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पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को मिली दिल्ली कांग्रेस की कमान

पूर्व मुख्यमंत्री और कद्दावर नेता शीला दीक्षित को दिल्ली कांग्रेस की कमान दी गई है। इस पर निवर्तमान...
पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को मिली दिल्ली कांग्रेस की कमान

पूर्व मुख्यमंत्री और कद्दावर नेता शीला दीक्षित को दिल्ली कांग्रेस की कमान दी गई है। इस पर निवर्तमान अध्यक्ष अजय माकन ने उन्हें ट्वीट कर बधाई भी दी है। 80 वर्षीय शीला दीक्षित तीन बार लगातार दिल्ली की मुख्यमंत्री और केरल की पूर्व राज्यपाल भी रह चुकीं हैं।

शीला दीक्षित के नाम का ऐलान दिल्ली के प्रभारी पी सी चाको ने किया है। इसके साथ ही उनकी सहायता के लिए देवेंद्र यादव, राजेश लिलोठिया, हारून यूसुफ को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। लोकसभा चुनावों को देखते हुए मध्य प्रदेश और राजस्थान की ही तरह दिल्ली में भी अनुभव को वरीयता दी गई है।

घोषणा किए जाने के बाद शीला दीक्षित ने कहा, 'मैं सम्मानित महसूस कर रही हूं कि पार्टी ने मुझे यह मौका दिया है।'

अजय माकन ने दे दिया था इस्तीफा

पिछले दिनों 4 जनवरी को अजय माकन ने दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद से स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद से दिल्ली के कमान सौंपने को लेकर मशक्कत चल रही थी। अजय माकन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि शीला दीक्षित जी की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी केजरीवाल सरकार और मोदी सरकार के खिलाफ मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएंगी।

कई नाम थे चर्चा में

माना जा रहा है कि जिस तरह पार्टी में अंदरूनी कलह है, उसे बहुत हद तक पाटने का काम शीला दीक्षित कर सकती हैं। उनका नाम अध्यक्ष के तौर पर सबसे आगे बताया जा रहा था। वहीं, पूर्व अध्यक्ष जेपी अग्रवाल, राजेश लिलोठिया, योगानंद शास्त्री और देवेंद्र यादव का नाम भी चर्चा में था। आखिर में पार्टी ने शीला दीक्षित के नाम पर मुहर लगा दी।

अनुभव भारी पड़ा

शीला दीक्षित का नाम सबसे आगे होने की कई वजहें थीं। जहां दलित के तौर पर राजेश लिलोठिया, पंजाबी चेहरे के तौर पर प्रह्लाद सिंह साहनी और अरविंदर सिंह लवली थे तो जाट चेहरे में योगानंद शास्त्री का नाम भी थे। इसके अलावा, भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी की काट के लिए पूर्वांचली चेहरे के तौर पर महाबल मिश्रा के नाम की चर्चा थी। इस सबके बीच शीला दीक्षित का 15 साल तक दिल्ली में सफल सरकार चलाने का अनुभव सब पर भारी पड़ गया।

नहीं आना चाहती थी राजनीति में

शीला दीक्षित राजनीति में नहीं आना चाहती थीं। 'सिटीजन दिल्लीः माय टाइम्स, माय लाइफ' किताब में उन्होंने इस बारे में जिक्र किया है। यह उनकी आत्मकथा है। इसके बारे में उन्होंने बताया था कि यह आत्मकथा उस लड़की के बारे में है कि कैसे न्यू लुटियन दिल्ली में पेड़ों के किनारे साइकिलिंग पसंद करने वाली ने पांच दशक बाद मुख्यमंत्री के तौर पर दिल्ली की कमान संभाली, बल्कि उसे बदला भी। वह भी 1998 से 2013 तक  तीन कार्यकालों में।

 

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