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उत्तर प्रदेश: रूठों को मनाने में लगी बीजेपी, अमित शाह ने खुद संभाली कमान

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को भले ही एक साल बाकी है लेकिन भारतीय जनता पार्टी अपनी सत्ता बरकरार...
उत्तर प्रदेश: रूठों को मनाने में लगी बीजेपी, अमित शाह ने खुद संभाली कमान

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को भले ही एक साल बाकी है लेकिन भारतीय जनता पार्टी अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए रणनीति बनाने में अभी से जुट गई है। पिछले विधानसभा चुनाव की कमान संभालने वाले गृहमंत्री अमित शाह इस बार भी मिशन यूपी के लिए सक्रिय हो गए हैं। भाजपा की नजर अपने पूर्व और नाराज सहयोगी दलों और को फिर से वापस लाने की ओर है। लिहाजा पार्टी अपना दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, निषाद पार्टी को साधने में जुट गई है।


माना जाता है कि पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने में अमित शाह की महत्वपूर्ण भूमिका थी। पार्टी की चुनावी रणनीति उनके ही नेतृत्व में तैयार की गई थी। अब जब सूबे में चुनाव को सिर्फ एक साल बचे हैं तब एक बार फिर शाह ने जिम्मेदारी संभाल ली है। इसी क्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल से गुरुवार को दिल्ली में मुलाकात की। इसके अलावा अमित शाह और हाल ही में भाजपा में शामिल हुए पूर्व आईएएस अधिकारी एके शर्मा ने निषाद समाज के नेता डॉक्टर संजय कुमार निषाद और संत कबीर नगर के सांसद प्रवीण निषाद से भी मुलाकात की। वहीं एक बड़े बीजेपी नेता ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर को मनाने की कवायद शुरू की है।


केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल से गुरुवार को दिल्ली में मुलाकात की। सूत्रों की मानें तो इस मुलाकात के दौरान अनुप्रिया पटेल ने प्रदेश की कैबिनेट में दो मंत्री पद की मांग की है। इससे पहले पार्टी ने अनदेखा किये जाने का आरोप लगाया था। बता दें कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अनुप्रिया पटेल को केंद्रीय कैबिनेट में जगह नहीं मिली। जबकि पहले कार्यकाल में वह केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री थीं। वहीं अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल जो अपना दल (एस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पार्टी के एमएलसी भी हैं, उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में जगह नहीं मिली। आशीष पटेल ने कहा था कि प्रदेश भाजपा नेतृत्व हमे सम्मान नहीं दे रहा है जिसके हम हकदार हैं। उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप की मांग की थी। हालांकि अब बीजेपी फिर से इस दल को मनाने में जुट गई है।

वहीं निषाद पार्टी के डा. संजय निषाद से भी अमित शाह ने मुलाकात की है। इससे पहले वे भाजपा पर तीखे हमले करते रहे हैं। अब उन्होंने पार्टी की चिंताओं से उन्हें अवगत कराया। खबरों के अनुसार संजय ने कहा कि पार्टी ने निषादों समेत 14 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का वादा किया था लेकिन कुछ नहीं हुआ। उन्होंने निषादों को तालाबों-पोखरों में पट्टे में 10 लाख रुपये फीस लिए जाने के मुद्दे को उठाया और उन्हें निषाद समाज की समस्याओं की जानकारी दी। अमित शाह ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह अफसरों के साथ बैठकर इस पर मंथन करेंगे और जल्द ही कोई निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात का वक्त मांगा है। इन मुलाकातों के बीच पूर्व आईएएस अधिकारी और एमएलसी एके शर्मा ने भी निषाद पार्टी के प्रमुख नेताओं से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने ट्वीट कर बताया, ‘‘निषाद समाज के प्रिय नेता, पार्टी सुप्रीमो एवं मछुआरा समाज के राजनीतिक ‘गाडफादर’ संजय कुमार निषाद एवं संत कबीर नगर से लोकप्रिय सांसद प्रवीण निषाद जी से शुभेच्छा मुलाक़ात हुई। इन समाज के लोगों के विकास हेतु साथ में कार्य करेंगे।’’

बीजेपी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर को भी मनाने का प्रयास कर रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव के मतदान खत्म होने के अगले ही दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओमप्रकाश राजभर को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। जिसके बाद पंचायत चुनाव में उन्होंने ओवैसी के साथ मिलकर एक मोर्चा भी बनाया। हालांकि ओम प्रकाश राजभर ने ट्वीट करके कहा, 'भाजपा डूबती हुई नैया है, जिसको इनके रथ पर सवार होना है, हो जाये, पर हम सवार नहीं होंगे, जब चुनाव नजदीक आता है तब इनको पिछड़ों की याद आती है जब मुख्यमंत्री बनाना होता है तो बाहर से लाकर बना देते है, हम जिन मुद्दों को लेकर समझौता किये थे साठे चार साल बीत गया एक भी काम पूरा नहीं हुआ।' बता दें कि पूर्वांचल के कई जिलों में राजभर जाति का वोट राजनीति समीकरण बनाने और बिगाड़ने की हैसियत रखता है। प्रदेश में राजभर समुदाय की जनसंख्या लगभग 3 फीसदी है लेकिन पूर्वांचल के जिलों में राजभर मतदाताओं की संख्या 12 से 22 प्रतिशत है।

 

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