में अपने खिलाफ लिखी चिट्ठियों को भी वे जिस तरह तवज्जो देते थे, उसकी मिसाल शायद ही अन्यत्र मिले।