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भारी हंगामे के बीच लोकसभा में पेश हुआ तीन तलाक बिल, रविशंकर से लेकर ओवैसी तक जानें किसने क्या कहा

17वीं लोकसभा के गठन के बाद नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले सत्र के दौरान आज यानी शुक्रवार...
भारी हंगामे के बीच लोकसभा में पेश हुआ तीन तलाक बिल, रविशंकर से लेकर ओवैसी तक जानें किसने क्या कहा

17वीं लोकसभा के गठन के बाद नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले सत्र के दौरान आज यानी शुक्रवार को भारी हंगामे के बीच तीन तलाक बिल लोकसभा में पेश हो गया है। यह मोदी 2.0 का पहला बिल है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश कर दिया है। इस बिल के पेश होते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया। स्पीकर ओम बि़ड़ला ने कहा कि मंत्री सिर्फ बिल पेश करने की अनुमति मांग रहे हैं और किसी सदस्य की आपत्ति है तो फिर मैं जवाब देने के लिए तैयार हूं। इसके बाद हंगामे के बीच रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल लोकसभा में पेश कर दिया। बता दें कि सरकार के पिछले कार्यकाल में भी तीन तलाक पर बिल लाया गया था लेकिन यह राज्यसभा से पास नहीं हो पाया था।

वोटिंग के बाद फिर से बिल पेश

लोकसभा में ध्वनिमत से तीन तलाक बिल पेश होने का विपक्षी दलों ने विरोध किया, जिसके बाद इस पर डिवीजन कराया गया। वोटिंग के नतीजों में बिल को पेश करने के पक्ष में 186 वोट पड़े जबकि 74 सदस्यों ने बिल को पेश न करने के पक्ष में वोटिंग की। इसके बाद रविशंकर प्रसाद ने फिर से बिल को पेश कर दिया।

यह नारी न्याय का सवाल है: रविशंकर

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमने पिछली सरकार में इस बिल को लोकसभा से पारित किया था लेकिन राज्यसभा में यह बिल पेंडिंग रह गया था। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रक्रियाओं के अनुसार हम बिल को फिर से लेकर आए हैं। जनता ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है और कानून पर बहस अदालत में होती है और कोई लोकसभा को अदालत न बनाए। मंत्री ने कहा कि यह सवाल सियासत या इबादत का नहीं बल्कि नारी न्याय का है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में कहा गया है कि किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता, इसलिए यह संविधान के खिलाफ कतई नहीं है बल्कि उनके अधिकारों से जुड़ा है। 

यह नारी की गरिमा और न्याय से जुड़ा है: प्रसाद 

असदुद्दीन ओवैसी समेत विपक्ष की आपत्तियों का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'शायरा बानू के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक का मामला मनमाना और असंवैधानिक है। यह सवाल न सियासत का है, न इबादत का, न धर्म का, न मजहब का। यह सवाल है नारी के साथ न्याय और गरिमा का। भारत के संविधान में आर्टिकल 15 लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होने की बात कहता है।

कानून मंत्री ने बताया, क्यों जरूरी है बिल 

रविशंकर प्रसाद बिल की जरूरत पर बल देते हुए कहा, '70 साल बाद क्या संसद को नहीं सोचना चाहिए कि तीन तलाक से पीड़ित महिलाएं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी न्याय की गुहार लगा रही हैं तो क्या उन्हें न्याय नहीं मिलना चाहिए। 2017 से 543 केस तीन तलाक के आए, 239 तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आए। अध्यादेश के बाद भी 31 मामले सामने आए। इसीलिए हमारी सरकार महिलाओं के सम्मान और गरिमा के साथ है।' बता दें कि मोदी सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में 2 बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था, क्योंकि यह राज्यसभा से पारित नहीं हो सका था।

'इस बिल से सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी'

तीन तलाक बिल का विरोध करते हुए हैदराबाद से सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुसलमीन के सांसद (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह संविधान विरोधी व आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन है। मोदी सरकार को मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी है तो केरल की हिंदू महिलाओं से मोहब्बत क्यों नहीं? आखिर सबरीमला पर आपका रुख क्या है? 

सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक विधेयक पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अगर किसी गैर मुस्लिम को केस में डाला जाए तो उसे 1 साल की सजा और मुसलमान को 3 साल की सजा। क्या यह आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन नहीं है? इस बिल से सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी। आप मुस्लिम महिलाओं के हित में नहीं हैं बल्कि आप उन पर बोझ डाल रहे हैं। 

आपको मुस्लिम महिलाओं से इतनी मोहब्बत है, केरल की हिंदू महिलाओं से मोहब्बत क्यों नहीं 

ओवैसी ने कहा कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि अगर कोई शख्स एक समय में तीन तलाक देता है तो शादी नहीं टूटेगी। ऐसे में बिल में जो प्रवाधान है, उससे पति जेल चला जाएगा और उसे तीन साल जेल में रहना होगा। ऐसे में मुस्लिम महिला को गुजारा-भत्ता कौन देगा? आप (सरकार) देंगे?

 ओवैसी ने कहा कि आपको मुस्लिम महिलाओं से इतनी मोहब्बत है। केरल की हिंदू महिलाओं से मोहब्बत क्यों नहीं है। क्यों आप सबरीमला के फैसले के खिलाफ हैं? यह गलत हो रहा है।

 ये सिर्फ मुस्लिम समुदाय तक ही सीमित क्यों है

 ओवैसी से पहले कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सदन में कहा, ‘मैं इस बिल के पेश किए जाने का विरोध करता हूं। उन्होंने कहा कि मैं तीन तलाक का समर्थन नहीं करता, लेकिन इस बिल के विरोध में हूं। थरूर ने कहा, यह बिल संविधान के खिलाफ है, इसमें सिविल और क्रिमिनल कानून को मिला दिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की नजर में तलाक देकर पत्नी को छोड़ देना गुनाह है, तो ये सिर्फ मुस्लिम समुदाय तक ही सीमित क्यों है।

 उन्होंने कहा कि क्यों इस कानून को सभी समुदाय के लिए लागू किया जाना चाहिए। कांग्रेस की ओर से कहा गया कि सरकार इस बिल के जरिए मुस्लिम महिलाओं को फायदा नहीं पहुंचा रही है बल्कि सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को ही सजा दी रही है।

 'राज्यसभा में संख्याबल कम होने के कारण पास नहीं हो पाया था बिल'

मोदी सरकार के इस बिल को जहां एक तरफ समर्थन मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर इसका विरोध भी किया जा रहा है। पिछले साल दिसंबर में यह बिल लोकसभा में पास हो गया था। पत्नी को तीन तलाक देने वाले मुस्लिम शख्स को तीन साल सजा का प्रावधान इस बिल में है। लेकिन राज्यसभा में संख्याबल कम होने के कारण बिल पास नहीं हो पाया था। विपक्षी पार्टियों की मांग थी कि इसे पुनरीक्षण के लिए संसद की सिलेक्ट कमेटी को भेजा जाए, लेकिन सरकार ने यह मांग खारिज कर दी।

'इस बिल से मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार रुकेगा' 

पिछली सरकार में जब यह बिल सामने लाया गया तो ज्यादातर विपक्षी पार्टियां पति को जेल भेजने जैसे सख्त प्रावधान के खिलाफ थीं। उन्होंने तर्क दिया कि एक घरेलू मामले में सजा के प्रावधान को पेश नहीं किया जा सकता और यह बिल मुसलमानों को पीड़ित करने वाला होगा। वहीं, इस पर सरकार का कहना है कि इस बिल से मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार रुकेगा और उन्हें समान अधिकार मिलेगा।

हाल ही में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था, 'प्रस्तावित कानून लिंग समानता पर आधारित है और यह मोदी सरकार के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के सिद्धांत का हिस्सा है।'

तीन तलाक बिल का कांग्रेस और जेडीयू करेंगी विरोध

भले ही नीतीश कुमार की जेडीयू बिहार में बीजेपी के साथ गठबंधन में हो लेकिन गुरुवार को पार्टी ने कहा कि वह तीन तलाक के मुद्दे पर राज्यसभा में एनडीए का समर्थन नहीं करेगी। बिहार के मंत्री श्याम रजक ने कहा था, जेडीयू इसके विपक्ष में है और हम लगातार इसके खिलाफ खड़े रहेंगे’। उन्होंने कहा था कि यह एक सामाजिक मुद्दा है और समाज के जरिए इसका हल निकाला जाना चाहिए। बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी तीन तलाक बिल का विरोध कर चुके हैं।

'इस बिल के कुछ प्रावधानों पर बहस की जरूरत है'

वहीं, कांग्रेस ने भी तीन तलाक बिल के विरोध का ऐलान किया है। कांग्रेस का कहना है कि इस बिल के कुछ प्रावधानों पर बहस की जरूरत है। पार्टी नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था, तीन तलाक पर कांग्रेस ने कुछ बुनियादी मुद्दे उठाए हैं और सरकार कई बिंदुओं पर सहमत है। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर पहले ही सरकार हमारी बात मान लेती तो काफी समय बच जाता।

मोदी कैबिनेट ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 को दी मंजूरी 

नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने बुधवार को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी। यह फरवरी में लाए अध्यादेश की जगह लेगा। मोदी सरकार का कहना है कि यह बिल लैंगिक समानता व लैंगिक न्याय सुनिश्चित करेगा। साथ ही शादीशुदा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेगा और 'तलाक-ए-बिद्दत' को रोकेगा।

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