उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी ने गुरुवार को कहा कि यह चुनाव केवल एक व्यक्ति के बारे में नहीं है, बल्कि भारत के उस विचार की पुष्टि के बारे में है जहां संसद ईमानदारी से काम करती है, असहमति का सम्मान किया जाता है और संस्थाएं स्वतंत्रता और निष्पक्षता के साथ लोगों की सेवा करती हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रेड्डी ने शपथ ली कि यदि वे निर्वाचित होते हैं तो उपराष्ट्रपति पद की भूमिका निष्पक्षता, गरिमा तथा संवाद एवं शिष्टाचार के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ निभाएंगे।
उन्होंने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करने के बाद यह टिप्पणी की।
रेड्डी ने एक बयान में कहा, "आज मुझे विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल करने का सम्मान मिला। मैंने यह काम विनम्रता, जिम्मेदारी और हमारे संविधान में निहित मूल्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की गहरी भावना के साथ किया।"
उन्होंने कहा, "सार्वजनिक सेवा में मेरे जीवन ने - भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में, कानून के छात्र के रूप में, तथा इस गणराज्य की लोकतांत्रिक परंपराओं में निहित नागरिक के रूप में - मुझे सिखाया है कि भारत की सच्ची ताकत प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा, संवैधानिक नैतिकता की सुरक्षा और हमारी विविधता में एकता में निहित है।"
रेड्डी ने कहा, "यह चुनाव केवल एक व्यक्ति के बारे में नहीं है। यह हमारे संस्थापकों द्वारा परिकल्पित भारत के विचार की पुष्टि करने के बारे में है, एक ऐसा भारत जहां संसद ईमानदारी से काम करती है, जहां असहमति का सम्मान किया जाता है, और जहां संस्थाएं स्वतंत्रता और निष्पक्षता के साथ लोगों की सेवा करती हैं।"
उन्होंने कहा कि राज्यसभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति पर संसदीय लोकतंत्र की सर्वोच्च परंपराओं की रक्षा करने की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा, "यदि मैं निर्वाचित होता हूं तो मैं निष्पक्षता, गरिमा तथा संवाद एवं शिष्टाचार के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ अपनी भूमिका निभाने का वचन देता हूं।"
रेड्डी ने विपक्षी दलों के नेताओं के प्रति भी गहरा आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उन पर भरोसा जताया तथा उन अनगिनत नागरिकों के प्रति भी आभार व्यक्त किया, जो न्याय, समानता और सद्भाव के लिए इस सामूहिक संघर्ष को प्रेरित करते रहे हैं।
रेड्डी ने कहा, "हमारे संविधान में विश्वास और हमारे लोगों में आशा के साथ, मैं इस यात्रा पर निकल रहा हूँ। हमारी लोकतांत्रिक भावना हम सभी का मार्गदर्शन करती रहे।"
रेड्डी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी प्रमुख राहुल गांधी और विपक्षी दलों के अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य शामिल होते हैं। राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी मतदान के पात्र होते हैं।
निर्वाचक मंडल की प्रभावी संख्या 781 है तथा बहुमत का आंकड़ा 391 है। गोवा के प्रथम लोकायुक्त रेड्डी हैदराबाद स्थित अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता एवं मध्यस्थता केन्द्र के न्यासी बोर्ड के सदस्य भी हैं।
रेड्डी को विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में चुनने के कदम ने उपराष्ट्रपति चुनाव को दक्षिण बनाम दक्षिण का मुकाबला बना दिया है। विपक्ष देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद के लिए किसी गैर-राजनीतिक चेहरे को अपना उम्मीदवार बनाना चाहता था।
सत्तारूढ़ एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और आरएसएस पृष्ठभूमि वाले तमिलनाडु के अनुभवी भाजपा नेता सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना है। राधाकृष्णन ने बुधवार को अपना नामांकन दाखिल किया।