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कैराना जीत के बाद तबस्सुम हसन की 'फेक न्यूज' से जंग, फर्जी बयान अब भी वायरल

कोई साधारण चुनाव होता तो अब जीत के बाद जश्न का दौर चल रहा होता। लेकिन कैराना का ना तो चुनाव सामान्य था,...
कैराना जीत के बाद तबस्सुम हसन की 'फेक न्यूज' से जंग, फर्जी बयान अब भी वायरल

कोई साधारण चुनाव होता तो अब जीत के बाद जश्न का दौर चल रहा होता। लेकिन कैराना का ना तो चुनाव सामान्य था, और न ही जीत-हार के बाद अब सामने आ रही चीजें आम हैं। सांप्रदायिक एजेंडे को फेल कर राष्ट्रीय लोकदल की उम्मीदवार तबस्सुम हसन विपक्ष की एकजुटता और हिंदू-मुस्लिम एकता का चेहरा बनकर उभरींं तो लगता है “आईटी सैल” वाले आहत हो गए। अचानक तबस्सुम हसन के नाम से फर्जी संदेशों की बाढ़ आ गई। अपनी सफाई में कुछ कह पातीं, इससे पहले ही उनके नाम से फैलाया जा रहा फर्जी बयान लोगों की जुबान पर चढ़ चुका था कि ये अल्लाह की जीत है और राम की हार। 

करीब एक दशक पहले रालोद के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीतकर राजनीति में कदम रखने वाली तबस्सुम हसन दुष्प्रचार के हथकंड़ों से अनजान नहीं हैं। लेकिन इतने बड़े पैमाने पर अफवाहों से उनका वास्ता पहली बार पड़ा है।

शनिवार को जब वे राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह से मिलने दिल्ली पहुंची तो मीडिया ने सबसे ज्यादा सवाल “अल्लाह की जीत...” वाले कथित बयान का लेकर ही पूछे। वे पिछले तीन दिनों में सैकड़ों बार इसका खंडन कर चुकी हैं कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है। बयान देना तो दूर वे ऐसा सोच भी नहीं सकती। यह सफाई देते-देते गला सूख चुका है, जुबान थक गई है। लेकिन सवाल जारी हैं। 

खंडन के बावजूद फर्जी पोस्ट वायरल 

तबस्सुम हसन के बार-बार खंडन के बावजूद सोशल मीडिया पर उनका बयान आग की तरह फैल रहा है। फेसबुक पर बने योगी आदित्यनाथ – ट्रू इंडियन नाम के पेज पर 3 जून को भी यह बयान मौजूद था, जिसे खबर लिखे जाने तक करीब साढे छह हजार बार शेयर किया जा चुका है। कमल त्यागी बीजेपी नाम के पेज पर भी ऐसा ही बयान पाेस्ट या गया है, जिसे एक हजार से ज्यादा लोग शेयर कर चुके हैं। ट्वीटर पर सपना चौधरी नाम के हैंडल से भी इस्लाम की जीत और हिंदुओं की हार वाला बयान शेयर किया जा रहा है। मकसद साफ है, झूठ को इतनी बार बोलो कि सच लगने लगे।  

 

 

 

ताज्जुब की बात है कि पुलिस से शिकायत के बावजूद तबस्सुम हसन के नाम से फर्जी और सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने वाले बयान सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से शेयर किए जा रहे हैं। जबकि फेक न्यूज की पड़ताल करने वाले वेबसाइट altnews.com ने शुक्रवार को ही इसकी असलियत उजागर कर दी थी। राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने इस फेक न्यूज को कैराना नतीजों को हिंदू-मुस्लिम के तौर पर दिखाने की भाजपा की कोशिश करार दिया है। उनका कहना है कि कैराना में जिन्ना नहीं गन्ना चला। लोग नफरत की राजनीति के बजाय जमीनी मुद्दाें पर बात करना चाहते हैं।  

 

 

मुजफ्फनगर दंगों के बाद पश्चिमी यूपी में चौधरी चरण सिंह के जमाने का जाट और मुस्लिम गठजोड़ पूरी तरह बिखर गया था। लेकिन कैराना उपचुनाव में रालोद की मुस्लिम प्रत्याशी को जाट समुदाय ने दिल खोलकर समर्थन दिया। दलितों का भी खूब साथ मिला। जाहिर है विपक्षी एकजुटता के साथ उभर रहे ये समाजिक समीकरण भाजपा के लिए खतरे की घंटी हैं। 

आउटलुक से बातचीत में तबस्सुम हसन कहती हैं, “पश्चिमी यूपी में पहले कांग्रेस और लोकदल के बीच चुनाव हुआ करता था। हिंदू-मुस्लिम को बांटकर ही भाजपा ने इस क्षेत्र में अपनी राजनीति चमकाई है। हर हफ्ते ये नया प्रोपगैंडा ले आते हैं। कभी ताज महल, तो कभी जिन्ना, तो कभी अल्लाह और राम। मेरे नाम से पता नहीं क्या-क्या चलाया जा रहा है। ये लोग झूठ जरिए 2019 का रास्ता बनाना चाहते हैं। जबकि मुझे हिंदू-मुस्लिम सभी का समर्थन मिला। चुनाव जीतने के बाद मेरी पूरी कोशिश यही रहेगी कि समाज में भाईचारा बना रहे।”

मामले की जांच के आदेश

तबस्सुम हसन की शिकायत पर शामली पुलिस ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। सांसद की ओर से शामली एसपी देव रंजन वर्मा को पत्र लिखकर उनके नाम से फैलाए जा रहे फर्जी पोस्ट को साजिश करार देते हुए मामले की जांच करने को कहा है। तबस्सुम हसन का कहना है कि कौन लोग नफरत फैलाने के लिए झूठी बातें फैला रहे हैं, उनका पता जरूर लगाना चाहिए। 

एसपी शामली ने पीटीआई को बताया कि साइबर सेल इस मामले की जांच करेगा और जो भी फर्जी मैसेज फैलाने के दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई सामने नहीं आई है। जबकि फर्जी बयान खूब शेयर किए जा रहा है।  

तबस्सुम हसन के नाम से शुरू किया गया एक ट्वीटर अकाउंट भी सवालों के घेरे में हैं। कैराना सांसद के समर्थन पुलिस से इसकी भी शिकायत करेंगे।  

 

 

 

 

 

 

 

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