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केन्द्र में इस समय टुकड़े-टुकड़े गैंग की सत्ता: तुषार गांधी

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी ने केन्द्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने...
केन्द्र में इस समय टुकड़े-टुकड़े गैंग की सत्ता: तुषार गांधी

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी ने केन्द्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि केन्द्र में इस समय टुकड़े-टुकड़े गैंग सत्ता पर काबिज है। गांधी का बयान ऐसे वक्त आया है जब एक दिन पहले केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि टुकड़े-टुकड़े गैंग को सजा देने का वक्त आ गया है।

तुषार गांधी ने ट्वीट किया, “टुकड़े-टुकड़े गैंग इस समय केन्द्र की सत्ता में है।”

तुषार इससे पहले भी मोदी सरकार की आलोचना करते रहे हैं। पिछले दिनों सावरकर विवाद के दौरान उन्होंने कहा था कि वह माफीनामा के लेखक थे। आजादी के सिपाही नहीं। सावरकर को भारत रत्न देने की मांग पर भी एतराज जताते हुए वह बोले, यह भगत सिंह के साथ नाइंसाफी होगी। एक ने अंग्रेजों से पेंशन ली और दूसरा देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल गया। गांधी पर राजनीतिक दावेदारी की बात पर कहा कि यह सिंबल पर कब्जा करने की कोशिश है।

दिल्ली की टुकड़े-टुकड़े गैंग को सबक सिखाना चाहिए: अमित शाह

अमित शाह ने गुरुवार को दिल्ली में हुए कार्यक्रम में कहा था कि कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में जिस टुकड़े-टुकड़े गैंग ने दिल्ली को अशांत किया, उसे दंड देने का समय आ गया है। दिल्ली की जनता को ही उन्हें दंड देना चाहिए। उन्होंने कहा- नागरिकता संशोधन बिल पर जब संसद में चर्चा हुई तो किसी ने कुछ नहीं बोला। सभी चुप थे। इधर-उधर की बातें कर रहे थे। बाहर निकलते ही इस पर भ्रम फैलाना शुरू कर दिया और दिल्ली को अशांत किया।

नागरिकता संशोधन कानून का भी विरोध कर रहे हैं गांधी

तुषार गांधी नागरिकता संशोधन कानून का भी विरोध कर रह हैं। जिस दिन बिल लोकसभा में विधेयक प्रस्तुत किया गया उस दिन गांधी ने ट्वीट किया कि जो सिटिजनशिप बिल का समर्थन कर रहे हैं वो देशद्रोही हैं। गौरतलब है कि इस कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों (जैसे हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों) को आसानी से भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है। नागरिक संशोधन कानून 2019 के तहत सिटिजनशिप एक्ट 1955 में बदलाव का प्रस्ताव है। इस कानून का विपक्ष भारी विरोध कर रहा है और इसे संविधान के खिलाफ बता रहा है। विरोधियों का कहना है कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने से भारत के सेक्युलर ढ़ांचे को चोट पहुंचेगी। इस बिल के ज़रिए मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि सरकार का कहना है कि ये बिल मुसलमानों के खिलाफ नहीं है।

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