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"यह कांग्रेस का बिल है, बहुत पहले लाया जाना चाहिए था": महिला आरक्षण बिल पर विपक्ष

महिला आरक्षण बिल पर जारी चर्चा के बीच विपक्ष ने एक तरफ़ जहां बिल पर खुशी जताई है। वहीं, विपक्षी नेताओं...

महिला आरक्षण बिल पर जारी चर्चा के बीच विपक्ष ने एक तरफ़ जहां बिल पर खुशी जताई है। वहीं, विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह बिल कांग्रेस का बिल है और पीएम मोदी ने इसे लाने में देरी की है।

दरअसल, न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि आज लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस बिल को पेश करेंगे। विधेयक को सदन में पारित कराने के लिए कल 20 सितंबर को चर्चा होगी। यह बिल 21 सितंबर को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा, "मोदी जी ने इसे आगे बढ़ाने के लिए लगभग 10 साल तक इंतजार क्यों किया...क्यों? क्योंकि 2024 नजदीक है। तो ये है बीजेपी की राजनीति।"

कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा, ''ये कांग्रेस का बिल है। ये कांग्रेस लेकर आई थी। मार्च 2010 में ये राज्यसभा से पास हो गया था। बीजेपी को सत्ता में आए 9.5 साल हो गए हैं। चुनाव से ठीक पहले उन्हें महिला आरक्षण विधेयक की याद क्यों आई? आप सत्ता पाना चाहते हैं लेकिन अगर विधेयक सदन के समक्ष आता है तो हम उसका स्वागत करेंगे।"

शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "यह विधेयक बहुत पहले लाया जाना चाहिए था। यह 2014 में भाजपा के घोषणापत्र में था, लेकिन यह मोदी सरकार के 9.5 साल बाद हो रहा है। मुझे उम्मीद है कि इससे महिलाएं सही तरीके से सशक्त होंगी। मुझे उम्मीद है कि विधेयक यथाशीघ्र पारित हो जाएगा। मुझे उम्मीद है कि यह विधेयक 2024 के लोकसभा चुनाव में लागू होगा और 33% महिलाएं निर्वाचित होंगी और देश के विकास में भाग लेंगी।"

आप सांसद सुशील गुप्ता ने कहा, ''एक दशक से यह बिल राज्यसभा से पारित होने के बाद लंबित था। इसे लगभग दस साल पहले पारित हो जाना चाहिए था जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी। इसके लिए विशेष सत्र बुलाना पड़ा। देर आये दुरुस्त आये, ऐसा होना ही चाहिए। महिलाओं को उनका अधिकार मिलना चाहिए। आम आदमी पार्टी हमेशा महिलाओं के बेहतर प्रतिनिधित्व के समर्थन में है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह बिल कांग्रेस सरकार के दौरान राज्यसभा में पारित हुआ था। लेकिन लोकसभा में यह पारित नहीं हो सका। उस समय के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों दोषी हैं।"

दूसरे दिन लोकसभा और राज्यसभा की ऐतिहासिक संयुक्त बैठक के लिए संसद में प्रवेश करते समय कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को कहा कि यह हमारा और अपना है, इसके बारे में क्या कहना।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक में महिला आरक्षण विधेयक (डब्ल्यूआरबी) को मंजूरी दे दी।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "हम चाहते हैं कि महिला आरक्षण विधेयक जल्द से जल्द लाया और पारित किया जाए। इसकी मांग की शुरुआत यूपीए और हमारी नेता सोनिया गांधी से ही शुरू हुई थी। अधिक समय लग गया, लेकिनअगर इसे पेश किया जाता है तो हमें खुशी होगी।"

सोमवार को कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा था, "कांग्रेस पार्टी लंबे समय से महिला आरक्षण लागू करने की मांग कर रही है। हम कथित तौर पर आने वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का स्वागत करते हैं और विधेयक के विवरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।"

हालांकि उन्होंने आगे यह भी कहा कि विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में इस पर गहन चर्चा की जा सकती थी और पर्दे के पीछे की राजनीति के बजाय आम सहमति बनाई जा सकती थी। बता दें कि आरक्षित सीटों का आवंटन संसद द्वारा निर्धारित प्राधिकारी द्वारा निर्धारित किया जाएगा।

वर्तमान में, लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या का एक तिहाई उन समूहों की महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाएगा। इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 वर्ष बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा। विदित हो कि 2010 में राज्यसभा ने उसे पारित किया था लेकिन बिल लोकसभा से पारित नहीं हो सका।

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