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ओवैसी बोले- केवल दो बच्चों वाली नीति नहीं चलेगी, भारत की जनसंख्या अपने आप गिर रही

विश्व जनसंख्या दिवस के दिन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए बयान को लेकर...
ओवैसी बोले- केवल दो बच्चों वाली नीति नहीं चलेगी, भारत की जनसंख्या अपने आप गिर रही

विश्व जनसंख्या दिवस के दिन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए बयान को लेकर राजनीतिक बवाल जारी है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी जनसंख्या को लेकर अपनी राय रखी थी। अब किसी पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बयान सामने आया है। असदुद्दीन ओवैसी ने साफ तौर पर कहा है कि भारत में दो बच्चों वाली नीति नहीं चलेगी। यहां की जनसंख्या अपने आप गिर रही है।

न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर भारत सरकार दो बच्चों का मानदंड का बिल लाएगी तो मैं उसका बिलकुल समर्थन नहीं करुंगा क्योंकि यह भारत के बिलकुल हक में नहीं होगा। भारत की जनसंख्या अपने आप गिर रही है और 2030 तक यह स्थिर हो जाएगी।

ओवैसी ने कहा कि भारत की 50% आबादी 25 वर्ष से कम उर्म के युवाओं की है, उनके लिए मोदी सरकार ने क्या किया? बेरोज़गारी इस देश का ज्वलंत मसला है। (धर्म) परिवर्तन से भारत का क्या ताल्लुक? भारत का कोई धर्म है? आरएसएस चाहती है कि भारत का एक धर्म हो।

हैदराबाद से सांसद ने कहा कि हिंदुत्व और भारतीयता एक नहीं है। भारत कई धर्मों से मिलकर बना यहां कोई धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो कर सकता है। इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया कि आखिर एक समुदाय के प्रति इतनी नफरत क्यों फैलाई जाती है?

साथ ही, ओवैसी ने यह भी कहा कि असंसदीय भाषा अहम नहीं है वह किस संदर्भ कहा गया है वह महत्वपूर्ण है। अगर में संसद में बोलूं कि 'मैं मोदी सरकार पर फूल फेंक कर मारुंगा क्योंकि उन्होंने देश के नौजवानों को बेरोज़गार बना दिया' तो क्या वे 'फूल' को असंसदीय घोषित कर देंगे?

मोहन भागवत ने कहा था कि सिर्फ खाना और आबादी बढ़ाना पशुओं का काम है। मनुष्य की निशानी दूसरों की रक्षा करना है। मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कई मुद्दों पर विस्तार से बात की। उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि शक्तिशाली ही जिंदा रहेगा, यह जंगल का नियम है। लेकिन जब शक्तिशाली दूसरों की रक्षा करने लगे तो यह मनुष्य की निशानी है। उन्होंने कहा कि सिर्फ खाना और आबादी बढ़ाना यह काम तो जानवर भी कर सकते हैं। मनुष्य के कई कर्तव्य होते हैं, जिनका निर्वाहन उन्हें समय-समय पर करते रहना चाहिए। 

 

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