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कांग्रेस ने पूछा, गिरफ्तार डीएसपी देवेंद्र सिंह की संसद और पुलवामा हमले में क्या थी भूमिका

कांग्रेस ने डीएसपी देवेंद्र सिंह की गिरफ्तारी को बड़ी साजिश बताते हुए पूछा है कि संसद और पुलवामा हमले...
कांग्रेस ने पूछा, गिरफ्तार डीएसपी देवेंद्र सिंह की संसद और पुलवामा हमले में क्या थी भूमिका

कांग्रेस ने डीएसपी देवेंद्र सिंह की गिरफ्तारी को बड़ी साजिश बताते हुए पूछा है कि संसद और पुलवामा हमले में उसकी क्या भूमिका थी। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि डीएसपी की गिरफ्तारी की पूरी कहानी संशय पैदा करती है। उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से जवाब मांगा है। बता दें कि जम्‍मू पुलिस के डीएसपी देवेंद्र सिंह को राज्य पुलिस ने 11 जनवरी को सर्च ऑपरेशन के दौरान हिज्बुल के दो आतंकियों के साथ गिरफ्तार किया था। मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपी गई है।

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि देवेंद्र सिंह कौन है? उसका हिज्बुल और अन्य जम्मू-कश्मीर के आतंकवादियों से क्या संबंध है? 2001 के संसद हमले से क्या कनेक्शन है। जब पुलवामा हमला हुआ हमारे 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए, आरडीएक्स कैसे आया, कहां से आया, ये सवाल हमने कई बार पूछा। देवेन्द्र सिंह के तार कहां से जुड़े हैं। पूरी कहानी ही संशय पैदा करती है।

लगाया बड़ी साजिश का आरोप

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि देवेंद्र हिज्बुल आतंकियों को निकालने की कोशिश कर रहा था या वह सिर्फ एक मोहरा है और असली खिलाड़ी कहीं और छुपे हैं, ये बड़ी साजिश है? उन्होंने कहा कि एक तरफ आप देवेन्द्र सिंह को पुलिस मैडल दे रहे हैं और दूसरी तरफ देवेन्द्र सिंह तीन उग्रवादियों को हमला करने के लिए ला रहा है। अब सरकार कह रही है कि उसके एवज में उसने केवल 12 लाख रुपए दिए थे। पूरी कहानी में झोल है कि 12 लाख के एवज में वो कैरियर कर रहा था, या कोरियर बन गया था टेरिरिस्ट का? ये राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। इसमें भाजपा या कांग्रेस का प्रश्न ही नहीं हो सकता। इसलिए इस पूरे मामले की प्रधानमंत्री को और गृहमंत्री को संज्ञान लेकर गहन जांच करनी चाहिए।

किए कई सवाल

इससे पहले कांग्रेस सांसद अधीर चौधरी ने लगातार तीन ट्वीट कर सरकार से सवाल किए। अधीर चौधरी ने एक ट्वीट में लिखा, क्या देवेंद्र सिंह मूल रूप से देवेंद्र खान है। इस बारे में आरएसएस के ट्रोल रेजिमेंट को साफ-साफ और स्पष्ट शब्दों में जवाब देना चाहिए। मजहब, रंग और कर्म को किनारे रखते हुए देश के ऐसे दुश्मनों की एकसुर में आलोचना की जानी चाहिए।

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