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नितिन गडकरी के छह बयान, जिन्होंने मोदी सरकार के लिए खड़ी की मुसीबत

लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी अपने बयानों को लेकर चर्चा में...
नितिन गडकरी के छह बयान, जिन्होंने मोदी सरकार के लिए खड़ी की मुसीबत

लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं। गडकरी का लगातार बगैर नाम लिए निशाना साधना जारी है, जिस पर लोग अटकलें लगाते हैं कि गडकरी अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। हालांकि उनके इन बयानों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को पल्ला झाड़ने से मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने एक दिन पहले ही बीजेपी की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के पूर्व कार्यकर्ताओं से कहा था कि जो घर नहीं संभाल सकता वो देश क्या संभालेगा।

न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, नितिन गडकरी ने अपने संबोधन में कहा कि पार्टी (बीजेपी) कार्यकर्ताओं को पहले अपनी घरेलू जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए जो ऐसा नहीं कर सकता, वो 'देश नहीं संभाल सकता।'  केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, 'मैं ऐसे कई लोगों से मिला जिन्होंने कहा कि हम बीजेपी और देश के लिए अपना जीवन समर्पित करना चाहते हैं। मैं ऐसे लोगों से कहता हूं कि आप क्या कर रहे हैं, आपके परिवार में और कौन-कौन लोग हैं। तो वह बताता है कि मैंने अपनी दुकान बंद कर दी है क्योंकि वो ठीक से नहीं चल रही थी। परिवार में पत्नी, बच्चे हैं।'

उन्होंने कहा, 'मैं उनसे कहता हूं, पहले अपने घर की देखभाल करो क्योंकि जो घर नहीं संभाल सकता, वो देश नहीं संभाल पाएगा। ऐसे में पहले अपना घर संभालें, बच्चे और संपत्ति देखने के बाद ही पार्टी और देश के लिए काम करें।'

नागपुर से ताल्लुक रखने वाले नितिन गडकरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के करीबी हैं। उनके इस तरह के बयान से चुनावी मौसम में कई मायने निकाले जा रहे हैं। इसे इशारों-इशारों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार से भी जोड़कर देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री ना बनने की स्थिति में संघ 'प्लान बी' तैयार कर रहा है।

यह पहली बार नहीं है जब नितिन गडकरी ने मोदी सरकार के लिए मुश्किल बढ़ाई हो। गडकरी के तीखे बयान अक्सर सरकार के साथ-साथ बीजेपी आलाकमान के लिए परेशानी बढ़ाने वाले होते हैं।

आइए, जानते हैं नितिन गडकरी ने पिछले कुछ समय के दौरान सियासी संकट में डालने वाले कौन से 5 बड़े बयान दिए हैं-

 

मुंबई के कार्यक्रम में दिया था ये बयान

 

इससे पहले गडकरी ने मुंबई में एक कार्यक्रम में चुनावी वादों का जिक्र करते हुए कहा, 'सपने दिखाने वाले नेता लोगों को अच्छे लगते हैं, लेकिन दिखाए हुए सपने अगर पूरे नहीं किए तो जनता उनकी पिटाई भी करती है, इसलिए सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकते हैं। मैं सपने दिखाने वालों में से नहीं हूं, जो भी बोलता हूं वह डंके की चोट पर बोलता हूं।' हालांकि बाद में भाजपा नेता नरसिम्हा राव ने सफाई देते हुए कहा कि वह कांग्रेस के लिए ऐसा कह रहे थे।

इंदिरा गांधी की तारीफ की थी

इसी महीने 7 जनवरी को उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तारीफ करते हुए कहा था कि उन्हें अपनी क्षमता साबित करने के लिए किसी तरह के आरक्षण की जरूरत नहीं पड़ी और उन्होंने कांग्रेस के अपने समय के पुरुष नेताओं से बेहतर काम किया। भाजपा नेता ने कहा कि वह महिला आरक्षण के विरोधी नहीं हैं लेकिन धर्म एवं जाति आधारित राजनीति के खिलाफ हैं।

नेहरू पर दिया था बयान

पिछले वर्ष दिसंबर के अंतिम सप्ताह में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की जमकर तारीफ की थी। तब गडकरी ने कहा था, ‘मुझे याद है जवाहर लाल नेहरू कहते थे। भारत देश नहीं है। यह जनसंख्या है। इस देश का हर व्यक्ति देश के लिए प्रश्न है समस्या है। मुझे उनके भाषण मुझे बहुत पसंद है। समाजसेवी लोग बोलते हैं देश में ऐसा हो रहा है वैसा हो रहा है। समाज देश नहीं है क्या? समाज में अनेक व्यक्ति होते हैं। अनेक व्यक्तियों की गुणवत्ता मिलकर क्वालिटी रिफॉर्म जब आएगा तो समाज में गुणात्मक सुधार आएगा। देश में आएगा। सिस्टम को सुधारने के लिए दूसरे तरफ उंगली क्यों करते हैं। अपने तरफ क्यों नहीं करते।’

हार की जिम्मेदारी नेतृत्व की होती है

नवंबर-दिसंबर, 2018 में देश के पांच राज्यों में हुए चुनाव में बीजेपी की हार पर  गडकरी ने कहा, 'अगर मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं और मेरे सांसद-विधायक अच्छा काम नहीं कर रहे हैं तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? जाहिर है मैं।' दिल्ली में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सालाना लेक्चर कार्यक्रम में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि चुनाव में हार की जिम्मेदारी पार्टी नेतृत्व की होती है।

उन्होंने कहा था, ‘सफलता के कई दावेदार होते हैं लेकिन विफलता में कोई साथ नहीं होता। सफलता का श्रेय लेने के लिए लोगों में होड़ रहती है लेकिन नाकामी को कोई स्वीकार नहीं करना चाहता, सब दूसरे की तरफ उंगली दिखाने लगते है।’ बाद में जब उनके बयान पर बखेड़ा खड़ा हुआ तो गडकरी ने इसके अगले ही दिन सफाई पेश करते हुए कहा कि उनकी कही बात को गलत तरीके से तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।

विजय माल्या को चोर कहना गलत

14 दिसंबर, 2018 को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गडकरी ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के पक्ष में बयान दिया था। उन्होंने कहा कि एक बार कर्ज नहीं चुका पाने वाले विजय माल्या को चोर कहना अनुचित है। उन्होंने कहा कि संकट से जूझ रहे उद्योगपति का चार दशक तक ठीक समय पर कर्ज चुकाने का रिकॉर्ड रहा है।

उन्होंने कहा कि 'माल्या 40 साल नियमित भुगतान करता रहा था, ब्याज भर रहा था। 40 साल बाद जब वो एविएशन में गया। उसके बाद वो अड़चन में आया तो वो एकदम से चोर हो गया? जो 50 साल ब्याज भरता है वो ठीक है, पर एक बार में वो डिफॉल्टर हो गया, तो तुरंत सब फ्रॉड हो गया? यह मानसिकता ठीक नहीं।'

नौकरियां कहां हैं

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में गडकरी ने रोजगार और आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया था। केंद्रीय मंत्री ने मराठा आंदोलन पर कहा था कि आरक्षण रोजगार देने की गारंटी नहीं है, क्योंकि नौकरियां कम हो रही हैं।

उन्होंने कहा कि आरक्षण तो एक 'सोच' है जो चाहती है कि नीति निर्माता हर समुदाय के गरीबों पर विचार करें। उन्होंने कहा, 'मान लीजिए कि आरक्षण दे दिया जाता है लेकिन नौकरियां नहीं हैं क्योंकि बैंक में आईटी (इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) के कारण नौकरियां कम हुई हैं। सरकारी भर्ती रूकी हुई है। नौकरियां कहां हैं?'

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