Advertisement

अब यूपी में आरएलडी ने भी की अकेले विधानसभा उपचुनाव लड़ने की घोषणा

उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा ने आगामी विधानसभा उपचुनावों में सभी 11 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला...
अब यूपी में आरएलडी ने भी की अकेले विधानसभा उपचुनाव लड़ने की घोषणा

उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा ने आगामी विधानसभा उपचुनावों में सभी 11 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में गठबंधन के उनके तीसरे सहयोगी रालोद ने भी बुधवार को घोषणा की कि वह भी अकेले चुनाव लड़ेंगे। हालांकि रालोद ने उम्मीद जताई कि गठबंधन बरकरार है।

राष्ट्रीय लोकदल के यूपी अध्यक्ष मसूद अहमद ने कहा, "राष्ट्रीय लोक दल यूपी विधानसभा उपचुनाव अपने दम पर लड़ेगा। हालांकि, राज्य के राजनीतिक परिदृश्य पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी।" उन्होंने उम्मीद जताई कि 'गठबंधन' बरकरार है।

अहमद ने कहा कि पार्टी प्रमुख चौधरी अजित सिंह और जयंत चौधरी तय करेंगे कि पार्टी कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी और इस पर अगले कुछ दिनों में बैठक के दौरान चर्चा हो सकती है।

राज्य के नए राजनीतिक परिदृश्य में आरएलडी की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर  अहमद ने कहा, "आरएलडी समाजवादी पार्टी के साथ थी। हमें अखिलेश के कोटे से सीटें मिलीं।"

यूपी रालोद प्रमुख ने कहा कि कांग्रेस को भी 'गठबंधन' का हिस्सा होना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि हाल के राजनीतिक घटनाक्रम से कौन लाभान्वित होगा, अहमद ने कहा, "लाभ और हानि का विश्लेषण बाद में किया जाएगा। हमारी इच्छा है कि गठबंधन को अपना 'कुनबा' बढ़ाना चाहिए, ताकि हम बीजेपी के प्रबल विरोधी के तौर पर एक साथ उभर सकें।”

लोकसभा चुनाव में आरएलडी का नहीं खुला खाता

हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में आरएलडी ने तीन निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़े, लेकिन सभी पर हार का सामना करना पड़ा। आरएलडी के उम्मीदवार अजीत सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी मुजफ्फरनगर और बागपत लोकसभा सीटों से हार गए। जबकि कुंवर नरेंद्र सिंह मथुरा से हार गए।

आरएलडी के लिए क्यों अहम है यह चुनाव?

यूपी विधानसभा उपचुनाव आरएलडी के लिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यूपी विधानसभा में इसका कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।

2017 विधानसभा चुनाव में भी पार्टी का प्रदर्शन समान रूप से निराशाजनक था। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में आरएलडी ने 277 सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन उनके 266 उम्मीदवारों का जमानत जब्त हो गया। केवल एक उम्मीदवार छपरौली से सहेंद्र सिंह रमाला विजयी हुआ। लेकिन वह भी आरएलडी छोड़कर पिछले साल अप्रैल में भाजपा में शामिल हो गए। यूपी विधान परिषद में  आरएलडी का एक भी एमएलसी नहीं है, क्योंकि पार्टी एमएलसी चौधरी मुश्ताक का कार्यकाल पिछले साल मई में समाप्त हो गया था।

एजेंसी इनपुट

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad