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पंजाब: प्रशांत किशोर को कैबिनेट मंत्री जैसी सुविधा, बंगाल जैसे हालात नहीं, कैप्टन को कैसे देंगे ममता जैसा गिफ्ट

कहने को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भले ही अपनी सेवाआंे से सन्यास का एलान किया है पर पंजाब में 2022...
पंजाब:  प्रशांत किशोर को कैबिनेट मंत्री जैसी सुविधा, बंगाल जैसे हालात नहीं, कैप्टन को कैसे देंगे ममता जैसा गिफ्ट

कहने को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भले ही अपनी सेवाआंे से सन्यास का एलान किया है पर पंजाब में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले ही केबिनेट मंत्री दर्जाधारी प्रशांत को वे तमाम सुविधाएं पंजाब सरकार की ओर से मुहैया कराई जा रही है जो केबिनेट मंत्री ले रहे हैं। हालांकि प्रशांत किशोर को अपना प्रधान सलाहकार नियुक्त किए जाने के वक्त पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदंर सिंह ने कहा था कि अपनी सेवाओं के लिए प्रशांत सरकार से मात्र एक रुपया लेंगे पर उन सेवाओं का क्या जो एक केबिनेट मंत्री के तौर पर प्रशांत को दी जा रही हैं। मार्च के महीने में नियुक्ति के समय से लेकर अब तक प्रशांत मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदंर सिंह समेत,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ और विधायकों से कई दौर की चर्चा में पंजाब के जमीनी हालात और िसयासी गतिविधियों की जानकारी ले चुके हैं।

 

   भले ही प्रशांत ने संन्यास का एलान किया है पर साथ ही यह भी कहा है कि रणनीतिकार के तौर पर अब उनकी टीम काम करेगी। ऐसे में प्रशांत के एलान कोई मतलब नहीं रह जाता क्योंकि टीम की कमान तो प्रशांत के हाथ ही है। 2022 में दूसरी बार कैप्टन की सरकार के लिए प्रशांत की टीम ने काम शुरु कर दिया है। चुनावी घोषणा पत्र के वादांे को एक-एक करके अगले छह महीनें में पूरा करने की कवायद तेज हो गई है। दलित लड़कियों की शादी के लिए शगुन की स्कीम में सहायता रािश 21,000 रुपए से बढ़ाकर 51,000 रुपए और सरकारी स्कूलों की 12 वीं छात्राआंे को स्मार्ट फोन दिए जा रहे हैं। एक जुलाई से बुढ़ापा पेंशन भी 750 रुपए से बढ़ाकर 1500 रुपए की जा रही है।

 

   संभवत जनवरी,फरवरी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए दिसंबर 2021 में आचार संहिता लागू होने से पहले सरकार की कोशिश है कि कुछ और चुनावी वादे पूरे किए जाएं पर कोरोना की सुनामी में सरकारी खजाने पर पड़े बोझ ने सरकार की इस कोशिश को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है। ऐसे मेंं प्रशांत किशोर और उनकी टीम के लिए फिर से कांग्रेस की पंजाब में जीत सुनिश्चित करना कड़ी चुनौती होगी। इधर धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मामलों पर आरोपियों को सजा दिलाने में सरकारी की नाकामयाबी भी कैप्टन की अगली पारी के रास्ते का बड़ा रोड़ा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर द्वारा जीत के लिए कांग्रेस को दिए ‘कैप्टन के नौं नुक्ते’चुनावी नैया पार कराने में तो कारगर हो गए पर इन नौं नुक्तांे के तौर पर जनता से किए चुनावी वादों में से 50 फीसदी भी सरकार का चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर भी नहीं निभा पाए। हालांकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का दावा है कि 85 फीसदी चुनावी वादे पूरे किए गए हैं।

 

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