एक अमेरिकी शोधार्थी से कथित बलात्कार के मामले में जाने-माने संस्कृतिकर्मी और फिल्म 'पीपली लाइव' के सह-निर्देशक महमूद फारुखी को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
एक बुजुर्ग पिता पिछले आठ महीनों से रक्षा मंत्रालय, सेना मुख्यालय के चक्कर काट रहा है। जिंदगी भर पूरे दमखम से सत्ता प्रतिष्ठानों से लड़ने-भिड़ने का रसूख रखने वाले सांवलराम यादव ने प्रण किया है कि वह युद्ध में हताहत हुए अपने बेटे को शहीद का दर्जा दिलवाए बिना चैन से नहीं बैठेंगे। मामला सिर्फ एक जवान की मौत का नहीं है। इससे जुड़ा हुआ है, उन सैकड़ों जवानों की मौत का मसला जो सियाचिन से लेकर दुर्गम सीमा पर देश के लिए अत्यंत विषम परिस्थितियों में जान गंवा देते हैं। इन जवानों की मौत को आखिरकार शहीद का दर्जा क्यों नहीं मिलता?
आज सुबह इलाहाबाद के बाद वायु सेना का एक जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे से ठीक पहले विमान के दोनों पायलट सुरक्षित कूदने में कामयाब रहे और कोई हताहत नहीं हुआ है।
सोशल मीडिया ही नहीं मुख्यधारा के मीडिया में भी कई पुरानी तस्वीरों को म्यांमार सीमा पर हुई सैन्य कार्रवाई की तस्वीरों के तौर प्रचारित किया जा रहा था। लेकिन इन कोशिशों की पोल जल्द ही खुल गई।
पिछले दिनों मणिपुर में भारतीय सेना के 18 जवानों को मौत के घाट उतारने वाले आतंकियों को भारतीय सेना ने म्यांमार की सीमा में घुसकर मार डाला। यह कार्रवाई म्यांमार की सेना के सहयोग से चलाई गई।
बारात का मजा तो तभी है जब दूल्हा घोड़ी पर हो और बाराती घोड़ी के आगे नागिन डांस कर सकें। भारत में तो बाराती इसका मजा उठा सकते हैं, लेकिन अमेरिका में तो दूल्हे राजा कार में बैठ कर ही दुलहनिया को विदा कराने पहुंचते थे। लेकिन यदि आप अमेरिका में रहते हैं और घोड़ी पर दूल्हे राजा को ले जाना चाहें तो उसका भी इंतजाम है। आप दूल्हे को घोड़ी पर बैठा कर बारात ले जाने में खुश रहिए और अमेरिका के होटल करोड़ो डॉलर कमा कर खुश होंगे।
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मलाला यूसुफजई को गोली मारने वाले 10 लोगों में से 8 को रिहा किए जाने से स्तब्ध एक अमेरिकी सांसद ने कहा है कि इससे पाकिस्तानी लड़कियों को संदेश जाएगा कि सरकार उनकी रक्षा नहीं करेगी।
मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने मणिपुर में कल उग्रवादियों के हमले में 18 सैन्यकर्मियों की मौत की घटना निंदा की, लेकिन कहा कि दूरदराज इलाकों में शस्त्र बल विशेषधिकार कानून (आफ्स्पा) कोई उपयोग नहीं है।
दस दिनों से बल्लभगढ़ के अटाली गांव में चला आ रहा विवाद अब शांत पड़ चुका है। बल्लभगढ़ में दंगा पीड़ितों के लिए बने शिविर से लोग बसों में बैठकर अपने गांव लौट चुके हैं। जिस धार्मिक स्थल को क्षतिग्रस्त करने को लेकर विवाद था, अब उस पर भी समझौता हो गया है।