शिवसेना (यूबीटी) ने अपने संस्थापक बाल ठाकरे की आवाज को एआई के उपयोग से लोगों को अपनी ओर मोड़ने के लिए राजनीतिक दाव खेल है। यह एआई से तैयार की गई बाल ठाकरे की आवाज के जरिए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समर्थकों को जोड़ने की कोशिश बताई जा रही है। इस ऑडियो को नासिक में आयोजित एक कार्यक्रम में सुनाया गया है। अब इस पर भाजपा का बयान आया है। भाजपा ने इसकी आलोचना करते हुए बचकानी हरकत बताया है। वहीं इस ऑडियो के माध्यम से बाल ठाकरे की आवाज में एकनाथ शिंदे और भाजपा पर कटाक्ष किया गया है।
सोशल मीडिया पर वायरल इस ऑडियो क्लिप में बाल ठाकरे की आवाज महाराष्ट्र के गौरव की रक्षा के लिए शिवसेना (यूबीटी) को समर्थन देने की अपील की है। इसपर पार्टी के नेताओं ने कहा कि यह कार्यकर्ताओं में पुरानी यादें ताजा करने के लिए एक नवचार है। आगे कहा बालासाहेब की आवाज आज भी लाखों दिलों में गूंजती है। एआई के जरिए हम उनका संदेश नई पीढ़ी तक ले गए।
वहीं भाजपा ने इस प्रयास को को सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश और बचकानी हरकत बताया है। भाजपा ने कहा कि एआई से बालासाहेब की आवाज बनाना नवाचार नहीं, बल्कि उनकी विरासत का अपमान करने वाला बचकाना स्टंट है। एक भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) पर महाराष्ट्र के लिए विजन की कमी और “हथकंडों” के सहारे राजनीति करने का आरोप लगाया। भाजपा नेता दावा कर रहे हैं कि मतदाता ऐसी चालबाजियों को समझेंगे और विकास के मुद्दों पर ध्यान देंगे।
इस पर भाजपा महाराष्ट्र के पार्टी अध्यक्ष श्री चन्द्रशेखर बावनकुले ने कार्यक्रम में बल साहब ठाकरे की एआई निर्मित आवाज के जानिए कटाक्ष करने को लेकर निंदा किया है। उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) के लिए कहा कि जब कोई उनकी आवाज को नहीं सुन रहा है, ऐसे में यूबीटी जैसा संगठन ही आदरणीय शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की एआई जनरेटेड आवाज को बचकानी हरकत है। इसके बाद पूरे महाराष्ट्र में इस बात को लेकर चर्चा तेज है। सोशल मीडिया पर एक बड़े तबके की प्रतिक्रिया के मुताबिक यह सब शिवसेना यूबीटी ने विधानसभा चुनाव को ध्यान में रह कर किया है, ताकि बाला साहब ठाकरे की जोशीले भाषण से समर्थकों का भावनात्मक जुड़ाव हो।
बता दें कि पिछले साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने महा विकास अघाड़ी पर बहुत बड़ी और आश्चर्यजनक जीत हासिल की थी। भाजपा, शिंदे की सेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने सामूहिक रूप से 288 में से 230 सीटें जीती थीं। शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (एसपी) ने 288 में से 46 सीटें जीतीं।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
			 
                     
                    