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अमित शाह का दावा- गुजरात में शायद ‘आप’ का खाता भी न खुले, कांग्रेस संकट के दौर में

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) की चुनौती को तवज्जो न...
अमित शाह का दावा- गुजरात में शायद ‘आप’ का खाता भी न खुले, कांग्रेस संकट के दौर में

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) की चुनौती को तवज्जो न देते हुए दावा किया कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी शायद अपना खाता भी न खोल सके।

उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई द्वारा अपने ‘संकल्प पत्र’ में कट्टरपंथ विरोधी प्रकोष्ठ (एंटी-रेडिकलाइजेशन सेल) स्थापित करने के वादे को एक अच्छी पहल करार दिया और कहा कि इस पर केंद्र और अन्य राज्य सरकारें भी विचार कर सकती हैं। भाजपा ने चुनावी घोषणा पत्र को ‘संकल्प पत्र’ का नाम दिया है।

‘पीटीआई’ के साथ एक साक्षात्कार में शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान गुजरात के सर्वांगीण विकास और तुष्टीकरण कतई बर्दाश्त ना करने की नीति को पिछले 27 वर्षों में लोगों द्वारा बार-बार भाजपा पर विश्वास जताने का मुख्य कारण बताया।

उन्होंने कहा, “गुजरात में भाजपा अप्रत्याशित जीत दर्ज करेगी। लोगों को हमारी पार्टी और हमारे नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है।”

गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद से शाह लगातार राज्य का दौरा कर रहे हैं और तकरीबन हर दिन पांच जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं।

गुजरात विधानसभा चुनाव में ‘आप’ की दस्तक के सवाल पर शाह ने कहा, ‘‘हर पार्टी को चुनाव लड़ने का अधिकार है, लेकिन यह लोगों पर निर्भर करता है कि वे उस पार्टी को स्वीकार करते हैं या नहीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘गुजरात के लोगों के दिमाग में ‘आप’ कहीं नहीं ठहरती है। चुनाव नतीजों का इंतजार कीजिए, शायद ‘आप’ उम्मीदवारों का नाम सफल उम्मीदवारों की सूची में आए ही नहीं।’’

गुजरात में आम तौर पर भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला होता रहा है लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली ‘आप’ ने मोदी के गृह राज्य में आक्रामक प्रचार अभियान के जरिए कई इलाकों में मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।

मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से मिल रही चुनौती पर शाह ने कहा, ‘‘कांग्रेस अब भी मुख्य विपक्षी पार्टी है, लेकिन वह राष्ट्रीय स्तर पर संकट के दौर से गुजर रही है और इसका असर गुजरात में भी दिख रहा है।’’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अगुवाई में जारी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बारे में पुछे जाने पर भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा राजनीति में सतत प्रयास आवश्यक है।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा हमेशा से मानना रहा है कि नेताओं को परिश्रमी होना चाहिए और जब कोई परिश्रम करता है तो अच्छा लगता है। लेकिन राजनीति में सतत प्रयास से ही परिणाम मिलते हैं। इसलिए इंतजार करिए और देखिए कि क्या परिणाम आता है।’’

शाह अपनी चुनावी जनसभाओं में राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को भी जोरशोर से उठा रहे हैं। उनके मुताबिक यह ऐसा मुद्दा है जो हर चुनाव में महत्वपूर्ण है।

हालांकि विपक्षी दल भाजपा पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह शासन से जुड़े स्थानीय मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए राज्यों के चुनाव में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे उठाती है।

शाह ने उन्हें जवाब देते हुए कहा, ‘‘गुजरात की सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है या नहीं है? गुजरात की सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा अलग-अलग मुद्दे नहीं हैं। और यदि देश सुरक्षित नहीं होगा तो गुजरात कैसे सुरक्षित रहेगा? इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा सभी राज्यों के चुनाव में महत्वपूर्ण है।’’

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘सीमावर्ती राज्य होने के चलते गुजरात के लोग राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर संवेदनशील हैं। देश के किसी भी कोने में हम राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित होने देने का खतरा नहीं उठा सकते।’’

केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के विपक्षी दलों के आरोपों पर शाह ने कहा कि देश में एक स्वतंत्र और तटस्थ न्यायपालिका है और ‘‘यदि केंद्रीय एजेंसियों का कोई दुरुपयोग हो रहा है तो वे न्यायपालिका का रुख कर सकते हैं।’’

