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यूपी में सपा-बसपा गठबंधन की घोषणा, 38-38 सीटों पर लड़ेंगी चुनाव

शनिवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में साझा प्रेस कॉफ्रेंस में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो...
यूपी में सपा-बसपा गठबंधन की घोषणा, 38-38 सीटों पर लड़ेंगी चुनाव

शनिवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में साझा प्रेस कॉफ्रेंस में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर सपा-बसपा गठबंधन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियां 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। मायावती के साथ समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा के अहंकार को हराने के लिए दोनों का साथ आना जरूरी था। कांग्रेस के लिए रायबरेली और अमेठी की सीट छोड़ दी गई है। इसके अलावा दो सीटें सहयोगियों को दी जाएंगी। 

'यह मोदी-शाह की नींद उड़ाने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस'

मायावती ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, दोनों गुरु-चेले की नींद उड़ाने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस है। मुलायम सिंह यादव और कांशीराम ने मिलकर 1993 में भाजपा को हराया था। हम भी ऐसा करने जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जनहित में सपा और बसपा का गठबंधन हुआ। भाजपा के तानाशाही रवैये से जनता परेशान है। लखनऊ गेस्ट हाउस कांड से भी ऊपर उठकर यह गठबंधन हो रहा है। उन्होंने कहा कि सपा और बसपा का गठबंधन स्थायी है। 2019 में ही नहीं हम 2022 का विधानसभा चुनाव भी साथ में लड़ेंगे। इसके बाद भी हम साथ में चुनाव लड़ेंगे। 

'भाजपा ने जनता को धोखा देकर बनाई सरकार'

मायावती ने कहा कि हम बीती बातें भुलाकर साथ आए हैं। सपा-बसपा के गठबंधन ने जनता को एक नई उम्मीद दी है। हम पिछड़ों, गरीबों और अल्पसंख्यकों की ताकत बनेंगे। भाजपा ने जनता को धोखा देकर प्रदेश और केंद्र में सरकार बनाई है। हमने भाजपा को पहले ही उपचुनाव में हरा दिया है। यह गरीबों, मजदूरों, कारोबारियों, युवाओं, महिलाओं, पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों का गठबंधन है।

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि हमें कांग्रेस को गठबंधन में शामिल कर कुछ हासिल नहीं होगा। सपा-बसपा दोनों ने अनुभव किया है कि कांग्रेस का वोट ट्रांसफरेबल नहीं है। उन्होंने कहा कि सत्ता में कोई भी रहे, नीति एक ही रहती है। कांग्रेस ने तो घोषित तौर पर आपातकाल लगा दिया था लेकिन फिलहाल अघोषित आपातकाल है।

मायावती का अपमान मेरा अपमान: अखिलेश

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मायावती जी पर भाजपा नेताओं ने अशोभनीय टिप्पणियां की। इन नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। मैं बता देना चाहता हूं कि मायावतीजी का सम्मान मेरा सम्मान है। उनका अपमान मेरा अपमान है।

उन्होंने कहा कि भाजपा के अहंकार को हराने के लिए बसपा और सपा का साथ आना जरूरी था। भाजपा हमारे कार्यकर्ताओं में मतभेद पैदा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। हमें एकजुट होना होगा और ऐसी किसी भी रणनीति का मुकाबला करना होगा।

'यूपी से इस बार भी मिले पीएम'

अखिलेश यादव से जब इस बारे में पूछा गया कि क्या वो प्रधानमंत्री पद के लिए मायावती का समर्थन करेंगे? इस पर उन्होंने कहा कि आप मेरी पसंद जानते हैं। उत्तर प्रदेश से देश के कई प्रधानमंत्री बने हैं और मैं चाहूंगा कि इस बार भी यूपी से प्रधानमंत्री मिले।

इस बार 73 से 74 होंगी, 71 नहीं: अमित शाह

शुक्रवार को पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि लोकसभा चुनाव में भी पार्टी पिछले आम चुनाव और विधानसभा चुनाव की तरह प्रचंड जीत हासिल करेगी। पिछली बार हम 73 सीटें जीते थे। इस बार यह संख्या 74 होगी। 71 तो किसी भी कीमत पर नहीं होगी। उन्होंने कहा कि  कभी एक दूसरे की शक्ल तक नहीं देखने वाले मोदी विरोध के नाम पर किसी भी तरह सत्ता हासिल करने के लिए एकजुट हो रहे हैं।

भाजपा के लिए चुनौती होगा गठबंधन

यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं। सपा-बसपा के साथ आने से अब भाजपा के लिए 2014 में किए गए प्रदर्शन को दोहराना अधिक चुनौतीपूर्ण होगा। बसपा-सपा और रालोद ने साथ मिलकर उपचुनाव लड़ा था जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर सीट और उप-मुख्यमंत्री की फूलपुर सीट से सपा प्रत्याशियों को जीत मिली थी। जबकि कैराना सीट पर रालोद ने जीत दर्ज की थी।

पिछले चुनावों में भाजपा को 71 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन मायावती की पार्टी खाता भी नहीं खोल सकी थी। वहीं, समाजवादी पार्टी के खाते में 5 सीटें आई थीं। कांग्रेस ने रायबरेली और अमेठी की सीटें जीती थीं।

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