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मोदी के मन की बात, खेल-खिलाड़ियों के लिए बने सकारात्मक माहौल

देश में खेलकूद के समक्ष चुनौतियों को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खेल एवं खिलाड़ियों के प्रति सकारात्मक माहौल बनाने और रियो ओलंपिक के खिलाडि़यों को प्रोत्साहित करने की जरूरत बताई और कहा कि खेल को हार या जीत की कसौटी पर कसने की बजाए खेल भावना के साथ भारत दुनिया में अपनी पहचान बनाए। प्रधानमंत्री ने खेल मंत्री के रूप में सर्बानंद सोनोवाल के कार्यों की काफी प्रशंसा की।
मोदी के मन की बात, खेल-खिलाड़ियों के लिए बने सकारात्मक माहौल

 

आकाशवाणी पर प्रसारित मन की बात कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, जब भी ओलंपिक खेल आते हैं और जब खेल शुरू हो जाते हैं, तो फिर हम सर पटक के बैठते हैं, हम स्वर्ण पदक में कितने पीछे रह गए, रजत मिला की नहीं मिला, कांस्य पदक से काम चलाएं, ये बात होती है। उन्होंने कहा, ये बात सही है कि खेल-कूद में हमारे सामने चुनौतियां बहुत हैं, लेकिन देश में एक माहौल बनना चाहिए। मोदी ने कहा, रियो ओलंपिक के लिए पसंदगी के पात्र हमारे सभी खिलाडि़यों के प्रति हम लोग एक उमंग और उत्साह का माहौल बनाएं। हर चीज को जीत और हार की कसौटी से न कसा जाए। खेल भावना के साथ भारत दुनिया में अपनी पहचान बनाए। मैं देशवासियों से अपील करता हूं कि हमारे खेल जगत से जुड़े साथियों के प्रति उत्साह और उमंग का माहौल बनाने में हम भी कुछ करें।

उन्होंने कहा कि रियो ओलंपिक के लिए जाने वाले हमारे खिलाडि़यों को प्रोत्साहित करने का, उनका हौसला बुलंद करने की, हर किसी को अपने-अपने तरीके से पहल करनी चाहिये। कोई गीत लिखे, कोई कार्टून बनाए, कोई शुभकामना संदेश दे, कोई किसी खेल को प्रोत्साहित करे, लेकिन पूरे देश को हमारे इन खिलाडि़यों के प्रति एक बड़ा ही सकारात्मक माहौल बनाना चाहिए। मोदी ने कहा,  परिणाम जो आएगा, सो आएगा। खेल है - खेल में जीत भी होती है, हार भी होती है, मेडल आते भी हैं, नहीं भी आते हैं, लेकिन हौसला बुलंद होना चाहिए।

खेल मंत्री के रूप में सर्बानंद सोनोवाल के कामकाज की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे खेल मंत्री सर्बानन्द सोनोवाल का काम मन को छू गया।

मोदी ने कहा, हम सब लोग गत सप्ताह असम में क्या परिणाम आएंगे, उसी में लगे थे और सर्बानन्द तो स्वयं असम के चुनाव का नेतृत्व कर रहे थे, मुख्यमंत्री के उम्मीदवार थे, लेकिन वे भारत सरकार के मंत्री भी थे और मुझे ये जब जानकारी मिली, तो बड़ी खुशी हुई कि वे असम चुनाव के परिणाम के पहले किसी को बताए बिना पंजाब के पटियाला पहुंच गए। प्रधानमंत्री ने कहा कि पटियाला स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स में ओलंपिक में जाने वाले हमारे खिलाडि़यों का प्रशिक्षण होता है। वे अचानक वहां पहुंच गए, खिलाड़ियों और खेल जगत के लिए आश्चर्यजनक था कि कोई मंत्री इस प्रकार से इतनी चिंता करे।

मोदी ने कहा कि खिलाडि़यों की क्या व्यवस्था है, खाने की व्यवस्था क्या है, आवश्यकता के अनुसार पोषक आहार मिल रहा है कि नहीं मिल रहा, उनके लिए जो आवश्यक प्रशिक्षण हैं, वैसे प्रशिक्षक हैं कि नहीं हैं। प्रशिक्षण में सारी मशीनें ठीक चल रही हैं कि नहीं, सारी बातें सर्बानंद ने बारीकी से देखीं। एक-एक खिलाड़ी के कमरे को जाकर देखा। खिलाडि़यों से विस्तार से बातचीत की, प्रबंधन से बात की, प्रशिक्षक से बात की, खुद खिलाडि़यों के साथ खाना भी खाया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनाव नतीजे आने वाले हों, मुख्यमंत्री के नाते नए दायित्व की संभावना हो, लेकिन फिर भी अगर मेरा एक साथी खेल मंत्री के रूप में इस काम की इतनी चिंता करे, तो मुझे आनंद आता है। हम सब इसी प्रकार से खेल के महत्व को समझों। खेल जगत के लोगों को प्रोत्साहित करें, हमारे खिलाडि़यों को प्रोत्साहित करें। जब खिलाड़ी को लगता है कि सवा-सौ करोड़ देशवासी उसके साथ खड़े हैं, तो उसका हौसला बुलंद हो जाता है।

उन्होंने कहा कि पिछली बार मैंने फीफा अंडर-17 विश्व कप फुटबाल के बारे में बातें की थी और मुझे जो सुझाव आए देश भर से, उसमें पाया कि फुटबॉल का एक माहौल पूरे देश में नजर आने लगा है। कई लोग आगे बढ़कर अपनी-अपनी टीमें बना रहे हैं। मोदी ने कहा कि नरेंद्र मोदी मोबाइल एप पर मुझे हजारों सुझाव मिले। बहुत लोग खेलते नहीं होंगे, लेकिन देश के हजारों--लाखों नौजवानों की खेल में इतनी रूचि देखना अपने-आप में मेरे लिए सुखद अनुभव था। क्रिकेट और भारत का लगाव तो हम जानते हैं, लेकिन फुटबॉल में भी इतना लगाव देखना ये अपने-आप में बड़े ही सुखद भविष्य का संकेत देता है।

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