चुनावी अभियान में कानून-व्यवस्था का मुद्दा जोरशोर से उठाने वाले शाह ने कहा कि गुजरात में कानून-व्यवस्था में सुधार करना भाजपा सरकार की उपलब्धियों में एक रही है।

चुनावी घोषणा पत्र में कट्टरपंथ विरोधी प्रकोष्ठ गठित किए जाने के वादे को शाह ने अच्छी पहल करार दिया और कहा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे संगठन यदि युवाओं को आतंकवाद की ओर धकेलें तो यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि विस्तार से जांच व पड़ताल के बाद पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया गया था और कई राज्यों ने भी केंद्र के समक्ष यह मांग उठाई थी।

उन्होंने कहा, ‘‘पीएफआई की राष्ट्र विरोधी और विशेषकर युवाओं को कट्टरपंथ के जरिए आतंकवाद की ओर धकेलने की गतिविधियों से जुड़ी बहुत सारी सूचनाएं एकत्रित करने और उनके प्रमाण मिलने के बाद मोदी सरकार ने इस संगठन को प्रतिबंधित करने का फैसला किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘और कई राज्यों ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की थी। ऐसी गतिविधियों में लिप्त किसी भी संगठनों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या गुजरात में कट्टरपंथ विरोधी प्रकोष्ठ गठित किए जाने संबंधी घोषणा को अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा, शाह ने कहा, ‘‘यह एक अच्छी पहल है। इसे कानूनी स्वरूप दिया जाएगा और इसकी कार्यप्रणाली तय की जाएगी।’’ उन्होंने कहा कि सिर्फ गुजरात ही नहीं बल्कि पूरे देश में कट्टरपंथ पर नकेल जरूरी है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके बारे में राष्ट्रीय स्तर पर और अन्य राज्यों द्वारा भी विचार किया जा सकता है। कट्टरपंथ का किसी समुदाय से लेना देना नहीं है लेकिन हम सभी जानते हैं कि कौन सी ताकतें कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रही हैं और इससे पूरा विश्व चिंतित है।’’

चुनावों में महंगाई के प्रभाव से जुड़े एक सवाल पर शाह ने कहा कि पूरी दुनिया इस समस्या का सामना कर रही है और भारत उन देशों में शुमार है जो इससे सबसे कम प्रभावित हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘कोविड महामारी के बाद आर्थिक मंदी एक वैश्विक चुनौती के रूप में सामने आई लेकिन इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार देखा गया। इसी प्रकार मेरा मानना है कि भारत महंगाई की समस्या से भी प्रभावी तरीके से निपटेगा। महंगाई वैसे भी दुनिया के देशों के लिए एक चुनौती बनी हुई है। आज देश का सामाजिक जीवन महंगाई से कम ही प्रभावित है।’’

यह पूछे जाने पर कि यदि भाजपा गुजरात का चुनाव जीतती है तो भूपेंद्र पटेल ही मुख्यमंत्री बनेंगे, शाह ने कहा कि वह ‘‘अच्छा काम’’ कर रहे हैं और गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरु की गई पहलों को आगे ले जा रहे हैं।’’

भाजपा से मुकाबले के लिए विपक्षी दलों के एक साथ आने से संबंधित एक सवाल पर शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के समक्ष वह कहीं नहीं टिकते।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और उन्होंने पिछले आठ सालों में जैसी सरकार चलाई है उसे देखें तो मुझे नहीं लगता कि इस प्रकार के गठबंधनों का कोई असर होगा। और इन क्षेत्रीय दलों का अपने राज्य से बाहर कोई खासा प्रभाव भी नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एक क्षेत्रीय पार्टी का दूसरे राज्य में कोई प्रभाव नहीं है। ऐसे गठबंधन सिर्फ कागजों पर ही दिखते हैं और सुर्खियों में रहने के लिए अच्छे हैं।’’

दक्षिण और पूर्वी भारत में भाजपा के विस्तार पर चर्चा करते हुए शाह ने कहा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा के वोट प्रतिशत में 40 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और उसने लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीती थीं।

उन्होंने दावा किया कि आगामी लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में भाजपा और बेहतर प्रदर्शन करेगी। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में भाजपा ‘‘प्रमुख विपक्षी पार्टी’’ के रूप में उभरी है और तमिलनाडु तथा आंध्र प्रदेश में भी वह अच्छा काम कर रही है। उन्होंने कहा कि कैडर आधारित पार्टियों का विस्तार रातोंरात नहीं हो जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘इसमें समय लगता है। लेकिन हम इन राज्यों में अच्छा काम कर रहे हैं।’’

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