Advertisement

जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की सुगबुगाहट, गृह मंत्री शाह ने की बैठक, महबूबा-उमर ने जताया विरोध

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह गृह मंत्री का पद संभालते ही ‘मिशन कश्मीर’ मोड में नजर आ रहे...
जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की सुगबुगाहट, गृह मंत्री शाह ने की बैठक, महबूबा-उमर ने जताया विरोध

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह गृह मंत्री का पद संभालते ही ‘मिशन कश्मीर’ मोड में नजर आ रहे हैं। मंगलवार सुबह शुरू हुआ शाह की बैठकों का सिलसिला लंबा चला। बताया जा रहा है कि इस बैठक में जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की तैयारियों से लेकर अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा पर लंबी चर्चाएं हुई। लेकिन बैठक में जम्मू-कश्मीर में परिसीमन कराने की खबरें सामने आने के बाद न केवल सियासी सरगर्मियां बढ़ गई हैं, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती समेत कई बड़े नेताओं ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उमर अब्दुल्ला ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर की आवाम की बिना सहमति के ऐसे किसी बदलाव का नेशनल कॉन्फ्रेंस विरोध करेगी। वहीं, महबूबा मुफ्ती का कहना है कि राज्य में मजबूर परिसीमन एक और भावनात्मक विभाजन को सांप्रदायिक तर्ज पर भड़काने का एक स्पष्ट प्रयास है।

दरअसल अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद से मीडिया में खबरें आईं थीं कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में परिसीमन कराने की तैयारी में है। इन अटकलों को और जोर तब मिला, जब अमित शाह ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में आंतरिक सुरक्षा और परिसीमन को लेकर एक बैठक की। इस बैठक में गृह सचिव राजीव गौबा, एडिशनल सचिव (कश्मीर) ज्ञानेश कुमार समेत कई अफसरों मौजूद रहे। बैठक के बाद अमित शाह ने प्रदेश राज्यपाल सतपाल मलिक से फोन पर बात की। बताया जा रहा है कि बैठक में शाह ने गृह सचिव राजीव गौबा और कश्मीर मामलों के अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार के साथ परिसीमन आयोग के गठन संबंधी फैसले लिए। इस लिहाज से माना जा रहा था कि मिशन कश्मीर उनका खास टारगेट है।

केंद्र द्वारा जम्मू कश्मीर नए परिसीमन आयोग के गठन की योजना पर विचार शुरू करते ही नेशनल कांफ्रेंस और  पीडीपी समेत इन नेताओं ने किया विरोध  

परिसीमन पर क्या बोले उमर अब्दुल्ला  

नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा को तभी जम्मू कश्मीर में परिसीमन का स्वागत करना चाहिए जब यह देश के अन्य भागों में भी हो। अगर ऐसा नहीं होता है तो नेशनल कांफ्रेंस ऐसी किसी भी कोशिश का पुरजोर विरोध करेगी। जम्मू कश्मीर में जनता द्वारा निर्वाचित सरकार के बिना अगर कोई ऐसा करता है तो उसका विरोध होगा। हैरानी की बात है कि भाजपा जो अनुच्छेद 370 और 35ए को भंग कर जम्मू कश्मीर को अन्य राज्यों के समान बनाना चाहती थी, अब इस एक मामले में जम्मू कश्मीर के साथ अन्य राज्यों से अलग व्यवहार कर रही है। जम्मू कश्मीर में परिसीमन पर 2026 तक रोक पर राज्य उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी, लेकिन अदालत ने रोक को सही ठहराया।

परिसीमन मुद्दे पर उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘भारतीय जनता पार्टी जब परिसीमन पूरे देश में लागू करेगी तब नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर में इसके किए जाने का स्वागत करेगी। अन्यथा प्रदेश की आवाम से बिना सहमति के ऐसे किसी भी बदलाव का हमारी पार्टी पुरजोर तरीके से विरोध करेगी।

