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लोकसभा में पारित हुआ तीन तलाक विधेयक, कांग्रेस समेत कई दलों ने किया वॉकआउट

तीन तलाक बिल को लोकसभा ने बहुमत से पारित कर दिया है। अब इसे राज्यसभा में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।...
लोकसभा में पारित हुआ तीन तलाक विधेयक, कांग्रेस समेत कई दलों ने किया वॉकआउट

तीन तलाक बिल को लोकसभा ने बहुमत से पारित कर दिया है। अब इसे राज्यसभा में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। कांग्रेस और एआईएडीएमके ने इस बिल के विरोध में वॉकआउट किया और वोटिंग के दौरान सदन में नहीं थे। वहीं, समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने भी वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।

सदन में मौजूद 256 सांसदों में से 245 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया, जबकि 11 सदस्यों ने इसके खिलाफ वोट दिया। असदुद्दीन ओवैसी के तीन संशोधन प्रस्ताव भी गिर गए और कई अन्य संशोधन प्रस्तावों को भी मंजूरी नहीं मिली। 

इससे पहले दिसंबर 2017 में भी लोकसभा से तीन तलाक बिल को मंजूरी मिल गई थी, लेकिन राज्यसभा में गिर गया था। इसके बाद सरकार को तीन तलाक पर अध्यादेश लाना पड़ा था। अब सरकार ने एक बार फिर से संशोधित बिल पेश किया था लेकिन  सरकार के लिए राज्यसभा से इसे पारित कराना चुनौती होगी क्योंकि वहां एनडीए का बहुमत नहीं है।

इससे पहले दिन भर बिल को लेकर लोकसभा में चली चर्चा के दौरान पक्ष-विपक्ष में हंगामा चलता रहा। वोटिंग से पहले कांग्रेस समेत अन्य कई दलों ने सदन से वॉक आउट कर दिया था। भाजपा और कांग्रेस ने चर्चा के मद्देनजर अपने-अपने सांसदों को व्हिप जारी किया था। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने बिल को ज्वाइंट सलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की थी जबकि सरकार इसे तत्काल पारित कराने के पक्ष में दिखी। 

सजा के प्रावधान पर आपत्ति क्योंः रविशंकर प्रसाद

इससे पहले चर्चा का जवाब देते हुए कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि पाकिस्तान भी भारत से सीख लेकर तीन तलाक को आपराधिक बनाने पर विचार कर रहा है। इसमें कोई राजनीति नहीं। 22 इस्लामिक मुल्कों ने भी तीन तलाक को नियंत्रित किया है, कई तरह के प्रावधान जोड़े गए हैं। अब सवाल उठाया जा रहा है कि पीड़ित महिलाओं को भत्ता और मुआवजा कैसे मिलेगा, इसे मजिस्ट्रेट के विवेक पर छोड़ दिया गया।

रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि मामले में आपत्ति थी कि कोई पड़ोसी मामला न दर्ज करा दे और सुलह भी हो सकती है, इसलिए इनमें सुधार किए गए। महिलाओं से संबंधित कई अन्य अपराधों में भी सजा का प्रावधान है, उसमें तो किसी को आपत्ति नहीं हुई। तीन तलाक के मामले में सजा के प्रावधान पर क्यों किसी को आपत्ति हो रही है।

धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप न करे सरकारः खड़गे

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मेरी गुजारिश है कि बिल को ज्वाइंट सलेक्ट कमिटी के पास भेजा जाए। 15 दिन में इस पर रिपोर्ट तलब हो। उन्होंने कहा कि सरकार किसी धार्मिक मामले में हस्तक्षेप कर रही है। इस बिल से करोड़ों महिलाएं प्रभावित होंगी और उनकी रक्षा जरूरी है। यह बिल समाज को जोड़ने के बजाय तोड़ने का बिल है। यह संविधान के खिलाफ हैं, मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ है। आर्टिकल 21 और 25 का उल्लंघन करता है। कांग्रेस, टीएमसी समेत कई अन्य दलों के सांसद तीन तलाक बिल को ज्वाइंट सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की।

