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बीजेपी का हिस्सा बनें TDP के दो सांसदों के खिलाफ हुई है CBI, ईडी जांच, कभी भाजपा ने कहा था ‘माल्या’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के जिन सांसदों को कभी ‘माल्या’ बताया था अब...
बीजेपी का हिस्सा बनें TDP के दो सांसदों के खिलाफ हुई है CBI, ईडी जांच, कभी भाजपा ने कहा था ‘माल्या’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के जिन सांसदों को कभी ‘माल्या’ बताया था अब वह बीजेपी में ही शामिल हो गए हैं। दरअसल, गुरुवार को टीडीपी के छह राज्यसभा सांसदों में से चार ने बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने बीजेपी का दामन थाम लिया है। टीडीपी के राज्यसभा सांसद टीजी वेंकटेश, सीएम रमेश और वाईएस चौधरी ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मिलकर अपना इस्तीफा सौंपा था। उस दौरान भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्री मंत्री थावर चंद गहलोत भी मौजूद थे।

बीजेपी में शामिल होते वक्त तीन सांसदों ने कहा कि देश में बने एक माहौल ने उन्हें बीजेपी में शामिल होने को मजबूर किया। बीजेपी में शामिल हुए चार सांसद में से दो तो आर्थिक घोटाले, धोखाधड़ी के मामलों में ईडी सीबीआई और बैंकों के निशाने पर हैं। तो आइए जानते हैं इन सांसदों के बारे में-  

भाजपा प्रवक्ता ने बताया था माल्या

गत वर्ष नवंबर में भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने वाईएस चौधरी औसीएम रमेश को ‘आंध्र प्रदेश का माल्या’ बताया था। इसके साथ ही उन्होंने राज्य सभा की एथिक्स कमेटी को इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के संबंध में पत्र भी लिखा था। 

भाजपा प्रवक्ता ने 28 नवंबर को एथिक्स कमेटी को लिखे पत्र में ट्वीट कर कहा था, ‘मैंने एथिक्स कमेटी को टीडीपी के दो सांसदों वाईएस चौधरी और सीएम रमेश को अयोग्य ठहराने के लिए पत्र लिखा है। बड़े वित्तीय घोटालों के कारण ‘आंध्र के माल्या’ का खिताब हासिल किया था।  

सी एम रमेश

अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सी एम रमेश ही वो शख्स हैं जिनकी वजह से सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर आलोक वर्मा ने अपने अधीनस्थ गुजरात कैडर के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर घूस लेने की प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पिछले साल अक्टूबर में इनकम टैक्स ने अपनी जांच में रमेश की कंपनी रितविक प्रोजेक्ट के 100 करोड़ के हवाला भुगतान को पकड़ा था जिसमें 25 करोड के फर्जी बिल के जरिये पैसों के ट्रांसजेक्शन की कहानी सामने आई थी। सीबीआई ने 12 अक्टूबर को रमेश के घर और दफ्तर पर छापे मारे थे।

सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने हैदराबाद के सना सतीश बाबू के बयान के आधार राकेश अस्थाना के खिलाफ 2 करोड़ का घूस लेकर केस को रफा-दफा करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई। उसके बाद थोड़े दिनों में सीबीआई निदेशक और पीएमओ के बीच की लड़ाई सड़कों पर आ गई। आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजा गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वापसी हुई लेकिन सरकार ने आनन-फानन में उन्हें पद से हटा दिया, जिसके बाद आलोक वर्मा ने दूसरी सेवा पर जाने के बजाय इस्तीफा दे दिया।

वाई एस चौधरी

मोदी सरकार में टीडीपी कोटे से चार साल तक विज्ञान तकनीकी मंत्री रहे चौधरी आंध्र के सबसे अमीर सांसदों में एक रहें हैं और चंद्रबाबू के फंड मैनेजरों में शामिल रहें है। सरकार से हटते ही सीबीआई ने चौधरी पर शिकंजा कसा और पाया कि इलेक्ट्रिक समान बनाने वाली चौधरी की कंपनी बेस्ट और काम्पटन इंजीनियरिंग ने गलत तरीकों से बैंकों के समूह से 360 करोड़ का लोन उठा रखा है। सीबीआई की शिकायत के बाद ईडी ने इनके आवास पर भी छापा मारा और पीएमएलए एक्ट के तहत 315 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली। 8 अक्टूबर को मारे छापे में ईडी ने ढेर सारी फर्जी कंपनियों के स्टांप कंपनी के ऑफिस से बरामद की। ईडी के मुताबिक सुजाना ग्रुप की कंपनी के साथ मिलीभगत कर चौधरी की कंपनी अपने लोन बुक को साफ कर रही थी। सुजाना ग्रुप पर बैंकों के 5700 करोड़ की देनदारी है और जिसके लोन भुगतान में सुजाना ग्रुप लगातार डिफाल्ट कर रही है। ग्रुप के हैदराबाद में कई सारे होटल और पावर प्रोजेक्ट हैं।

चुनावों में टीडीपी को मिली हार

हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में टीडीपी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। पार्टी आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में महज 3 ही सीटें जीत पाई जबकि वाईएसआर कांग्रेस ने 22 सीटों पर कब्जा किया। वहीं विधानसभा चुनावों में टीडीपी ने प्रदेश की 175 सीटों में से महज 23 सीटें ही जीतीं। सबसे ज्यादा सीटें 151 वाईएसआर कांग्रेस के खाते में आईं। जनसेना पार्टी ने एक सीट पर कब्जा किया।

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