 
 
                                    चैनलों पर अभिव्यक्ति की आजादी यूं दबा रही सरकार
										    अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति के स्वरों को पर्याप्त जगह देना ही नहीं बल्कि इन स्वरों का संरक्षण देना भी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी है। मगर ऐसा लगता है कि हमारी केंद्र सरकार असहमति की छोटी से छोटी आवाज भी नहीं सुनना चाहती। तभी तो उसने देश के तीन बड़े समाचार चैनलों को याकूब मेमन की फांसी के कवरेज पर  नोटिस जारी कर दिया है। 										
                                                                                
                                     
                                                 
  
  
  
  
  
  
  
  
			 
                     
                    