Advertisement

आंध्र प्रदेश में जगन मैजिक, लोकसभा से लेकर विधानसभा हर जगह भारी जीत

नई दिल्ली। करीब आठ साल पहले जब आंध्र प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस के नेता राजशेखर रेड्डी के पुत्र जगन...
आंध्र प्रदेश में जगन मैजिक, लोकसभा से लेकर विधानसभा हर जगह भारी जीत

नई दिल्ली। करीब आठ साल पहले जब आंध्र प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस के नेता राजशेखर रेड्डी के पुत्र जगन मोहन रेड्डी ने वाइएसआर कांग्रेस पार्टी का गठन किया, तो शायद कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को उस वक्त इस बात का अंदाजा नहीं होगा कि जगन मोहन उसके लिए इतने नुकसानदायक साबित होंगे। उस वक्त जगह मोहन में अपने पिता की दुर्घटना में हुई मौत के बाद राज्य में मुख्यमंत्री पद की मांग की थी। जिसे कांग्रेस ने नकार दिया था। 23 मई को आए नतीजे में जहां वाईएसआर कांग्रेस लोकसभा की सभी 25 सीटें जीतने की अग्रसर है। जबकि विधान सभा में 175 में से 149 सीटों पर अपनी बढ़त बनाए हुए है। इतनी भारी बहुमत से राज्य में विपक्ष का सूपड़ा साफ हो गया है। जिसका सबसे बड़ा झटका तेलगुदेशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्र बाबू नायडू को लगा है। जो कि चुनाव परिणाम आने से पहले केंद्र में विपक्ष दलों का एक मजबूत गठबंधन बनाने की लगातार कवायद कर रहे थे। हार को बाद चंद्र बाबू नायडू ने मुख्यमंत्री पद से  दिया इस्तीफा।

आंधी में बहा विपक्ष

भले ही लोकसभा चुनावों में अधिकांश राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंधी चल रही है लेकिन आंध्र में जगन का ही जलवा था। विपक्ष जहां लोकसभा की एक भी सीट नहीं जीत रहा है। वहीं विधानसभा में तेलगुदेशम पार्टी केवल 25 सीटों पर आगे चल रही है। जबकि कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली है। यहां पर भाजपा भी लोकसभा से लेकर विधानसभा में खाता नहीं खोल पाई है।

नायडू मॉडल फेल

रूझानों और परिणामों के प्रारंभिक विश्लेषण से साफ है कि इस बार आंध्र प्रदेश के लोगों ने नायडू मॉडल को नकरा दिया है। इस समय राज्य में तेलगुदेशम पार्टी की सरकार है और चंद्रबाबू नायडू मुख्यमंत्री हैं। नायडू का प्रमुख रूप से शहरीकरण पर फोकस रहता है, लेकिन जिस तरह से इस बार उनको हार मिली है। उससे साफ है कि ग्रामीण और शहरी इलाकों में जगन ने भारी सेंध लगा दी है।

जगन ने पूरे राज्य में की पदयात्रा

जगन ने राज्य में अपने पक्ष में हवा बनाने के लिए अपने पिता राजशेखर राव के ही पदचिन्हों पर चलने का रास्ता अपनाया। राजशेखर राव ने 2004 में पूरे राज्य की पदयात्रा की थी, जिसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री का पद मिला था। ठीक उसी तरह उन्होंने चुनावों से पहले करीब 340 दिन की पदयात्रा की। जिसका असर इस बार चुनावों में साफ तौर पर दिखा है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad