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राजस्थान संकट: विधानसभा सत्र बुलाने पर राज्यपाल द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर चर्चा के लिए कैबिनेट की बैठक शुरू

राजस्थान में जारी सियासी उठापटक के बीच आज यानी मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कैबिनेट बैठक...
राजस्थान संकट: विधानसभा सत्र बुलाने पर राज्यपाल द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर चर्चा के लिए कैबिनेट की बैठक शुरू

राजस्थान में जारी सियासी उठापटक के बीच आज यानी मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कैबिनेट बैठक बुलाई है। सीएम आवास पर मीटिंग चल रही है। इसमें विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव पास हो सकता है। ये तीसरी बार होगा जब कैबिनेट सत्र बुलाने के लिए प्रस्ताव पास करेगी।

बता दें कि गहलोत लगातार विधानसभा सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं। अशोक गहलोत की ओर से अबतक दो बार राज्यपाल कलराज मिश्र को विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव भेजा गया है। राज्यपाल ने सीएम की मांग को दो बार खारिज किया, बाद में सोमवार को सत्र बुलाने पर सहमत हुए लेकिन उन्होंने गहलोत के सामने तीन शर्तें रखीं। राज्यपाल कालराज मिश्र ने राज्य सरकार को विधानसभा सत्र बुलाने से पहले 21 दिन का नोटिस देने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और विश्वास मत परीक्षण की स्थिति में कुछ शर्तों का पालन करने को कहा।

राजभवन ने मांगा है स्पष्टीकरण

राजभवन ने विधानसभा-सत्र के लिए रखी शर्तों पर राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। राजभवन की ओर से शर्तों पर मांगे गए स्पष्टीकरण के जवाब के लिए ही 28 जुलाई कैबिनेट की बैठक होगी। इस बैठक में मंथन कर यह तय किया जाएगा कि राजभवन को क्या जवाब देना है। विधानसभा बुलाने के पूरे मसले पर शर्तों का उल्लेख कर राजभवन ने गेंद राज्य सरकार के पाले में डाल दी है। अब सरकार इन शर्तों का क्या स्पष्टीकरण देती है उस पर आगे की कार्रवाई निर्भर करेगी।

राजभवन ने सरकार से किया सवाल

उल्लेखनीय है कि राजभवन ने विधानसभा का सत्र आहूत करने के लिए राज्य सरकार से पूछा है कि इसे 21 दिन की समय सीमा में बुलाने के अलावा कोरोना को देखते हुए सोशल डिस्‍टेंसिंग का ध्‍यान रखना भी बेहद जरूरी है। इसके अलावा सरकार से पूछा है गया है कि विधानसभा सत्र के दौरान सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन किस प्रकार किया जाएगा? क्‍या कोई ऐसी व्‍यवस्‍था है, जिसमें 200 विधायकों के अलावा 1000 से अधिक अधिकारी और कर्मचारियों के जुटने पर कोरोना संक्रमण का खतरा न हो।

बता दें कि राज्य मंत्रिमंडल ने राज्यपाल को एक संशोधित नोट भेजा था जिसमें अनुरोध किया गया था कि 31 जुलाई को विधानसभा का एक सत्र बुलाया जाए क्योंकि उन्होंने पहले छह बिंदुओं वाले प्रस्ताव को वापस कर दिया था।

लगातार विधानसभा सत्र बुलाने की कोशिश कर रहे हैं गहलोत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले हफ्ते से ही विधानसभा सत्र बुलाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है कि राज्यपाल जानबूझकर सत्र बुलान में देरी कर रहे हैं उनके ऊपर दबाव है। वहीं बीते हफ्ते भी जब सीएम गहलोत राज्यपाल से मिलकर विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव लेकर गए थे तो उस पर भी कलराज मिश्रा ने कहा था कि सीएम के प्रस्ताव में कोई साफ बात नहीं लिखी है। इसके साथ ही उन्होंने उस समय भी 6 सवाल पूछे थे।

गहलोत गवर्नर से कई बार मिल चुके हैं। वहीं, दबाव बनाने के लिए वो बीते शुक्रवार को अपने विधायकों को लेकर भी राजभवन पहुंचे थे, जहां उनके साथ पहुंचे विधायकों ने राजभवन के अंदर गहलोत के समर्थन में नारे भी लगाए थे, जिसपर राज्यपाल ने गुस्सा दिखाया था। गहलोत ने अपने विधायकों को राजभवन की परेड पर ले जाने के पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा था कि राज्यपाल ऊपरी दबाव में काम कर रहे हैं। उन्होंने शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के बाद फिर राज्यपाल से मिलने का फैसला किया था।

 

 

 

 

 

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