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शिवसेना ने कहा, यशवंत सिन्हा का आंदोलन सरकार के लिए खतरे की घंटी

शिवसेना भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के समर्थन में आ गई है। शिवसेना ने...
शिवसेना ने कहा, यशवंत सिन्हा का आंदोलन सरकार के लिए खतरे की घंटी

शिवसेना भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के समर्थन में आ गई है। शिवसेना ने कहा है कि सिन्हा द्वारा उठाया जा रहा किसानों का मुद्दा राज्य सरकार के लिए खतरे की घंटी की तरह है। पूर्व केंद्रीय मंत्री को महाराष्ट्र के अकोला जिले में कलेक्टर कार्यालय तब हिरासत में ले लिया गया था जब वे किसानों की मांगों के समर्थन में राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे।

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को सिन्हा से फोन पर बात कर किसानों के मुद्दे पर चर्चा की थी। सिन्हा ने बुधवार को यह कहते हुए अपना आंदोलन समाप्त कर दिया था कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें आश्वासन दिया है कि किसानों की मांगें पूरी की जाएंगी।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि देश के कई बड़े नेताओं ने सिन्हा के आंदोलन का समर्थन किया। हमने (उद्धव ठाकरे) भी उनसे फोन पर बात की। यह किसानों के जीवन-मरण का सवाल है, इसलिए सत्ता का क्या होगा सोचने की जगह हमने उनके आंदोलन का समर्थन किया।

शिवसेना ने कहा कि हालांकि सिन्हा व्यापक जनसमर्थन वाले नेता होने की नौकरशाह से नेता बने हैं परंतु किसानों ने जिस तरह से उनका समर्थन किया है वह भाजपा और राज्य सरकार के लिए खतरे की घंटी जैसा है। सरकार को समय रहते किसानों की मांग पूरी करनी चाहिए।

शिवसेना ने दावा किया कि उनके दबाव के बाद ही राज्य सरकार ने किसानों को कर्ज माफी दी। संपादकीय में कहा गया है कि इसके बाद सरकार ने वाहवाही लूटने के लिए करोड़ों रूपये विज्ञापन पर खर्च किए। शिवसेना ने कहा कि वह स्वामीनाथन समिति की सिफारिशें लागू करने, पूर्ण कर्ज माफी और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने की मांग करती रहेगी क्योंकि उसने इन्हीं शर्तों के साथ भाजपा को समर्थन दिया है। संपादकीय के अनुसार सिन्हा ने कोई नई मांग नहीं रखी है वह चाहते हैं कि पुराने वादे पूरे किए जाएं। किसान उनके साथ इस कारण आए क्योंकि वे निराश और पीड़ित हैं और उन्हें नहीं लग रहा है कि वे क्या करें।

सिन्हा द्वारा निजी हित पूरा नहीं होने पर आंदोलन करने का आरोप लगाने वालों को आड़े हाथों लेते हुए शिवसेना ने कहा कि अगर पूर्व केंद्रीय अपनी पार्टी के खिलाफ जा रहे हैं तो उन्हें अकोला में इतना व्यापक समर्थन कैसे मिला। आखिर क्यों मुख्यमंत्री और चंद्रकांत पाटिल (राजस्व मंत्री) ने सिन्हा से आंदोलन वापस लेने का आग्रह क्यों किया? ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि आंदोलन उग्र हो सकता था और इसका असर विधानसभा के शीतकालीन सत्र पर पड़ता।

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