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8 मार्च को क्या करेंगी वसुंधरा, बागी तेवर के बाद बैकफुट पर है भाजपा नेतृत्व

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एक दिवसीय राजस्थान दौरे पर मंगलवार को जयपुर पहुंचे।...
8 मार्च को क्या करेंगी वसुंधरा, बागी तेवर के बाद बैकफुट पर है भाजपा नेतृत्व

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एक दिवसीय राजस्थान दौरे पर मंगलवार को जयपुर पहुंचे। जेपी नड्डा ने इसके जरिए प्रदेश पार्टी के भीतर कई महीनों से चल रहे गुटबाजी को कवर करने का काम किया। नड्डा के मंच की एक फोटो ने भाजपा के भीतर की पूरी कुलबुलाहट और आगे की रणनीति को सामने ला दिया है। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में नड्डा ने राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का एक साथ हाथ पकड़ते हुए इस बात का संदेश दे दिया कि “एकला मत चलो...”। इससे पार्टी को नुकसान होगा। नड्डा ने नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि एकता के साथ मिलकर पार्टी के लिए काम करें। साफ है भाजपा वसुंधरा के राज्य की सियासत में पकड़ को स्पष्ट तौर पर समझती है क्योंकि, राजस्थान में वसुंधरा के बिना पार्टी का सत्ता तक पहुंचना अभी मुश्किल है।

दरअसल, बीते कई महीनों से भाजपा के भीतर कलह के सुर गुंज रहे हैं। सबसे पहले वसुंधरा समर्थकों ने राजे के नाम से एक अलग मंच का गठन कर लिया। जिसके बाद से राजनीतिक गलियारों में ये हलचल तेज हो गई कि वसुंधरा ने बागी तेवर अख्तियार कर लिये हैं। वही, इससे पहले दिल्ली में नड्डा द्वारा बुलाए गए बैठक से राजे ने किनारा कर लिया था। कई ऐसे घटनाक्रम आए जब प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और राजे के बीच दूरी के संकेत मिलते रहे। अब राज्य में कुछ महीनों में चार सीटों पर होेने वाले उपचुनाव को लेकर भाजपा ने साथ चलने का संदेश दिया है। वसुंधरा के समर्थक लगातार उन्हें आगामी विधानसभा के लिए सीएम पद का चेहरा घोषित करने की मांग कर रहे हैं। जबकि, पार्टी का कहना है कि इस बात का फैसला नेतृत्व को करेगा। हालांकि, आउटलुक से बातचीत में पूनिया ने बीते दिनों कहा था कि जिस तरह से वोटरों का जेनरेशन बदलता है उसी तरह से राज्य के नेतृत्व को लेकर भी मंथन किया जाना चाहिए।

राज्य की चार सीटें- राजसमंद, सहाड़ा, वल्लभनगर और सुजानगढ़ पर उपचुनाव हैं। इसमें से तीन सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा है जबकि एक सीट राजसमंद बीजेपी के खाते में रही है। इस उपचुनाव को आगामी विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। इसीलिए, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों इन सीटों की अहमियत को समझते हुए अपने भीतर उपजे कलह को पाटने में लगी हुई है। कांग्रेस के भीतर सचिन पायलट अपने समर्थकों के साथ गहलोत को चुनौती देने में लगे हुए हैं। हालांकि, पिछले दिनों एक साथ राज्य के सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट दिखे लेकिन सियासी जानकारों का मानना है कि ये सिर्फ आने वाले उपचुनाव को लेकर दिखावा है। क्योंकि, पायलट गुट फिर से सक्रिय हो गए हैं और इनकी नजर मंत्रिमंडल विस्तार के साथ-साथ केंद्रीय नेतृत्व पर भी है। पिछले दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा था कि पार्टी कमजोर हो रही है।

लेकिन, अभी भाजपा के भीतर की सियासी तस्वीरें और सामने आने वाली है। आठ मार्च को वसुंधरा राजे का जन्मदिन है। इनके समर्थकों ने इस दिन के लिए खास तैयारी कर रखी है। राजे की ओर से देव दर्शन यात्रा निकाले जाने की योजना है। भरतपुर के ब्रज चौरासी में धार्मिक यात्रा के बहाने सीधे तौर पर राजे और इनके समर्थक शक्ति प्रदर्शन कर अपने आलाकमानों को संदेश दे सकते हैं। फिलहाल 200 सदस्य वाली विधानसभा में भाजपा के 72 विधायकों में 45 से अधिक राजे समर्थक माने जाते हैं। हालांकि, खबर ये भी है कि वसुंधरा के विरोधी खेमे इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखने का ऐलान किया है। आउटलुक से बातचीत में दैनिक भास्कर के नेशनल एडिटर लक्ष्मी प्रसाद पंत मानते हैं कि इसके जरिए वसुंधरा अपने विरोधी खेमे और शीर्ष नेताओं को अपनी पकड़ को लेकर संदेश देना चाहती हैं।

 

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