परिसीमन की बात सुनकर बहुत परेशानी हुई: महबूबा मुफ्ती 

मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि यह सुनकर बहुत परेशानी हुई कि सरकार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों का पुनर्निर्धारण की योजना बना रही है। राज्य में मजबूर परिसीमन एक और भावनात्मक विभाजन को सांप्रदायिक तर्ज पर भड़काने का एक स्पष्ट प्रयास है। पुराने घावों को ठीक करने की अनुमित देने के बजाय सरकार कश्मीरियों को पीड़ा दे रही है।

महबूबा ने कश्मीर मुद्दे में पाकिस्तान को भी बताया था एक पक्ष

इससे पहले पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को कश्मीर मुद्दे में पाकिस्तान को भी एक पक्ष बताया था और मुद्दे को सुलझाने के लिए पड़ोसी देश को भी शामिल करने की वकालत की थी। मुफ्ती ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एनडीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में बने गृहमंत्री अमित शाह पर हमला किया था। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर समस्या के त्वरित हल के लिए "बर्बर बल'' का सहारा लेने का आरोप लगाया और कहा था कि यह बेतुकी भरी नासमझी होगी।

क्या बोले पूर्व नौकरशाह शाह फैसल

जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के चेयरमैन और पूर्व नौकरशाह शाह फैसल ने कहा कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों से पूर्व विधानसभा क्षेत्रों में बदलाव या उनकी संख्या घटाने-बढ़ाने की योजना पर अगर अमल होता है तो इसके रियासत मे अत्यंत खतरनाक परिणाम होंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस मामले में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि अगर बढ़ती आबादी के कारण परिसीमन की जरूरत महसूस हो रही है तो पहले राज्य विधानसभा का गठन होने दीजिए। चुनावों से पूर्व ऐसा कोई फैसला न संवैधानिक तौर पर सही है और नैतिक आधार पर। इससे तो राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में एक दूसरे के प्रति कटुता और अविश्वास की भावना ही पैदा होगी। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर ऐसे किसी भी प्रयास का विरोध करना चाहिए, जो राज्य के सभी हितधारकों को नजरअंदाज कर किया जा रहा हो।

इस तरह का परिसीमन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा: ताहिर सईद

वहीं पीडीपी के प्रवक्ता ताहिर सईद ने कहा है कि इस तरह का परिसीमन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। परिसीमन का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किया गया। चुनी हुई सरकार के द्वारा इसे करने का कोई मतलब नहीं है।

खुदा करे कि मीडिया मे जो खबरे आ रही हैं, वह गलत साबित हों

पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन व पूर्व समाज कल्याण मंत्री सज्जाद गनी लोन ने कहा कि खुदा करे कि मीडिया मे जो खबरे आ रही हैं, वह गलत साबित हों। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर इतनी जल्दबाजी क्यों। यह अतीत में हुई गल्तियों को ही आगे बढ़ाएगा।

सुरक्षाबलों के डीजी के साथ शाह ने की थी बैठक

इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा इंतजामों की ब्रीफिंग ली. साथ ही उन्होंने कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ जारी ऑपरेशन की रिपोर्ट ली. साथ ही ईद पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी जानकारी ली गई. इससे पहले सोमवार को भी अमित शाह ने सुरक्षाबलों के आला अफसरों के साथ मीटिंग की थी.

जानें कब हुआ था आखिरी परिसीमन

जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 1995 में परिसीमन हुआ था. यूं तो राज्य के संविधान के मुताबिक जम्मू कश्मीर में हर 10 साल के बाद परिसीमन होना था। मगर तत्कालीन सीएम फारुक अब्दुल्ला ने 2002 में इस पर 2026 तक के लिए रोक लगा दी थी। देश के अन्य राज्यों में 2002 की जनगणना के आधार पर परिसीमन हो चुका है। मगर जम्मू-कश्मीर इससे अछूता है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement