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2014 के चुनावी वादों पर सवालों का सामना करने के लिए तैयार रहे भाजपा: शिवसेना

एनडीए की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने मंगलवार को कहा ‌कि बीजेपी को अब लोगों के सवालों का सामना करने के लिए...
2014 के चुनावी वादों पर सवालों का सामना करने के लिए तैयार रहे भाजपा: शिवसेना

एनडीए की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने मंगलवार को कहा ‌कि बीजेपी को अब लोगों के सवालों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। शिवसेना ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2014 के चुनावी वादे में कश्मीर घाटी में शांति और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण प्रमुख था जो अब भी अनसुलझे हैं।

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने कहा कि 2014 में कश्मीर घाटी में शांति और राम मंदिर निर्माण का वादा कर भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की। हालांकि, दोनों मुद्दे 2019 में अनसुलझे रहे हैं। अब लोगों को जवाब देने के लिए उन्हें तैयार रहना चाहिए। शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' की संपादकीय में कहा, "इतिहास कहता है कि लोगों को लंबे समय तक मूर्ख नहीं बनाया जा सकता। जनता अपना उत्तर बैलेट बॉक्स में देगी।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम का जिक्र करते हुए शिवसेना ने कहा कि अब तक वह अपने 'मन की बात' सामने रख रहे थे लेकिन 23 मई को लोगों के “मन की बात” निकलेगी।

शिवसेना ने पूछा कि चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के उपयोग पर लोगों के मन में भी संदेह था। ऐसे में क्यों ईवीएम पर जोर दिया जा रहा है जबकि अन्य सभी देशों ने इसके दोषपूर्ण स्वभाव के कारण इसका उपयोग बंद कर दिया है और क्या तथ्य यह है कि इन मशीनों को धनबल से नियंत्रित किया जा सकता है?

गठबंधन के बाद भी जारी है जुबानी जंग

शिवसेना लंबे समय से अपनी सहयोगी पार्टी और मोदी सरकार पर निशाना साधती रही है। अब लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन तय होने के बाद भी शिवसेना भाजपा पर पहले की तरह ही हमलावर दिख रही है। इससे पहले शिवसेना ने सोमवार को कहा कि देशभक्ति किसी एकमात्र पार्टी की ‘बपौती’ नहीं है और गलत तरीके से लोगों को सिर्फ इसलिए ‘‘राष्ट्र-विरोधी’’ कहना कि वे राजनीतिक विरोधी हैं, यह अभिव्यक्ति की आजादी के हनन के अलावा कुछ नहीं है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, ‘‘देशभक्ति किसी एक पार्टी की बपौती नहीं है... हमें हैरानी होती है कि नेता यह कब समझेंगे कि यह कार्रवाई (हवाई हमला) उनका (सैनिकों का) कर्तव्य था, न कि कोई कार्य जो उनसे करने को कहा गया हो।’’

भाजपा हवाई हमले का राजनीतिकरण कर रही है

शिवसेना ने दिल्ली भाजपा प्रमुख मनोज तिवारी द्वारा हाल में एक रैली में सेना की वेशभूषा धारण करने का हवाला देते हुए कहा था कि हवाई हमले का सबूत मांगने वाले लोग जितने गलत हैं उतना ही अनुचित वोट बटोरने के लिये सेना की वर्दी पहनकर उसकी वेशभूषा धारण करने वालों का आचरण भी है।

केंद्र एवं महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने कहा, ‘‘सैनिकों की वर्दी पहनने का ओछा काम क्यों किया गया, जिस वर्दी को वे इतने कठिन श्रम, परिश्रम और कड़ी मेहनत से हासिल करते हैं? इससे विपक्ष के वे आरोप मजबूत ही होते हैं कि भाजपा हवाई हमले का राजनीतिकरण कर रही है।’’

‘सामना’ के संपादकीय में लिखा है, ‘‘सीधी बात यह है कि हमलोग अपने सैनिकों की शहादत को रोकने में असफल रहे हैं लेकिन कुछ लोग राजनीतिक कारणों से अपने चुनावी प्रचार के तहत उनकी वेशभूषा धारण करते हैं, उनके जैसी वर्दी पहनते हैं। यह ठीक नहीं है तभी तो चुनाव आयोग को भी इसमें दखल देना पड़ा और राजनीतिक दलों को यह हिदायत देनी पड़ी कि वे अपने चुनाव प्रचार में जवानों की तस्वीरों का इस्तेमाल नहीं करें।’’

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