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कर्नाटक में दो विधायकों ने वापस लिया समर्थन, कुमारस्वामी का दावा- सरकार को खतरा नहीं

कर्नाटक में पिछले कई दिनों से जारी राजनीतिक उठा-पटक के बीच मंगलवार को दो विधायकों ने कांग्रेस-जेडीएस...
कर्नाटक में दो विधायकों ने वापस लिया समर्थन, कुमारस्वामी का दावा- सरकार को खतरा नहीं

कर्नाटक में पिछले कई दिनों से जारी राजनीतिक उठा-पटक के बीच मंगलवार को दो विधायकों ने कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया। ये दोनों विधायक एच. नागेश (स्वतंत्र) और आर. शंकर (केपीजेपी) है। वहीं, कांग्रेस के कुछ विधायकों से पार्टी का संपर्क नहीं हो पा रहा है। इस पर कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा 'ऑपरेशन लोटस' के तहत सरकार गिराने की कोशिश कर रही है। वहीं, भाजपा ने अपने 99 विधायकों को गुरुग्राम के होटल में टिका रखा है। जबकि पांच विधायक दिल्ली में हैं और भाजपा का कहना है कि पार्टी उनके संपर्क में है। बता दें कि राज्य में विधानसभा की 225 सीटें हैं। इनमें 104 भाजपा, कांग्रेस 80 और जेडीएस के पास 37 सीटें हैं। अन्य तीन में एक बसपा, एक केपीजेपी और एक निर्दलीय विधायक हैं। किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने पर कांग्रेस ने जेडीएस के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई थी।

खबरों के मुताबिक, भाजपा कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के खिलाफ अगले सप्ताह अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। उधर, भाजपा को भी डर है कि कांग्रेस उसके विधायकों तोड़ सकती है। लिहाजा दोनों ही दल इस वक्त अपने-अपने विधायकों को ‘बचाने’ की जुगत में हैं। हालांकि, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि जेडीएस और कांग्रेस गठबंधन उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश में है। इसलिए हम एकता दिखाने के लिए दिल्ली में कैंप कर रहे हैं।

जेडीएस-कांग्रेस ने हॉर्स ट्रेडिंग की शुरुआत कीयेदियुरप्पा

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कर्नाटक के विधायक और सांसदों से मीटिंग के बाद येदियुरप्पा ने कहा, 'हमने नहीं बल्कि जेडीएस-कांग्रेस ने हॉर्स ट्रेडिंग की शुरुआत की थी। हम एक या दो दिन यहीं रुकेंगे क्योंकि कुमारस्वामी हमारे विधायकों से संपर्क करने का भरसक प्रयास कर रहे हैं।' पूर्व सीएम ने कहा कि मुख्यमंत्री धन और बल से विधायकों को अपने पाले में लेना चाहते हैं।बाजपा पूरे घटनाक्रम को लेकर सजग है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुमारस्वामी भाजपा विधायकों के संपर्क में है और उन्हें मंत्री पद तक का ऑफर दे रहे हैं। बता दें कि कर्नाटक के विधायक शनिवार को समाप्त हुई भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हिस्सा लेने आए थे और उसके बाद से दिल्ली में ही टिके हुए हैं। भाजपा में एकजुटता का दावा करते हुए येदियुरप्पा ने कहा कि हमारे विधायक एकजुट और साथ हैं। हमें फिलहाल कोई समस्या नहीं है। हमारे विधायकों ने यहां 2 से 3 दिन रुकने की बात कही है और उसके बाद अपने क्षेत्रों में लौटेंगे।

 भाजपा खरीद-फरोख्त करने’ के बजाय मुद्दों पर ध्यान देकांग्रेस

 कर्नाटक में अपने कुछ विधायकों के पाला बदलने से जुड़ी अटकलों को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि राज्य की कांग्रेस-जद(एस) सरकार ‘पहले भी स्थिर थी, है और आगे भी रहेगी।’ पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कर्नाटक के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर कहा, ‘‘कर्नाटक में गठबंधन सरकार स्थिर थी, स्थिर है और आगे भी स्थिर रहेगी।’’ उन्होंने कहा कि भाजपा को ‘खरीद-फरोख्त करने’ के बजाय मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि आगे के चुनाव में वह बेहतर कर सके। 

 ‘‘अस्थिरता’’ का कोई सवाल नहींकुमारस्वामी

कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा कि राज्य में कांग्रेस- जद (एस) की सरकार के ‌लिए ‘‘अस्थिरता’’ का कोई सवाल नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने इन खबरों को भी खारिज किया जिनमें कहा गया है कि भाजपा उनकी सरकार को गिराने के लिए कथित रूप से ‘‘ऑपरेशन कमल’’ चला रही है। दरअसल, इस तरह की अटकलें हैं कि छह से आठ कांग्रेस विधायक भाजपा के पाले में जाने को तैयार बैठे हैं। ऐसी भी खबरें हैं कि इनमें से कुछ के साथ संपर्क ही नहीं हो पा रहा है।

 क्या है कर्नाटक का समीकरण

 225 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में अध्यक्ष सहित कांग्रेस के कुल 80 विधायक हैं। जेडीएस के 37 विधायक हैं। भाजपा के पास 104 विधायक हैं। संख्याबल के आधार पर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन जेडीएस के कांग्रेस के साथ जाने के चलते भाजपा राज्य में सरकार बनाने से चूक गई।

सदानंद गौड़ा ने कहा- भाजपा पर आरोप गलत

केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा कि कांग्रेस को पहले अपना घर संभालना चाहिए। वे अपने विधायकों को एकसाथ कर्नाटक में रख नहीं पा रहे और हर बात के लिए भाजपा पर उंगली उठाते हैं। भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि सब बातें बेबुनियाद हैं। यह कांग्रेस और जेडीएस के बीच का मामला है। हम उनके किसी भी विधायक के संपर्क में नहीं हैं।

ऑपरेशन लोटस क्या है?

2008 विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। भाजपा को 110, कांग्रेस को 80, जेडीएस को 28 और निर्दलीय को 6 सीटें मिली थीं।

भाजपा ने 6 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी। इसके बाद भाजपा ने जेडीएस के चार और कांग्रेस के तीन विधायकों को अपने पक्ष में कर लिया था। इसके लिए उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। बाद में सभी भाजपा में शामिल हो गए। इन सीटों पर उप चुनाव हुए। सात में से पांच विधायक जीत गए। इस तरह सदन में भाजपा की संख्या 115 हो गई। इस पूरी कवायद को ‘ऑपरेशन लोटस’ कहा गया।

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