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Search Result : "अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता"

धर्मान्धता के इस दौर में विनोद मेहता की कमी खलेगीः सोनिया गांधी

धर्मान्धता के इस दौर में विनोद मेहता की कमी खलेगीः सोनिया गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आउटलुक समूह के दिवंगत संस्थापक संपादक विनोद मेहता को जी.के.रेड्डी मेमोरिअल अवार्ड दिया, जिसे विनोद मेहता की पत्नी सुमिता मेहता ने स्वीकार किया। दिल्ली के जवाहर भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल हुए।
आवाज न उठाता तो नकली पत्रकार बनताःदेवांश मेहता

आवाज न उठाता तो नकली पत्रकार बनताःदेवांश मेहता

इन दिनों सेंट स्‍टीफन कॉलेज के छात्र देवांश मेहता सुर्खियों में हैं। दर्शनशास्त्र, तृतीय वर्ष के इस छात्र ने अपनी साख, सम्मान और अपने पर लगे आरोपों को पूरे कॉलेज के सामने खारिज करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। न्याय मिल भी गया। देवांश अपनी जीत से काफी खुश है। उनका कहना है कि कोई कितना ही ताकतवर और ऊंची कुर्सी पर क्यों न बैठा हो, जुल्म के खिलाफ हर हाल में आवाज उठानी चाहिए। अपनी जीत के मौके पर देवांश ने आउटलुक से खास बातचीत कीः
विनोद मेहता की पुस्तक का लोकार्पण

विनोद मेहता की पुस्तक का लोकार्पण

आउटलुक पत्रिका के संस्थापक संपादक रहे विनोद मेहता की किताब ‘एडिटर अनप्लग्ड’ का यहां एक सादे समारोह में लोकार्पण किया गया। इस दौरान प्रसिद्ध उपन्यासकार विक्रम सेठ ने पुस्तक के कुछ अंश पढ़कर सुनाए।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए भारत की वकालत

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए भारत की वकालत

भारत संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षक मिशनों में सैनिक मुहैया कराने के लिहाज से सबसे बड़े देशों में से एक है तथा उसे सैनिकों की तैनाती और शांति मिशनों के गठन से संबंधित सुरक्षा परिषद के फैसलों में शामिल होने का अधिकार है। यह कहना है भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग का। जनरल सुहाग ने शुक्रवार को विश्व निकाय के पहले चीफ्स ऑफ डिफेंस सम्मेलन में यह टिप्पणी की।
वीके सिंह का गुस्सा मोदी को महंगा पड़ेगा

वीके सिंह का गुस्सा मोदी को महंगा पड़ेगा

पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस पर आयोजित पार्टी में पहुंचे केंद्रीय मंत्री रिटायर्ड जनरल वीके सिंह ने ट्वीट के जरिए जो गुस्सा निकाला वह मीडिया के लिए नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी की सरकार पर भी है। क्योंकि वीके सिंह को ऐसे समय में उस कार्यक्रम में जाने के लिए कहा गया जिसके लिए वह तैयार नहीं थे और मीडिया में सरकार की जगह सिंह की किरकिरी हुई।
विनोद मेहता का लखनवी अंदाज

विनोद मेहता का लखनवी अंदाज

गिरिलाल जैन के सुस्त युग के ठीक पहले शुरू होने वाले और अर्णब के स्वच्छंद युग में समाप्त होने वाले अपने कॅरियर में विनोद मेहता ने उल्लेखनीय कामयाबी पाई वह भारत की अंग्रेजी पत्रकारिता को एक हलकापन देने के साथ-साथ उसमें गंभीरता भी लाए।
तुम कहीं चहलकदमी पर निकले हो, नहीं?

तुम कहीं चहलकदमी पर निकले हो, नहीं?

राडिया टेप प्रकाशित करके विनोद मेहताने वही किया जो किसी अच्छे संपादक को करना चाहिए। राजनीतिज्ञों, पत्रकार/लॉबीस्टों और उनके कॉर्पोरेट प्रायोजकों के चल रहे समूह-सहवास की गंदी डायरियों को सार्वजनिक करके उन्होंने देश चला रही मित्र (माफिया) मंडली के क्लब नियमों को तोड़ दिया।
हिंदी समाज को अच्छी तरह समझते थे विनोद मेहता

हिंदी समाज को अच्छी तरह समझते थे विनोद मेहता

विनोद मेहता की कई बातें जो उन्हें अन्य संपादकों से अलग करती थीं, उनमें सबसे बड़ी यह है कि वे लोकतंत्र में सिर्फ यकीन ही नहीं करते थे, उसे पत्रकारिता में भी पूरी तरह अपनाया हुआ था। संपादक के नाम पत्र कॉलम में अपने खिलाफ लिखी चिट्ठियों को भी वे जिस तरह तवज्जो देते थे, उसकी मिसाल शायद ही अन्यत्र मिले।
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