Advertisement

एमपी: सरकार के पक्ष में दो बीजेपी विधायकों की वोटिंग से आलाकमान नाराज, प्रदेश नेता दिल्ली तलब

मध्य प्रदेश में अब कांग्रेस और भाजपा में आर-पार की लड़ाई शुरू हो गई है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष...
एमपी: सरकार के पक्ष में दो बीजेपी विधायकों की वोटिंग से आलाकमान नाराज, प्रदेश नेता दिल्ली तलब

मध्य प्रदेश में अब कांग्रेस और भाजपा में आर-पार की लड़ाई शुरू हो गई है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने जब कहा कि ‘’हमारे नंबर-1 और नंबर-2 कह देंगे तो यह सरकार एक दिन भी नहीं चलेगी,” तो उसके जवाब में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा के दो विधायकों को अपने साथ कर विपक्ष को बड़ा झटका दे दिया। भाजपा का साथ देने वाले दोनों विधायक पुराने कांग्रेसी हैं। कमलनाथ कांग्रेस से भाजपा में जाकर विधायक बनने वालों को अपने साथ जोड़ने की मुहिम में लग गए हैं। चर्चा है कि कांग्रेस शीत सत्र से पहले भाजपा के और विधायकों को अपने पक्ष में कर लेगी।

गोपाल भार्गव के बयान से अमित शाह खफा

मध्य प्रदेश में पिछले दिनों एक विधेयक पर वोटिंग के दौरान बीजेपी के दो विधायकों के कांग्रेस के पाले में जाने पर पार्टी आलाकमान नाराज है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने 24 जुलाई को विधानसभामें मत विभाजन के दौरान हुए घटनाक्रम पर सख्त नाराजगी जताते हुए रिपोर्ट तलब की है और हाईकमान ने पार्टी प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और विधायक दल के सचेतक नरोत्तम मिश्रा को दिल्ली बुलाया है। हाईकमान की पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह से बात भी हुई है।

पार्टी के अंदर चर्चा है कि सत्ताधारी कांग्रेस की ओर से जब भाजपा में तोड़फोड़ की कोशिश की जा रही थी, उस समय पार्टी संगठन को इस बात की भनक क्यों नहीं लगी और व्हिप क्यों जारी नहीं किया। कहा जा रहा है पार्टी अध्यक्ष अमित शाह नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के बयान “हमारे नंबर-1 और नंबर-2 कह देंगे तो यह सरकार  एक दिन भी नहीं चलेगी” से बड़े नाराज हैं। इस कारण उन्हें दिल्ली नहीं बुलाया गया।

भाजपा के कुछ और विधायक कांग्रेस के संपर्क में

चर्चा है कि भाजपा के कुछ और विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं और आने वाले दिनों में कोई बड़ा फैसला भी ले सकते हैं। इसलिए भाजपा आलाकमान ने अपने कुछ वरिष्ठ नेताओं से उन विधायकों से सीधे संवाद करने को कहा है। दरअसल, भाजपा की चिंता इसलिए और बढ़ गई है, क्योंकि कांग्रेस से भाजपा में आए विधायक संजय पाठक गुरुवार को मंत्रालय में नजर आए और चर्चा यह होने लगी कि पाठक की कमलनाथ से मुलाकात हुई है। हालांकि बाद में पाठक ने इसका खंडन किया। पाठक पहले कांग्रेस के विधायक थे और उनका माइनिंग का बड़ा काम है। पूर्व भाजपा सांसद रघुनंदन शर्मा का तो यहां तक कहना है कि पार्टी संगठन के कुछ लोगों नेपार्टी पर अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए निष्ठावान कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की और ऐसे लोगों को पार्टी में शामिल कर लिया, जिनका पार्टी की नीति-रीति और सिद्धांतों से कोई लेना-देना नहीं था।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि भाजपा राज्य संगठन और विधायक दल में विधानसभा सत्र के दौरान नजर आई कमजोरी से भी हाईकमान नाराज है। सवाल उठ रहा है कि विधानसभा सत्र के दौरान 20 से ज्यादा विधायक नदारद क्यों रहे, कांग्रेस सरकार को पूर्ण बहुमत नहीं है, तब मत विभाजन के दिन व्हिप क्यों नहीं जारी की गई।राज्य की 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 114 विधायक हैं। उसे चार निर्दलीय, दो बसपा के और एक सपा विधायक का समर्थन हासिल है। विपक्षी भाजपा के 108 विधायक हैं और एक पद रिक्त है।

क्या है पूरा मामला

राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पर निशाना साधने वाली बीजेपी उस समय बैकफुट पर आ गई, जब सरकार ने दंड विधि संशोधन विधेयक पर मत विभाजन कराया। इस दौरान भाजपा के दो विधायकों- नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने विधेयक के पक्ष में वोट कर सबको चौंका दिया। इससे  यह संदेश गया कि पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad