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भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल: मोदी ने कहा, 'लोग छोटी-छोटी बातों में हिंसक हो रहे हैं'

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, राजनीति से ऊपर राष्ट्रनीति होती है। साल 1942 में देश का हर व्यक्ति नेता बन गया था। उन्होंने कहा कि दल से बड़ा देश होता है।
भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल: मोदी ने कहा, 'लोग छोटी-छोटी बातों में हिंसक हो रहे हैं'

भारत छोड़ो आंंदोलन के 75 साल पूरे हो चुके हैं। मोदी सरकार आज संसद में आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ मना रही है। इस खास मौके के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है। 9 अगस्त 1942 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत की थी। भारत को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी दिलाने में इस आंदोलन की बड़ी भूमिका थी। 

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ बातें कहीं। जानिए प्रमुख बातें-

- ''आजादी आंदोलन में हमारी महिलाओं का अहम योगदान रहा।''

- ''आज छोटी-छोटी बात पर लोग हिंसक हो रहे हैं। भ्रष्टाचार रूपी दीमक ने देश को बर्बाद करके रखा हुआ है। अगर मैं रेड लाइट क्रॉस करके निकलता हूं, तो लगता ही नहीं कि गलत कर रहा हूं। हमारे व्यवाहर में नियमों को तोड़ना स्वभाव बनता जा रहा है। कहीं एक्सीडेंट हो गया, तो ड्राइवर को मार देते हैं और कार को जला देते हैं। हमारी 'वे ऑफ लाइफ' में ऐसी चीजें घुस गई हैं कि लगता ही नहीं, कानून तोड़ रहे हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि हम कर्तव्यभाव को जगाएं। छोटी-छोटी गलतियां हमारे व्यवहार का हिस्सा बन गई हैं।''

- ''गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण बड़ी चुनौतियां हैं। हमें इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने होंगे। हमें देश से भ्रष्टाचार को उखाड़ कर फेंकना होगा। भ्रष्टाचार ने देश को खोखला कर दिया है। हमें भ्रष्टाचार को उखाड़ कर फेंकना होगा।''

- ''राजनीति से ऊपर राष्ट्रनीति होती है। साल 1942 में देश का हर व्यक्ति नेता बन गया था। उन्होंने कहा कि दल से बड़ा देश होता है। आज हम मिलकर काम करेंगे तो हमें सफलता जरुर मिलेगी। आज हमारे पास गांधी नहीं हैं, लेकिन सवा सौ करोड़ देशवासियों के साथ मिलकर काम करें, तो गांधी के सपनों को पूरा करना मुश्किल काम नहीं है। 1942 में उस समय भी हम कई देशों के लिए प्रेरणा का कारण बने थे, वैसे ही मोड़ पर आज भी खड़े हैं। आज भी हम दूसरे देशों के लिए प्रेरणा का कारण बन सकते हैं। हमारे लिए दल से बड़ा देश होता है, राजनीति से ऊपर राष्ट्रनीति होती है। मुझसे ऊपर सवा सौ करोड़ देशवासी होते हैं। अगर हम मिलकर चलें, तो समस्याओं के खिलाफ आगे बढ़ सकते हैं।''

- ''देश में उस समय भावनाएं चरम पर थीं। रामवृक्ष बेनीपुरी ने 'जंजीरें और दीवारें' में लिखा है कि उस समय देश में एक अद्भुत वातावरण बन गया। हर व्यक्ति नेता बन गया। हर चौराहे और कोने में 'करो या मरो' का नारा गूंजने लगा। हर व्यक्ति ने 'करो या मरो' के गांधीवाधी मंत्र को अपने दिल में बसा लिया। ब्रिटिश उपनिवेशवाद भारत से शुरू हुआ, और उसका अंत भी यहीं हुआ, क्योंकि जब हम एक मन से संकल्प करके लक्ष्य में जुट जाते हैं, तो देश को गुलामी की जंजीरों से बाहर निकाल सकते हैं। राष्ट्रकवि सोहन लाल द्विवेदी की कविता का जिक्र किया और कहा कि, जिस तरफ गांधी के कदम पड़ जाते थे, वहां करोड़ों लोग चलने लगते थे. जहां गांधी की दृष्टि पड़ जाती थी, करोड़ों लोग उस ओर देखने लगते थे।''

- ''आज हमें मिलकर काम करने की जरुरत है। आइए हम 2022 तक भारत को गंदगी, गरीबी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, सांप्रदायिकता से मुक्त करने का संकल्प ले हैं और ‘न्यू इंडिया’ का सपना पूरा करें। हम ईमानदारी से काम करने का संकल्प लेते हैं। आज हमें पता ही नहीं है कि हम क्या गलत कर रहे हैं और क्या सही कर रहे हैं। आज हम कानून तोड़ देते हैं, कहीं भी गंदगी फैला देते हैं।''

- ''1942 में देश में अभी नहीं तो कभी नहीं का माहौल बना था। उस दौरान आजादी के इस आंदोलन ने दुनिया कई देशों में आजादी की लौ जला दी थी।''

- '' सभी मिलकर गरीबों को उनका अधिकार दिलाएंगे, नौजवानों को रोजगार के अवसर देंगे और देकर रहेंगे, कुपोषण के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे और लड़के रहेंगे। महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकने वाली बेड़ियों को खत्म करेंगे और करके रहेंगे। अशिक्षा को खत्म करेंगे और करके रहेंगे। करेंगे या मरेंगे ये बापू के शब्द थे। हमारा मंत्र है, करेंगे और कर के रहेंगे।

- पांच साल का 'हाई जंप' वाला समय हम 2017 से 2022 के बीच दोबारा ले आएं, तो भारत पूरे दुनिया के लिए प्रेरणा बनेगा. जीएसटी की सफलता किसी एक की सफलता नहीं, इस सदन में बैठे हर आदमी की इच्छा है. यह दुनिया के लिए अजूबा है. दुनिया सोच रही है कि यह देश कर सकता है, तो कोई भी कर सकता है. 2017 से 22 के दौरान हम मिलकर काम करेंगे, तो भारत को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे. हम 2022 तक देश से भ्रष्टाचार दूर करेंगे.


बता दें कि दिन भर चलने वाली इस चर्चा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता हिस्सा लेंगे। आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ विशेष सत्र की चर्चा का समापन करेंगे। इस विशेष सत्र में संसद की दूसरी कोई कार्यवाही नहीं होगी।

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