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मोहन भागवत से विपक्ष का सवाल- ‘संघ प्रमुख बताएं कि वह लिचिंग का समर्थन करते हैं या निंदा’

मॉब लिंचिंग को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान सुर्खियों में है। कांग्रेस समेत विपक्षी दल इसे...
मोहन भागवत से विपक्ष का सवाल-  ‘संघ प्रमुख बताएं कि वह लिचिंग का समर्थन करते हैं या निंदा’

मॉब लिंचिंग को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान सुर्खियों में है। कांग्रेस समेत विपक्षी दल इसे लेकर निशाना साध रहे हैं। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं ने संघ प्रमुख के बयान पर सवाल उठाए हैं। दरअसल, मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा था कि लिंचिंग पश्चिमी तरीका है और भारत को बदनाम करने के लिए इसका इस्तेमाल कतई नहीं किया जाना चाहिए।

काग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने ट्वीट किया, 'मेरा सरसंघचालक मोहन भागवत जी से सीधा सवाल है- क्या वह और उनका संगठन घृणा और हिंसा का इस्तेमाल कर निर्दोष और असहाय लोगों की हत्या का अनुमोदन करते हैं या ऐसी घटनाओं की भर्त्सना करते हैं। देश जानना चाहता है कि आपको समस्या इन घटनाओं से है या सिर्फ शब्दावली से?'

उन्होंने कहा, 'संघ प्रमुख बताएं कि वह लिचिंग का समर्थन करते हैं या निंदा। यह भारतीय और यूरोपीय भाषा का विषय नहीं है, यह मानवता और देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का विषय है। क्या अफवाहों से उत्तेजित भीड़ द्वारा निर्दोष व असहाय लोगों की हत्या का आप अनुमोदन करते हैं या निंदा ? राष्ट्रहित में आपका स्पष्टीकरण अनिवार्य और वांछित है।'

दिग्विजय का कटाक्ष

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर निशाना साधा। भागवत के नागपुर में एकजुटता पर दिए बयान पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि जिस दिन वह (आरएसएस चीफ) इस संदेश का पालन करने लगेंगे उस दिन देश की भीड़ हत्या और नफरत जैसी सारी समस्या समाप्त हो जाएगी। दिग्विजय ने कहा, ‘जिस दिन मोहन भागवत जी एकजुटता का संदेश देकर उसका पालन करने लगेंगे, प्रेम एवं सदभाव तथा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का रास्ता अपना लेंगे उस दिन सारी समस्या खत्म हो जाएगी, भीड़ हत्या खत्म हो जाएगी और नफरत भी समाप्त हो जाएगा, शिकायतें भी नहीं रहेंगी।’

...लिंचिंग की घटनाओं पर रोक लगाने की बात नहीं कह रहे हैं: ओवैसी

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जिस विचारधारा ने महात्मा गांधी और तबरेज की हत्या की, उससे ज्यादा भारत की बदनामी नहीं हो सकती। ओवैसी ने ट्वीट किया कि गांधी और तबरेज अंसारी की हत्या जिस विचारधारा ने की उसकी तुलना में भारत की बड़ी बदनामी और कोई कुछ नहीं हो सकती। भागवत भीड़ हत्या रोकने के लिए नहीं कह रहे हैं। वह कह रहे हैं कि इसे वो (लिंचिंग) मत कहो।

सचिन सावंत ने बताया झूठ

महाराष्ट्र कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने एक बयान में कहा कि भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या की घटनाओं को अंजाम लेने वाले लोग आरएसएस की विचारधारा से आते हैं। सावंत ने कहा, ‘आरएसएस का लिंचिंग से कोई लेना नहीं है, यह कहना वैसा ही झूठ है जैसे यह कहना झूठ है कि आरएसएस एक सांस्कृतिक संगठन है, जातिवाद का विरोधी है, आरक्षण का समर्थक है और संविधान तथा तिरंगे का सम्मान करता है।' कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘ झूठ फैलाना संघ परिवार की विचारधारा है।'

मॉबलिंचिंग नहीं होती तो आत्महत्या की थी क्या...?’

कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने ट्वीट किया, संघ प्रमुख मोहन जी “भागवत” ने कहा है कि भारत में “मॉबलिंचिंग” नहीं होती, तो फिर पहलूखान, अखलाक़,तबरेज अंसारी और इंस्पेक्टर सुबोध सिंह ने आत्महत्या की थी क्या?

मोहन भागवत ने क्या कहा था?

गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा था कि लिंचिंग पश्चिमी तरीका है और भारत को बदनाम करने के लिए इसका इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए। विजयदशमी के मौके पर नागपुर के रेशमीबाग मैदान में शस्त्र पूजा के बाद स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे संघ प्रमुख ने कहा, 'लिंचिंग शब्द की उत्पत्ति भारतीय लोकाचार से नहीं हुई, ऐसे शब्द को भारतीयों पर ना थोपें।' उन्होंने कहा, 'भीड़ द्वारा हत्या (लिंचिंग) पश्चिमी तरीका है और देश को बदनाम करने के लिए भारत के संदर्भ में इसका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।'

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