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ओमप्रकाश राजभर को योगी सरकार ने किया बर्खास्त, राज्यपाल ने दी मंजूरी

लोकसभा चुनाव समाप्त होते ही अब उत्तर प्रदेश में भाजपा और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) का नाता...
ओमप्रकाश राजभर को योगी सरकार ने किया बर्खास्त, राज्यपाल ने दी मंजूरी

लोकसभा चुनाव समाप्त होते ही अब उत्तर प्रदेश में भाजपा और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) का नाता आज पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल राम नाइक से सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को मंत्री पद से बर्खास्त करने की सिफारिश की जिसे राज्यपाल ने मंजूर कर उनको पद से मुक्त कर दिया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल से पिछड़ा वर्ग कल्याण और दिव्यांग जन कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने की सिफारिश की। इसके बाद राज्यपाल राम नाईक ने ओम प्रकाश राजभर को तात्कालिक प्रभाव से प्रदेश मंत्रिमण्डल की सदस्यता से पदमुक्त कर दिया है। इसके साथ ही राजभर की पार्टी के उन सभी नेताओं को भी हटा दिया गया है, जिनको मंत्री का दर्जा दिया गया था।

बता दें कि काफी समय से राजभर अपने विवादस्पद बयानों को लेकर योगी सरकार के लिए लगातार मुसीबत बने हुए थे। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उन्हें पद से हटाने के लिए राज्यपाल की मदद लेनी पड़ी है। सीएम ऑफिस की ओर से ट्वीट कर इसकी आधिकारिक जानकारी दी गई। सीएम ऑफिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, 'योगी आदित्यनाथ ने महामहिम राज्यपाल को पिछड़ा वर्ग कल्याण और दिव्यांग जन कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने की सिफारिश की।'

हटाए गए ये सदस्य

मंत्री ओमप्रकाश राजभर के साथ 5 निगमों में भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के 7 अध्यक्ष और सदस्यों को भी पद मुक्त किया गया। ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर को सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के चेयरमैन पद से हटाया गया। तो उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम के अध्यक्ष पद से राणा अजीत सिंह को हटाया गया। जबकि राष्ट्रीय एकीकरण परिषद से सुनील अर्कवंशी और राधिका पटेल को हटाया गया। वहीं उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद के सदस्य पद से सुदामा राजभर को तो उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग से गंगा राम राजभर और वीरेंद्र राजभर को भी हटाया गया।

ओपी राजभर ने क्या कहा?

योगी सरकार के फैसले पर ओपी राजभर  ने कहा, “हम उनके फैसले का स्वागत करते हैं। सीएम ने बहुत अच्छा फैसला लिया है। उन्होंने सामाजिक न्याय समिति का गठन किया और अपनी रिपोर्ट को एक कूड़ेदान में फेंक दिया, उनके पास इसे लागू करने के लिए अतिरिक्त समय नहीं था। मैंने उनसे सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को जल्द से जल्द लागू करने का अनुरोध किया।”

इस तरह गहराया विवाद

 लोकसभा चुनावों के दौरान राजभर भाजपा से घोसी सहित दो लोकसभा सीट का टिकट अपने दल के लिए मांग रहे थे। भाजपा उन्हें घोसी से टिकट देने के लिए राजी हो गई लेकिन अपने चिह्न पर लड़ने की शर्त रख दी। लेकिन इसके लिए ओम प्रकाश राजभर राजी नहीं हुए। इस बात से निराश राजभर एक दिन देर रात सीएम योगी आदित्यनाथ के यहां इस्तीफा देने पहुंच गए लेकिन उनका इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ। इसके बाद राजभर की पार्टी ने भाजपा के खिलाफ 39 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया। मऊ में एक सभा के दौरान ओमप्रकाश पर भाजपा नेताओं को गालियां देने और जूते मारने का आरोप लगाया। इसके बाद उन पर कार्रवाई तय मानी जा रही थी।

 -एजेंसी इनपुट्स

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