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										    उस कदर प्यार से ऐ जाने जहां रखा है
दिल के रुखसार पे इस वक्त तेरी याद ने हाथ
अक्सर हमारी तनहाइयों में लरजां रहे उनकी आवाज के साये, गो हम कभी इकबाल बानो का दीदार नहीं कर सके और वह चली गई। हालांकि हमारे और इस उपमहाद्वीप के दिल की गहराईयों में वह हमेशा सुलगती रहेंगी। उफक पर चमकती हुई। 
सच पूछो तो बानो के सामने, पुरानी कहावत के मुताबिक, हम कभी जनमे ही नहीं क्योंकि हमने उनका लाहौर कभी नहीं वेख्या, हालांकि वह हमारी दिल्ली से ही वहां जा बसी थीं। पर आधुनिक टेक्नोलॉजी का कमाल कहिए कि इकबाल बानो की दमदार आवाज ने इस पार के करोड़ों लोगों की तरह हमारी रगों में भी एक अजीब वक्त की बेडिय़ों में जकड़े लाहौर की जुंबिश धडक़ाई थी: 
जब जुल्मों सितम के कोहे गरां
रूई की तरह उड़ जाएंगे
हम महकुमूं के पांव तले
ये धरती धड़-धड़ धडक़ेगी
और अहले हुकुम के सर ऊपर 
जब बिजली कड़-कड़ कडक़ेगी
हम देखेंगे
										
                                                                                
                                     
                                                 
			 
                     
                    