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गुजरातः चुनाव से एक साल पहले रुपाणी को क्यों देना पड़ा सीएम पद से इस्तीफा, ये है इनसाइड स्टोरी

अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम के तहत गुजरात में शनिवार को मुख्यमंत्री पद से विजय रुपाणी ने अपना...
गुजरातः चुनाव से एक साल पहले रुपाणी को क्यों देना पड़ा सीएम पद से इस्तीफा, ये है इनसाइड स्टोरी

अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम के तहत गुजरात में शनिवार को मुख्यमंत्री पद से विजय रुपाणी ने अपना इस्तीफा राजभवन में राज्यपाल देवव्रत आचार्य को सौंप दिया। यूं तो किसी को अंदाजा नहीं था कि रुपाणी की कुर्सीं अचानक कुर्सी चली जाएगी लेकिन उनके हटाए जाने की चर्चा काफी समय से चल रही थी। बताया जा रहा है कि विजय रूपाणी भाजपा के गुजरात विजय के प्लान में फिट नहीं बैठ रहे थे। रुपाणी के इस्तीफे की पटकथा पिछले साल दिसंबर से ही शुरू हो गई थी क्योंकि पिछले साल दिसंबर में पार्टी संगठन ने उनके खिलाफ रिपोर्ट दी थी। आइए जाने वो क्या कारण हैं, जो रुपाणी के खिलाफ गए।

सूत्रों के मुताबिक, राज्य संगठन की रिपोर्ट विजय रुपाणी के खिलाफ थी। गुजरात में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। रिपोर्ट में कहा गया था कि  रुपाणी के नेतृत्व में चुनाव में जीतना मुमकिन नहीं है। दो दिन पहले ही बीएल संतोष को गांधी नगर भेजा गया था। रिपोर्ट के बाद तय हो गया था कि पार्टी सीएम बदलेगी। 

पिछले चुनाव में भाजपा ने गुजरात में बहुत मुश्किल से जीत हासिल की थी। इसके बाद किसी तरह चार साल तक मामला चला, लेकिन जबकि चुनाव को एक साल बचा है, पार्टी यहां कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। सीआर पाटिल के अध्यक्ष बनने के बाद रूपाणी के लिए मुश्किलें और बढ़ गई थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि अमित शाह के करीबी होने के नाते रूपाणी की कुर्सी अभी तक बची हुई थी। लेकिन सीआर पाटिल ने अब पार्टी से स्पष्ट कर दिया था कि अगर अगले साल चुनाव में बड़ी जीत हासिल करनी है तो फिर नेतृत्व में बदलाव जरूरी है।

अगले चुनाव में पार्टी विजय रुपाणी को चेहरा बनाकार नहीं उतरना चाहती थी। इसके बड़ी वजह थी गुजरात का जातीय समीकरण। गुजरात के जातीय समीकरण को साधने के लिए ही कुछ समय पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में मनसुख मंडाविया को जगह दी गई थी।

केंद्रीय नेतृत्व ने दो दिन पहले ही संगठन महामंत्री बीएल संतोष को गांधीनगर भेजकर इस्तीफे का समय और तारीख तय करवा दी थी। इस्तीफा देने के बाद विजय रुपाणी ने कहा कि भाजपा की ये परंपरा रही है कि समय के साथ-साथ कार्यकर्ताओं के दायित्व भी बदलते रहते हैं। 

कोरोना की दूसरी लहर रूपाणी के लिए भारी मुसीबत बनकर आई। इस दौरान गुजरात में मिसमैनेजमेंट की कई खबरें बाहर आईं। सूत्रों का दावा है कि इसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खुश नहीं थी। अपने गृह प्रदेश में इस तरह की लापरवाही होती देख, पीएम मोदी खासे नाराज थे।

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