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कौन नहीं चाहेगा कि परिवार में सुलह हो जाए: अपर्णा यादव

समाजवादी पार्टी इन दिनों पूरी तरह बिखरी हुई नजर आ रही है। पार्टी के संस्थापक-संरक्षक मुलायम सिंह...
कौन नहीं चाहेगा कि परिवार में सुलह हो जाए: अपर्णा यादव

समाजवादी पार्टी इन दिनों पूरी तरह बिखरी हुई नजर आ रही है। पार्टी के संस्थापक-संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू और सामाजिक कार्यकर्ता अपर्णा यादव इससे काफी निराश हैं। वह चाहती हैं कि परिवार में सुलह हो जाए। वे कहती हैं पार्टी के पदाधिकारियों को इस बिखराव के कारणों पर गौर करना चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार के कामकाज और चिन्मयानंद समेत विभिन्न मुद्दों पर उन्होंने ‘आउटलुक’ के वरिष्ठ संवाददाता शशिकान्त से बात की। बातचीत के प्रमुख अंश:

प्रदेश सरकार के ढाई साल के कामकाज को आप किस रूप में देखती हैं?

-सरकार के जितने काम चल रहे हैं, अच्छे हैं, लेकिन जमीन पर कितना उतर पा रहे हैं, यह देखने वाली बात है। जैसे कई रिपोर्ट आ रही हैं कि अधिकारी नहीं सुन रहे। ऐसी रिपोर्ट भी है कि मंत्री कुछ कह रहे हैं और अधिकारी की रिपोर्ट कुछ और है। जनता बहुत परेशान है। सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में यही कहना चाहती हूं कि हमेशा जनता की भलाई के काम किए जाएं।

पहले की अपेक्षा अब कानून व्यवस्था कैसी है?

-बहुत ज्यादा फर्क नहीं आया है, लेकिन यह भी नहीं कहूंगी कि पहले बहुत अच्छा था या खराब था, क्योंकि अभी हमारे पास एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो) की रिपोर्ट नहीं है। जब हम कानून व्यवस्था की बात करते हैं तो सिर्फ किसी के बयान के पीछे ना पड़ें, बल्कि हम अपनी तरफ से जो कर सकते हैं, वह करें। सरकार ने चालान बहुत अच्छा कर दिया है। चालान इतना ज्यादा है कि आदमी सोचता है कि हेलमेट खरीदना या सीट बेल्ट लगाना उससे ज्यादा सस्ता पड़ेगा। इससे भ्रष्टाचार भी कम हो रहा है।

चिन्मयानंद पर गंभीर आरोप हैं। महिला होने के नाते आप इसे किस रूप में देखती हैं?

-सिर्फ इतना कहना चाहूंगी कि दोनों पक्षों को स्वतंत्र ट्रायल का मौका दिया जाए। किसी को बचाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। औरतों के साथ जिस तरह का व्यवहार होता है, हमारा समाज उसी प्रकार बनता चला जाता है। बहुत जरूरी है कि हम अपने समाज में एक अच्छा उदाहरण पेश करें। अगर चिन्मयानंद ने ये अपराध किया है तो उन्हें जरूर सजा मिलनी चाहिए।

निकट भविष्य में आप क्या कोई चुनाव लड़ेंगीं?

-देखिए, राजनीति अनंत संभावनाओं का सागर है। इसमें कभी संभावनाएं समाप्त नहीं होती हैं। मुझे लगता है कि मैं अपने सेवा भाव से सभी का दिल जीत रही हूं। मुझे नहीं लगता कि कोई मुझे रोक सकेगा, जिस तरह से मैं लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाती जा रही हूं।

तो क्या 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही है?

-बिलकुल चल रही है। हर पथ के लिए तैयारी है। लखनऊ कैंट मेरे लिए महत्वपूर्ण सीट रही, क्योंकि 2017 का वह चुनाव मेरे लिए पहला था। मेरी हार की कई वजहें थीं- मोदी लहर थी, घर में फूट पड़ गई थी, काडर बिखर गया था। और भी कई कारण थे, लेकिन यह बात अलग है। जब दूध फट ही गया तो उस पर रोने का कोई मकसद नहीं है। 

आपने परिवार का जिक्र किया है, तो क्या यह संभव है कि शिवपाल यादव या समाजवादी पार्टी साथ मिलकर काम करें?

-मुझे यह नहीं पता कि वे क्या करेंगे। उनकी (शिवपाल) अपनी पार्टी है। रही बात सुलह की, तो कौन नहीं चाहेगा कि परिवार में सुलह हो जाए। हर समझदार व्यक्ति यही चाहता है। जब तक बात आंगन में रहती है, तो ही ठीक रहती है। कुछ लोगों को इसमें भी आनंद आता है कि लोगों का या परिवार का मजाक बने।

इस बारे में नेता जी (मुलायम सिंह यादव) से आपकी चर्चा हुई है?

-मेरी बहुत पहले चर्चा हुई थी। वे भी चाहते हैं कि परिवार एक हो जाए, लेकिन शायद वे भी समझ चुके हैं कि अब कोई संभावना नहीं बची। नेता जी, मेरे लिए भव्यता और रहस्य का प्रतीक हैं। इस बारे में वही ज्यादा बता पाएंगे।

परिवार में फूट के बाद पार्टी को भी तो काफी नुकसान हुआ।

-परिवार नहीं, आपको यह कहना चाहिए कि पार्टी टूट गई। मेरे आने से पहले परिवार के 20 सदस्य पार्टी में अलग-अलग संवैधानिक पदों पर थे। परिवार ही नहीं, पूरी पार्टी का बिखराव हुआ है और पार्टी के बिखराव का कारण मुझे बताने की आवश्यकता नहीं। जो पदाधिकारी हैं, उन्हें सोचना चाहिए कि क्यों ऐसा हो रहा है। अगर वे नहीं सोच पा रहे हैं तो यह उनकी मर्जी है। पार्टी भगवान भरोसे चल रही है।

 

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