कश्मीर की मौजूदा स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला और कहा कि उन्होंने वहां की स्थिति के बारे में संसद को छोड़कर मध्य प्रदेश में बयान दिया।कश्मीर घाटी में वर्तमान स्थिति पर राज्यसभा में चर्चा की शुरूआत करते हुए विपक्ष के नेता आजाद ने कहा कि वहां की स्थिति को सामान्य कानून व्यवस्था का विषय नहीं मानना चाहिए। इस क्रम में उन्होंने प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार पर विशेष रूप से निशाना साधा। इसके साथ ही उन्होंने सर्वदलीय बैठक बुलाने और एक प्रतिनिधिमंडल वहां भेजने की मांग की।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम ने शनिवार को असम के कोकराझार पहुंच कर उस स्थान की गहन जांच की जहां शुक्रवार को आतंकवादी हमला हुआ था। जांच एजेंसी ने घटनास्थल पर प्रत्यक्षदर्शियों से भी बातचीत की।
अलगाववादियों के बंद और कुछ क्षेत्रों में जारी कर्फ्यू के कारण कश्मीर घाटी में लगातार 23वें दिन भी सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा। वहीं पिछले दिनों घायल हुए एक युवक की मौत हो जाने से मृतकों की संख्या बढ़कर 49 हो गई है।
कश्मीर घाटी में हिंसा की वजह से पिछले कई दिनों से जारी कर्फ्यू शनिवार को हटा लिया गया। हालांकि श्रीनगर, अनंतनाग और पाम्पोर के कुछ हिस्सों में अभी भी कर्फ्यू जारी है। अलगाववादी समर्थित हड़ताल के कारण घाटी में जनजीवन अब भी अस्त-व्यस्त है।
कश्मीर घाटी में कुछ स्थानों पर हुई हिंसा और झड़प के मद्देनजर सोमवार को भी कर्फ्यू जारी रहा और लगातार तीसरे दिन कोई भी अखबार नहीं आया। वहीं पुलवामा जिले में पथराव कर रही भीड़ के हमले में सत्तारूढ़ पीडीपी के एक विधायक घायल हो गए।
बुरहान वानी और उसके दो साथियों की मौत के बाद कश्मीर घाटी में जो स्थिति उत्पन्न हुई है उसका गंभीर विश्लेषण करने की जरूरत है। इस विश्लेषण के जरिए कश्मीर समस्या का जो बुनियादी स्वरूप है उसको समझना पड़ेगा।
कश्मीर में हिजबुल आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने एवं उसके बाद हुई घातक हिंसा के मद्देनजर कर्फ्यू प्रतिबंधों और अलगाववादियों द्वारा प्रायोजित हड़ताल के कारण आज लगातार छठे दिन जनजीवन अस्त व्यस्त रहा।
अलगाववादियों ने एक महत्वपूर्ण कदम के तहत कश्मीरी पंडितों से घाटी में उनकी वापसी पर चर्चा करने का फैसला किया है। आतंकवाद के चलते 26 साल से भी ज्यादा पहले घाटी छोड़ने को विवश हुए समुदाय को वापस लाने का अलगाववादियों का यह पहला गंभीर प्रयास है।
जम्मू कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की गठबंधन सरकार बनने के बाद लोगों के बीच एक उम्मीद की नई किरण देखने को मिल रही है। इस सरकार से लोगों को काफी आशाएं हैं। आन्तरिक सुरक्षा को लेकर गठबंधन सरकार के सामने अनेक चुनौतियां खड़ी हैं जैसे सीमापार घुसपैठ, अलगाववादियों से निपटना और आतंकी हमलों को काबू करना प्रमुख हैं। जब तक इन चुनौतियों पर काबू नहीं पाया जाएगा तब तक कश्मीर घाटी के लोगों का जीवन स्तर नहीं सुधर सकता है।