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मजदूरों को बस और ट्रेन सेवा मुहैया कराने की नीति का लचर क्रियान्वयन हुआ: चिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से...
मजदूरों को बस और ट्रेन सेवा मुहैया कराने की नीति का लचर क्रियान्वयन हुआ: चिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए बस और ट्रेन की सेवा मुहैया कराने की नीति का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं किया गया। पूर्व वित्त मंत्री ने यह दावा भी किया कि जब लाखों लोग पैदल जाने लगे, इसके बाद भी सरकार ने देर से परिवहन सेवा मुहैया कराने का फैसला किया।

चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘‘यह तय है कि सरकार की बस एवं ट्रेन की सेवा मुहैया कराने की नीति सही तरीके से नहीं बनाई गई और इसका समन्वय के साथ क्रियान्वयन भी नहीं किया गया।’’ उन्होंने कहा कि बस और ट्रेन सेवा मुहैया कराने का फैसला होने के बाद सरकार को पैदल जा रहे लोगों को रोककर उन्हें ये परिवहन सेवाएं प्रदान करनी थी।

गौरतल है कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक ट्रेन दुर्घटना में 14 प्रवासी श्रमिकों की मौत को लेकर मोदी सरकार पर विपक्ष की ओर से तीखा हमला किया जा रहा है। शुक्रवार सुबह मालगाड़ी की चपेट में आने से रेल पटरी पर सो रहे मजदूरों की कुचलकर मौत हो गई थी।

चिदंबरम ने कहा, "दो दिन पहले मैंने ट्वीट किया था कि केंद्र और राज्य सरकारें इस तथ्य से बेखबर हैं कि हजारों प्रवासी कामगार अभी भी अपने गृह राज्यों को पैदल निकल गए हैं।"

देर में लिया गया निर्णय

उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट है कि प्रवासी श्रमिकों को परिवहन के लिए बसों और ट्रेनों को प्रदान करने की परिवहन नीति को खराब तरीके से डिजाइन, नियोजित, समन्वित और कार्यान्वित किया गया था।" बसों और ट्रेनों को प्रदान करने का निर्णय निराशाजनक रूप से देर में लिया गया, उन्होंने आरोप लगाया कि जब निर्णय लिया गया था तब लाखों लोग अपने गृह राज्यों के लिए पैदल निकलना शुरू कर चुके थे।

नहीं होती आज की घटना यदि...

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक बार नीति की घोषणा हो जाने के बाद, सरकार को पैदल निकलने वाले लोगों के बचाव में जाना चाहिए था और उनकी यात्रा जारी रखने के लिए उन्हें बसें या रेलगाड़ियाँ उपलब्ध करानी चाहिए थीं।
"आज सुबह होने वाली त्रासदी से बचा जा सकता था अगर सरकारें समय पर प्रवासी श्रमिकों के बचाव में जातीं।"

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