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सामान्य वर्ग आरक्षण बिल पर राज्यसभा में चर्चा, जानिए किसने क्या कहा

नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण देने के लिए राज्यसभा में बुधवार...
सामान्य वर्ग आरक्षण बिल पर राज्यसभा में चर्चा, जानिए किसने क्या कहा

नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण देने के लिए राज्यसभा में बुधवार को विधेयक पेश किया गया। मंगलवार को पांच घंटे चली बहस के बाद यह लोकसभा में पास हो गया था। अब राज्यसभा में इस बिल की असल परीक्षा है। वहीं बिल पेश होने के बाद कांग्रेस सहित विपक्षी सांसदों का हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस ने पूछा है कि इस बिल को जल्दबाजी में लाने का क्या मतलब है?

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने सामान्य वर्ग को आरक्षण देने से जुड़ा 124वां संशोधन बिल राज्यसभा में पेश किया। गहलोत ने बिल का परिचय देते हुए कहा कि इस बिल से लाखों-करोड़ों सामान्य वर्ग के गरीबों का सशक्तिकरण होगा और विचार-विमर्श के बाद ही यह बिल लाने का फैसला लिया है।

वहीं मंत्री के भाषण के बीच कांग्रेस के सांसद वेल में आतर नारेबाजी करते रहे। मंत्री ने कहा कि इस बिल को पारित किया जाए अगर चर्चा होगी तो मैं चर्चा से निकले हर सवाल का उत्तर देने के लिए तैयार हूं।

नौकरी है नहीं आरक्षण का क्या होगा: रामगोपाल यादव

समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने कहा कि उनकी पार्टी इस बिल का समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि सरकार यह बिल कभी भी ला सकती थी, लेकिन सरकार का लक्ष्य आर्थिक रूप से गरीब सामान्य वर्ग नहीं बल्कि 2019 का चुनाव है। अगर इनकी दिल में ईमानदारी होती तो 3-4 साल पहले यह बिल आ जाता। यादव ने कहा कि यह बिल सुप्रीम कोर्ट की बड़ी पीठ के खिलाफ है और कोर्ट इसे अपहोल्ड भी कर सकता है। उन्होंने कहा कि नौकरियां हैं नहीं ऐसे में कुछ बाद आरक्षण की बात भी बेमानी हो जाएगी। यादव ने कहा कि सरकार को निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि सरकार क्षेत्र में ठेके पर काम हो रहा है, नौकरियां लगातार घट रही हैं।

हम बिल का समर्थन करते हैं: कांग्रेस

कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि हमारी पार्टी बिल के विरोध में नहीं है लेकिन सवाल व्यवस्था का है और इसके बारे में सदन को जानने का पूरा हक है। शर्मा ने कहा कहा कि बीएसी की ओर से समयसीमा तय नहीं की गई है, यह आपको सदन के भीतर बताना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पौने पांच साल सरकार की नींद टूटी है और सभी जानते हैं कि चुनाव की वजह से आप यह बिल लेकर आए हैं।

आनंद शर्मा ने कहा कि संविधान संशोधन से गरीब का पेट नहीं भरेगा, उसको न्याय नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि किसान के लिए, नौजवान के लिए जो वादे किए थे, उनका क्या हाल हो रहा है। सरकार को जल्दी दिखानी थी तो महिला आरक्षण बिल पर दिखाते, क्यों सरकार चार साल बाद भी यह बिल लेकर नहीं आई। राजनीति के लिए आप तीन तलाक बिल लाए लेकिन बाकी महिलाओं को न्याय कब मिलेगा। उन्होंने कहा कि जनता एक बार वादों में बहक जाती है लेकिन बाद में हिसाब जरूर मांगती है लेकिन अब तो आपका हिसाब देने का वक्त है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस बिल की पक्षधर है क्योंकि हमने सामाजिक न्याय और खासकर अगड़ी जातियों के लिए न्याय की आवाज उठाई थी। हम इस बिल का समर्थन करते हैं।

आनंद शर्मा ने कहा कि नौकरियां लगातार कम हो रही हैं। उन्होंने कहा कि पीएसयू में तीन साल के दौरान 97 हजार नौकरियां चली गई हैं। राज्यों के आंकड़े अगर सरकार देगी तो बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि लोगों के मुताबिक नौकरियां देने में शायद 800 साल लग जाएंगे। देश के लोगों को आप इतना बड़ा सपना दिखा रहे हैं, लेकिन हकीकत कुछ और है। विकास की परिधि से बाहर रह गए लोगों को जोड़ना सरकारों का धर्म है, लेकिन इस विषय पर विस्तार से चर्चा होने की जरूरत थी। इसके लिए समाज के लोगों से भी बात की जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि सरकार की अभी इस बिल में कई बाधाओं का सामना करना है, क्योंकि यह संविधान का अपमान करने की एक सोझी-समझी साजिश है।

वहीं कांग्रेस के सांसद मधुसूदन मिस्त्री ने कहा कि किसी बिल को पेश से दो दिन पहले उसकी कॉपी देनी पड़ती है, उन्होंने कहा कि एक दिन में बिल पर वोटिंग और उसका परिचय नहीं दिया जाता है। मिस्त्री ने कहा कि सदन जानना चाहता है कि सरकार को इस बिल को लाने की इतनी जल्दी क्यों है।

