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राफेल पर CAG रिपोर्ट राज्यसभा में पेश, एनडीए की डील यूपीए से 2.86% सस्ती

लोकसभा चुनाव से पहले राफेल पर सरकार और विपक्ष के बीच तकरार जारी है। वहीं, भारी विरोध के बीच राज्यसभा...
राफेल पर CAG रिपोर्ट राज्यसभा में पेश, एनडीए की डील यूपीए से 2.86% सस्ती

लोकसभा चुनाव से पहले राफेल पर सरकार और विपक्ष के बीच तकरार जारी है। वहीं, भारी विरोध के बीच राज्यसभा में कैग की रिपोर्ट पेश की गई। कैग रिपोर्ट में विमान के दाम नहीं बताए गए हैं। हालांकि इस रिपोर्ट के मुताबिक यूपीए के मुकाबले एनडीए के शासनकाल में 2.86% सस्ती डील फाइनल करने की बात कही गई है। बता दें कि मोदी सरकार के समय में 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का सौदा हुआ। इससे पहले यूपीए के समय में 126 राफेल का सौदा हुआ था, पर कई शर्तों पर आम राय नहीं बन सकी थी।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने कैग रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि यूपीए के मुकाबले एनडीए के शासनकाल में 2.86% सस्ती डील फाइनल की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 126 विमानों की पुरानी डील की तुलना में 36 राफेल विमानों का नया सौदा कर भारत 17.08% पैसा बचाने में कामयाब रहा है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पुरानी डील के मुकाबले नई डील में 18 विमानों की डिलीवरी का समय बेहतर है। शुरुआती 18 विमान भारत को पांच महीने जल्दी मिल जाएंगे।

इस रिपोर्ट से मोदी सरकार को काफी राहत मिली है, जो लड़ाकू विमान सौदे को लेकर कांग्रेस द्वारा लगातार हमलों का सामना कर रही है। केंद्र ने राफेल मुद्दे पर विपक्षी पार्टी द्वारा लगाए गए आरोपों को बार-बार नकारा है। रिपोर्ट राज्यसभा में पेश किए जाने के बाद केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट कर लिखा, 'सत्यमेव जयते-सत्य की जीत हमेशा होती है। राफेल पर कैग रिपोर्ट से यह कथन एक बार फिर सच साबित हुआ है।' एक अन्य ट्वीट में जेटली ने कहा, 'कैग रिपोर्ट से महाझूठबंधन के झूठ उजागर हो गए हैं।' 

इधर, कांग्रेस ने कैग रिपोर्ट पर प्रश्न खड़े किए हैं। 141 पेज की यह रिपोर्ट रखे जाने के बाद राज्यसभा में हंगामा शुरू हो गया, जिसकी वजह से सभापति को सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। 

विपक्ष का प्रदर्शन

संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही विपक्षी दलों का मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत अन्य कांग्रेस नेताओं ने संसद परिसर में गांधी मूर्ति के पास राफेल मुद्दे पर प्रदर्शन किया। इस दौरान सांसदों ने 'चौकीदार चोर है' के नारे लगाए।


कैग की रिपोर्ट को लेकर सिब्बल ने उठाए थे सवाल

कैग की रिपोर्ट को लेकर पूर्व केन्द्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने रविवार को कुछ सवाल उठाए। उन्होंने इस मामले में हितों के टकराव की बात उठायी है। सिब्बल ने कहा है कि मौजूदा कैग राजीव महर्षि सौदे के समय वित्त सचिव थे और इस सौदे से जुड़े थे। ऐसे में उन्हें इसकी ऑडिट से अपने को अलग कर लेना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि महर्षि 24 अक्टूबर 2014 से 30 अगस्त 2015 तक वित्त सचिव थे। इसी बीच में प्रधानमंत्री मोदी 10 अप्रैल 2015 को पेरिस गए और राफेल सौदे पर हस्ताक्षर की घोषणा की। सिब्बल ने कहा, ‘‘ वित्त मंत्रालय ने इस सौदे की बातचीत में अहम भूमिका निभायी। अब यह साफ है कि राफेल सौदा राजीव महर्षि की निगरानी में हुआ। अब वह कैग के पद पर हैं। हमने उनसे दो बार मुलाकात की 19 सितंबर और चार अक्टूबर 2018 को। हमने उनसे कहा कि इस सौदे की जांच की जानी चाहिए, क्योंकि इसमें भ्रष्टाचार हुआ है। लेकिन वह खुद के खिलाफ कैसे जांच शुरू कर सकते हैं।’’

‘मनगढ़ंत’ तथ्यों के आधार पर कलंक लगा रही कांग्रेस’

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने सिब्बल के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ‘मनगढ़ंत’ तथ्यों के आधार पर कांग्रेस कैग जैसे संस्थान पर कलंक लगा रही है। जेटली ने रविवार को ट्वीट कर कहा, ‘‘ गलत तथ्यों के आधार पर ‘संस्थानों को नुकसान पहुंचाने वाले’ कैग जैसे संस्थान पर हमला कर रहे हैं। सरकार में 10 साल तक रहने के बाद भी संप्रग के मंत्री यह नहीं जानते कि वित्त सचिव का पद ऐसा पद है जो वित्त मंत्रालय में सबसे वरिष्ठ सचिव को दिया जाता है।’’    

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