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पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती पर राजनीति तेज, गैर भाजपा शासित राज्य निशाने पर आए

केंद्र ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर ईंधन की रिकॉर्ड कीमतों में थोड़ी कमी लाने का...
पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती पर राजनीति तेज, गैर भाजपा शासित राज्य निशाने पर आए

केंद्र ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर ईंधन की रिकॉर्ड कीमतों में थोड़ी कमी लाने का प्रयास किया है। वहीं केंद्र के फैसले के बाद कई भाजपा शासित राज्य भी वैट घटा रहे हैं। इस बीच, पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने को लेकर भाजपा और विपक्षी पार्टियों में राजनीतिक जंग शुरू हो गई है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार, देवेंद्र फडणवीस और कर्नाटक भाजपा ने विपक्ष शासित राज्यों से वैट में कटौती की मांग की है।


बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट किया, "एनडीए शासित राज्यों ने वैट में भारी कमी है। अब कांग्रेस और अन्य दलों शासित राज्यों को ऐसा करने की जरूरत है। महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में वैट सबसे ज्यादा है (पेट्रोल और डीजल पर 39 से 29 फीसदी।"

कर्नाटक भाजपा ने कहा, "विपक्षी पार्टियां पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के बारे में लेक्चर दे रही थीं। कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पेट्रोल एवं डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटा दी। करोड़ों लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए एनडीए शासित राज्यों ने भी वैट घटाया। विपक्षी दल शासित राज्यों को यह होना बाकी है।"

वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने लिखा, "पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये एक्साइज ड्यूटी घटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद। हमारा महाराष्ट्र सरकार से कुछ बोझ झेलने का अनुरोध है ताकि महाराष्ट्र में डीजल और पेट्रोल के दाम 20 रुपये और 10 तक घट सके जैसा पहले हमारी सरकार ने किया था।"


केंद्र के उत्पाद शुल्क घटाने के निर्णय के बाद कई राज्यों ने वैट में कमी की है। इनमें मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, नगालैंड, ओडिशा, गुजरात, बिहार और उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्य शामिल हैं।


गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क दरों में रिकॉर्ड कटौती के बाद तेल कंपनियों द्वारा इसका लाभ ग्राहकों को देने के चलते गुरुवार को देश भर में पेट्रोल की कीमतों में 5.7 रुपये से 6.35 रुपये तक और डीजल की कीमतों में 11.16 रुपये से 12.88 रुपये तक की कटौती हुई। जापानी ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा के अनुसार, उत्पाद शुल्क में कटौती से चालू वित्त वर्ष के शेष महीनों के लिए सरकारी खजाने पर 45,000 करोड़ रुपये का असर पड़ेगा और इससे केंद्र का राजकोषीय घाटा 0.3 फीसदी बढ़ जाएगी।

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