यह मध्य रात्रि की डकैती है: आरजेडी

आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि यह मध्य रात्रि की डकैती है और हम इस बिल का विरोध करते हैं। ओबीसी और एससी की आबादी पर चुप्पी है और संविधान के बुनियादी ढांचे के साथ छेड़छाड़ हो रही है।

वहीं सीपीआई सांसद डी राजा ने कहा इस तरह के बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजा जाना चाहिए क्योंकि यह काफी अहम संविधान संशोधन बिल है। वहीं कनिमोझी ने कहा कि प्रस्ताव पर चर्चा के बगैर इस बिल पर चर्चा नहीं की जा सकती।

'कांग्रेस जानबूझकर कर रही विरोध'

भाजपा सांसद विजय गोयल ने कहा कि कांग्रेस और विपक्षी सांसद जानबूझकर इस बिल को रोकने के लिए हंगामा कर रहे हैं। सदन का समय खराब कर कांग्रेस अप्रत्यक्ष रूप से इसका विरोध कर रही है। मुझे लगता है कि बिल पेश हो चुका है इसलिए सदन में इस पर चर्चा होनी चाहिए।

लोकसभा में मिला था विपक्ष का साथ

लोकसभा में संशोधित बिल  के समर्थन में जहां 323 वोट पड़े वहीं, विरोध में महज 3 वोट पड़े। इस विधेयक को लेकर लोकसभा में मंगलवार को करीब 5 घंटे तक चली बहस में लगभग 17 दलों ने इसका पक्ष लिया, लेकिन किसी ने भी इसका खुलकर विरोध नहीं किया। हालांकि कई सांसदों ने इस विधेयक को लेकर सरकार की नीयत पर प्रश्न जरूर भी खड़े किए। कांग्रेस, बसपा, सपा, तेदेपा और द्रमुक सहित विभिन्न पार्टियों ने इसे भाजपा का चुनावी स्टंट करार दिया। कांग्रेस ने कहा कि वह आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए लाए गए विधेयक के समर्थन में है, लेकिन उसे सरकार की मंशा पर शक है। पार्टी ने कहा कि सरकार का यह कदम महज एक 'चुनावी जुमला' है और इसका मकसद आगामी चुनावों में फायदा हासिल करना है।

विपक्ष लगाएगा नैय्या पार...

राज्यसभा में एनडीए सरकार बहुमत से दूर है, हालांकि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने लोकसभा में जिस तरह इस बिल का समर्थन किया है। उससे लगता है कि सरकार के लिए ये बिल राज्यसभा में आसानी से पास हो जाएगा।

ये है समीकरण

राज्यसभा में सांसदों की वर्तमान संख्या 244 है। बिल पास कराने के लिए वहां दो तिहाई सांसदों यानी 163 वोटों की जरूरत होगी। ऐसे में राज्यसभा में एनडीए सरकार के पास बहुमत से काफी कम आंकड़ा है. एनडीए  के पक्ष में सिर्फ 90 सदस्य हैं, जिनमें भाजपा के 73, निर्दलीय + मनोनीत 7, शिवसेना के 3, अकाली दल के 3, पूर्वोत्तर की पार्टियों की तीन (बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट+सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट+नागा पीपल्स फ्रंट) और आरपीआई के 1 सांसद हैं।

वहीं विपक्ष के पास 145 सांसद हैं, जिसमें कांग्रेस के 50, टीएमसी के 13, समाजवादी पार्टी के 13, एआईएडीएमके के 13, बीजेडी के 9, टीडीपी के 6, आरजेडी के 5, सीपीएम के 5, डीएमके के 4, बीएसपी के 4, एनसीपी के 4, आम आदमी पार्टी के 3, सीपीआई के 2, जेडीएस के 1, केरल कांग्रेस (मनी) के 1, आईएनएलडी के 1, आईयूएमएल के 1, 1 निर्दलीय और 1 नामित सदस्य शामिल हैं।

ऐसे पास हो सकता है बिल

भाजपा (73) सहित एनडीए के पास 90 सांसद हैं। कांग्रेस (50), सपा (13), बसपा (4), राकांपा (4) आप (3) ने बिल का समर्थन किया है। इनकी संख्या 74 होती है। इस तरह एनडीए और बिल का समर्थन कर रहे विपक्षी सांसदों की कुल संख्या 162 हो जाती है। यदि 13-13 सांसदों वाली तृणमूल, अन्नाद्रमुक या बीजद (9), तेदेपा (6) और टीआरएस (6) में से किसी एक के समर्थन करने पर भी यह बिल राज्यसभा में आसानी से पास हो जाएगा।

ये है सरकार का फैसला

मोदी कैबिनेट ने सोमवार को सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया। इसके तहत जिन लोगों को अभी तक आरक्षण का लाभ नहीं मिलता था यानी जो अनारक्षित श्रेणी में आते थे उन लोगों को इस फैसले से सरकारी नौकरी और शैक्षणिक क्षेत्र में लाभ मिलेगा।

 

 

 

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