संयुक्त अरब अमीरात आने वाले दिनों में इस्लामिक स्टेट (आइएस) के खिलाफ नए सिरे से सामने आ सकता है। वह आइएस विरोधी अमेरिकी अभियान में अपनी हवाई कार्रवाई बहाल कर सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा ने भारत में बढ़ रही धार्मिक कट्टरता पर हमला बोला है। ओबामा का कहना है कि जिस तरह यहां धार्मिक असहिष्णुता में इजाफा हुआ है उसे देखकर महात्मा गांधी को भी सदमा लगता।
मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ओबामा ने दोनों देशों के बीच बातचीत के तरीके में एक नई विधि जोड़ दी है जिसके कारण अब आपसी विवाद के विषयों पर बातचीत करने में भी कोई हिचक नहीं रही है।
जम्मू-कश्मीर और झारखंड की नई विधान सभाएं के साथ 2014 का चुनावी साल समाप्त हुआ। एक तरह से यह पूरा साल गहराते हिंदुत्व के एजेंडे के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत का साल रहा।
चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?