राजनीतिक रूप न दिया जाएः स्मृति ईरानी

चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि इस देश ने वह मंजर भी देखा जब दहेज लेने का कुछ लोगों ने समर्थन किया, लेकिन सदन ने इसे अपराध माना. सती प्रथा को भी खत्म किया गया। भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि महिलाओं के लिए सरकार ने की काम किए हैं। बिल को राजनीतिक रूप न दिया जाए।

शिवसेना सांसद अरविंद गणपत सावंत ने तीन तलाक बिल का समर्थन किया। साथ ही केंद्र सरकार से यूनिफॉर्म सिविल कोड, धारा-370 और राम मंदिर के लिए भी कानून लाने की मांग की। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निर्माण राजनीतिक मुद्दा नहीं जनभावना है। काफी समय से यह मामला फंसा हुआ, यह संविधान का अपमान है।

कई देशों ने खत्म की है यह कुरीतिः नकवी

अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह इस्लाम धर्म से संबंधित मामला नहीं, यह एक सामाजिक कुरीति है। इसी तरह से सती प्रथा और बाल विवाह को भी खत्म किया गया। इस्लामिक देशों ने दशकों पहले तीन तलाक की कुरीति को खत्म किया।

एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि एक साल के बाद ट्रिपल तलाक बिल पर दोबारा चर्चा हो रही. इस एक साल में क्या बदला।

राफेल पर हुई रार 

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्यों ने राफेल डील की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग की। प्रश्नकाल के दौरान हंगामा होता रहा। हंगामे के चलते कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गई।

इससे पहले पिछले सप्ताह सदन में इस पर सहमति बनी थी कि 27 दिसंबर को विधेयक पर चर्चा होगी। इससे पहले कांग्रेस ने इस पर सहमति जताई थी कि वह 'मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018' पर होने वाली चर्चा में भाग लेगी। सरकार इस विधेयक को पिछले हफ्ते पास कराना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों द्वारा राफेल सौदे पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच समेत अन्य मांगों को लेकर हुए हंगामे के चलते बिल पर चर्चा नहीं हो सकी थी।

विपक्ष चर्चा के लिए तैयार

बता दें कि लोकसभा में पिछले सप्ताह जब मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2018 चर्चा के लिए लाया गया तो सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुझाव दिया कि इस पर अगले हफ्ते चर्चा कराई जाए। इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष से आश्वासन मांगा कि उस दिन बिना किसी बाधा के चर्चा होने दी जाएगी। इस पर खड़गे ने कहा, 'मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस विधेयक पर 27 दिसंबर को चर्चा कराइए। हम सभी इसमें हिस्सा लेंगे। हमारी पार्टी और अन्य पार्टियां भी चर्चा के लिए तैयार हैं।'

खड़गे के इस बयान पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था,'खड़गे जी ने सार्वजनिक वादा किया है और हमें 27 दिसंबर को चर्चा कराने में कोई समस्या नहीं है। मैं अनुरोध करता हूं कि चर्चा खुशनुमा और शांतिपूर्ण माहौल में हो।'

तीन बदलाव

तीन तलाक को दंडात्मक अपराध घोषित करने वाला यह विधेयक संबंधित अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है। इस प्रस्तावित कानून के तहत एक बार में तीन तलाक देना गैरकानूनी और अमान्य होगा तथा इसके लिए तीन साल तक की सजा हो सकती है। कुछ दलों के विरोध के मद्देनजर सरकार ने जमानत के प्रावधान सहित कुछ संशोधनों को मंजूरी प्रदान की थी ताकि राजनीतिक दलों में विधेयक को लेकर स्वीकार्यकता बढ़ सके।

पहला संशोधन

पहले- इस मामले में पहले कोई भी केस दर्ज करा सकता था। साथ ही पुलिस संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती थी।

अब- अब पीड़िता, सगे रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकेंगे।

दूसरा संशोधन

पहले- पहले गैर जमानती अपराध और संज्ञेय अपराध था. पुलिस बिना वॉरंट के गिरफ्तार कर सकती थी।

अब- मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा।

तीसरा संशोधन

पहले- पहले समझौते का कोई प्रावधान नहीं था।

अब- संशोधन के बाद-मजिस्ट्रेट के सामने पति-पत्नी में समझौते का विकल्प भी खुला रहेगा।

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