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विधानसभा सत्र बुलाने पर सहमत हुए राज्यपाल, लेकिन गहलोत सरकार को देना होगा 21 दिनों का नोटिस; रखी तीन शर्तें

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर सहमति जताई है जबकि जारी प्रपत्र...
विधानसभा सत्र बुलाने पर सहमत हुए राज्यपाल, लेकिन गहलोत सरकार को देना होगा 21 दिनों का नोटिस; रखी तीन शर्तें

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर सहमति जताई है जबकि जारी प्रपत्र राजभवन की तरफ से कहा गया है कि अशोक गहलोत सरकार विधानसभा सत्र 21 दिनों का नोटिस देकर बुलाएं, ताकि संविधान के अनुच्छेद 14 के अन्तर्गत प्राप्त मौलिक अधिकारों की मूल भावना के अन्तर्गत सभी को समान अवसर की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। 

राज्यपाल कलराज मिश्र की तरफ से ये सहमती तब आई है जब लगातार अशोक गहलोत की अगुवाई वाली सरकार राज्य में सियासी उठापटक के बीच बहुमत साबित करने के लिए विधानसभा सत्र बुलाने की मांग कर रहे  हैं। जबकि मिश्र का कहना था कि इस कोरोना महामारी के बीच जल्दीबाजी में सत्र बुलाना ठीक नहीं है।

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गवर्नर ने गहलोत सरकार से पूछा, "क्या आप बहुमत साबित करना चाहते हैं। भेजे गए नए प्रस्ताव में इसका उल्लेख नहीं किया गया है लेकिन आप इसके बारे में मीडिया में बोल रहे हैं।" वहीं, गहलोत कैबिनेट आज शाम  विधानसभा सत्र के समय सारिणी पर चर्चा करने के लिए बैठक करेंगे और राज्यपाल कलराज मिश्रा के पत्र में उठाए गए तीन सवालों का जवाब देंगी।

सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल द्वारा 21 दिन के नोटिस पर कांग्रेस ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि संविधान को राज्यपाल के सत्र बुलाने के लिए इस तरह के समयबद्ध तरीके से नोटिस की आवश्यकता नहीं है।

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वहीं, राज्यपाल ने सीएम अशोक गहलोत से तीन सवालों के जवाब मांगे हैं। पहला - क्या आप 'विश्वास प्रस्ताव' लाना चाहते हैं? क्योंकि प्रस्ताव में आपने इसका जिक्र नहीं किया जबकि आप पब्लिक और मीडिया में कह रहे हैं कि आप 'विश्वास प्रस्ताव' लाएंगे। दूसरा- क्या कोरोना की वजह से इतने कम समय में सभी विधायकों को विधानसभा सत्र के लिए बुलाना मुश्किल होगा। तीसरा- क्या आप विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर 21 दिन का नोटिस देने पर विचार कर सकते हैं?

जारी प्रपत्र में राज्यपाल की तरफ से निर्देश दिए गए हैं, "यदि किसी भी परिस्थिति में विश्वास मत हासिल करने के लिए विधानसभा सत्र में कार्यवाही की जाती है, तब ऐसी परिस्थितियों में जब विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सर्वोच्च अदालत में याचिका दायक की गई। इसलिए विश्वास मत प्राप्त करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया रिकॉर्डिंग कराई जाए और ये विश्वास मत केवल हां और ना के बटन के माध्यम से किया जाए।" 

साथ ही निर्देश में पूछा गया है कि गहलोत सरकार स्पष्ट करे कि यदि विधानसभा सत्र बुलाया जाता है तो सत्र के दौरान कोरोना महामारी की वजह से सामाजिक दूरी का पालन कैसे किया जाएगा, इसे स्पष्ट किया जाए।

राजस्थान में बीते दो सप्ताह से अधिक समय से सियासी संकट जारी है। कांग्रेस की अगुवाई वाली गहलोत सरकार में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बागी सुर अख्तियार किए हुए है। पायलट समेत 18 अन्य विधायक भी बागी तेवर में है। पायलट का दावा है कि गहलोत सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। जबकि अशोक गहलोत और उनके समर्थक गुट का दावा है कि उनके पास पूर्ण बहुमत है। वहीं, भाजपा ने पिछले दिनों फ्लोर टेस्ट की मांग की। राजस्थान विधानसभा में 200 सीट है। गहलोत का दावा है कि उनके पास 107 विधायक हैं जबकि भाजपा के पास 72 विधायक है।

 

 

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