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संसद में कश्मीर, अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी के मुद्दे पर घिरेगी सरकार, विपक्ष की तैयारी

आज यानी 18 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में विभिन्न मुद्दों पर हंगामा होने के आसार...
संसद में कश्मीर, अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी के मुद्दे पर घिरेगी सरकार, विपक्ष की तैयारी

आज यानी 18 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में विभिन्न मुद्दों पर हंगामा होने के आसार हैं। ऐसे में जहां एक तरफ सत्ताधारी बीजेपी पिछले सत्र की तरह इस बार भी अपना वर्चस्व बनाए रखने की कोशिश करेगी, वहीं विपक्षी दलों की कोशिश है कि सरकार को जनता से जुड़े मुद्दों पर घेरा जाए। इस सत्र में जिन प्रमुख विधेयकों पर चर्चा होनी है उनमें नागरिकता संशोधन विधेयक शामिल है, जिसे सरकार अपने पिछले कार्यकाल में पारित नहीं करा पाई थी। रविवार को सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों को आश्वासन दिया कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि संसद का सबसे महत्वपूर्ण काम चर्चा और बहस करना है।

विपक्ष की योजना सरकार को जम्मू-कश्मीर की वर्तमान स्थिति पर घेरने की है। जबकि सरकार राफेल सौदे पर शीर्ष अदालत से मिली क्लीन चिट पर पलटवार करने के साथ जम्मू-कश्मीर के मामले में आक्रामक रुख अपनाने पर अडिग है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दूसरे सत्र में शिवसेना के राजग से नाता तोड़ने के कारण संसद का नजारा बदला-बदला सा होगा।

सरकार को घेरने के लिए तैयार विपक्ष

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद ये पहला संसद का सत्र है। ऐसे में विपक्षी पार्टियां कश्मीर में नेताओं की नज़रबंदी का सवाल उठा सकती हैं, इसके अलावा बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था समेत कई ऐसे मसले हैं जिनपर विपक्ष केंद्र सरकार को घेरने के लिए तैयार हैं। सत्र की शुरुआत से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में भी इन मसलों को उठाया गया था, जिसपर प्रधानमंत्री ने कहा था कि सरकार इन मसलों पर चर्चा के लिए तैयार है।

विपक्ष की बेंच पर होगी शिवसेना

शिवसेना-भाजपा का तीन दशक पुराना साथ छूटने का असर संसद के दोनों सदनों में दिखाई देगा। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने बताया कि दोनों ही सदनों में शिवसेना को विपक्षी बेंच में बैठने की व्यवस्था की जाएगी। गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने राजग से नाता तोड़ लिया है। पार्टी के इकलौते मंत्री अरविंद सावंत ने पिछले हफ्ते ही मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

तब अनुच्छेद 370 और अब नागरिकता संशोधन बिल

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला सत्र जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को खत्म कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाने के कारण चर्चा में रहा। इस सत्र में सबकी निगाहें नागरिकता संशोधन बिल पर है, जिसे मोदी सरकार राज्यसभा में संख्याबल के अभाव में पारित नहीं करा पाई थी।

विपक्ष इस बिल को असंवैधानिक बता कर लगातार इसका विरोध कर रहा है। जबकि सरकार इसे हर हाल में पारित कराने पर अडिग है। दरअसल इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से निर्वासित-प्रताड़ित हिंदुओं, बौद्धों, सिखों और ईसाईयों को सहज नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है। विपक्ष का कहना है इसमें मुलसमानों को शामिल नहीं करना असंवैधानिक है। सरकार इसी सत्र में बिल को पेश कर कानूनी जामा पहनाने के लिए अडिग है।

इन बिलों पर भी होगी नजर

नागरिकता संशोधन बिल के अलावा इस सत्र में डाक्टरों को हिंसा से बचाने के लिए स्वास्थ्य देखभाल सेवा कार्मिक और नैदानिक प्रतिष्ठान (हिंसा एवं संपत्ति क्षति निषेध) बिल पेश किया जाना है। इसमें डाक्टरों के खिलाफ हिंसा करने पर 10 साल तक की जेल का प्रावधान है।

इसके अलावा राष्ट्रीय नदी गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए बिल पेश किया जाना है। इस बिल में प्रदूषण फैलाने पर 5 साल तक की जेल और 50 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसी सत्र में सरकार ई सिगरेट पर पाबंदी और कॉरपोरेट टेक्स में बदलाव के लिए जारी अध्यादेश पर भी बिल पेश करेगी।

पहले सत्र में टूटे थे कई रिकॉर्ड

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले सत्र में दोनों सदनो में रिकॉर्डतोड़ काम हुआ था। इसी सत्र में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म कर राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया था। लोकसभा में कई दिनों तक देर रात तक कार्यवाही चली थी।

बैठकों का दौर

सत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। रविवार को सरकार की ओर से सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। इसमें 27 दलों ने हिस्सा लिया।

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