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भाजपा से समर्थन वापस लेने का दुष्यंत चौटाला पर बढ़ा दबाव,कांग्रेस ने विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग की

 कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार पर कांग्रेस की...
भाजपा से समर्थन वापस लेने का दुष्यंत चौटाला पर बढ़ा दबाव,कांग्रेस ने विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग की

 कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार पर कांग्रेस की नजर है। जजपा और निर्दलीय विधायकों की भाजपा के प्रति बढ़ी नराजगी को देखते हुए कांग्रेस विधानसभा में गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर अड़ी है। केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में तीन निर्दलीय विधायकों के सरकार से समर्थन वापस लिए जाने से कांग्रेस को उम्मीद हैै कि जजपा के भी कई विधायक विधानसभा में गठबंधन सरकार के खिलाफ जा सकते हैं। हरियाणा कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक प्रदेश में भाजपा सरकार की राह आसान नहीं है। जननायक जनता पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर दुष्यंत चौटाला ने इस मुद्दे पर सख्त रुख नहीं अपनाया, तो कई विधायक उनके खिलाफ जा सकते हैं। क्योंकि जजपा को ग्रामीण क्षेत्रों से समर्थन मिला था। ऐसे में सरकार में बने रहने के लिए दुष्यंत चौटाला किसानों के हितों की अनदेखी करते हैं, तो उन्हें अपने विधायकों को एकजुट रखना मु्श्किल होगा। नेता प्रतिपक्ष एंव पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र्र सिंह हुड्डा पहले ही राज्य सरकार के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का ऐलान कर चुके हैं। कांग्रेस का मानना है कि दुष्यंत चौटाला सरकार का साथ नहीं छोड़ेंगे, ऐसे में उनके विधायक बगावत का रास्ता अपना सकते हैं। अविश्वास प्रस्ताव इसी रणनीति का हिस्सा है, ताकि किसानों के मसले पर जजपा और कितने समय तक भाजपा का दामन थामे रह सकती है?

जजपा के कुछ विधायक अपनी पार्टी के खिलाफ रुख अपनाते हैं, तो निर्दलीय विधायक भी पाला बदल सकते हैं। हरियाणा में मनोहर लाल सरकार को जजपा के 10 और सात निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय सिंह चौटाला के किसानों के समर्थन में विधानसभा से इस्तीफा देने के ऐलान से भी उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर दबाव बढ़ा है।

दुष्यंत चौटाला पर पार्टी के भीतर और बाहर दोनों ओर से भाजपा से समर्थन लेने का दबाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। एक ओर जजपा के विधायक किसानों के हक में सरकार से समर्थन लेने का दबाव बनाए हुए हैं तो दूसरी ओर किसान-किसानी सियासत करने वाली जजपा को अपने सियासी भविष्य की चिंता है। जिस तरह से गांवों और खाप पंचायतों ने जजपा नेताओं का सार्वजनिक बहिष्कार किया उससे जजपा नेता भाजपा के साथ और बने रहने में असहज महसूस कर रहे हैं। और तो और जजपा के कार्यकर्ताआंे ने अपने वाहनों से पार्टी के झंडे इसलिए उतारने शुरु कर दिए हैं ताकि घरों के बाहर उनकी आवाजाही सुरक्षित रहे।

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