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जानिए, क्या है 'ऑपरेशन लोटस' जिसकी कर्नाटक की राजनीति में हो रही है चर्चा

कर्नाटक की राजनीति में इन दिनों जोड़तोड़ की कवायद जोरों पर है। सत्तासीन कांग्रेस-जेडीएस और विपक्षी दल...
जानिए, क्या है 'ऑपरेशन लोटस' जिसकी कर्नाटक की राजनीति में हो रही है चर्चा

कर्नाटक की राजनीति में इन दिनों जोड़तोड़ की कवायद जोरों पर है। सत्तासीन कांग्रेस-जेडीएस और विपक्षी दल भाजपा एक दूसरे पर हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप लगा रहे हैं। दोनों ही पार्टियां अपने-अपने विधायकों को बचाने की कोशिशों में लगे दिखाई दे रहे हैं। इन राजनीतिक दलों के बड़े नेता बैंगलुरु से लेकर दिल्ली तक नाप रहे हैं। दरअसल, सत्ता पर बैठी पार्टी को ऑपरेशन लोटस का डर सता रहा है।

भाजपा नेता और राज्य के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा पर हमला करते हुए मौजूदा सीएम कुमारस्वामी ने कहा, 'इसमें कोई शक नहीं कि ऑपरेशन लोटस 3.0 शुरू हो चुका है। भाजपा हमारे विधायकों को लालच दे रही है। मुझे पता है कि कितना पैसा और गिफ्ट विधायकों को ऑफर किया जा रहा है। मुझे यह भी जानकारी है कि बीजेपी ने मुंबई में किसके नाम से कमरे बुक कराए थे।'

आखिर क्या है ऑपरेशन लोटस

2008 में कुल 224 सीटों में से भाजपा 110 सीटें पाकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी लेकिन बहुमत के जादुई आंकड़े (113) से तीन सीटें पीछे रह गई थी। उस दौरान कांग्रेस को 79 सीटें मिली थीं, जबकि जेडीएस 28 सीटों पर सिमट गई थी। उस परिस्थिति से निपटने के लिए और बहुमत पाने के लिए भाजपा ने 'ऑपरेशन लोटस' फॉर्मूले को बनाया। हालांकि शुरुआत में 'ऑपरेशन लोटस' भाजपा के चुनाव प्रचार का हिस्सा था, जिसमें घर-घर जाकर भाजपा की नीतियों के बारे में बात करना शामिल था। लेकिन बाद में इसका नाम जोड़-तोड़ करके सरकार बनाने से जुड़ गया और इसे 'ऑपरेशन लोटस' फॉर्मूला कहा जाने लगा।

इस फॉर्मूले के तहत कहा जाता है कि उस दौरान मुख्‍यमंत्री येदियुरप्‍पा ने धन-बल के दम पर विपक्षी कांग्रेस और जेडीएस विधायकों को तोड़ा। इस दौरान 2008-13 के बीच में इन दोनों दलों के करीब 20 विधायकों ने इस्‍तीफा देकर उपचुनाव लड़ा। नतीजतन बीजेपी को अपेक्षित बहुमत मिल गया।

इस बार फेल हुआ था आपरेशन लोटस

तमाम कोशिशों और हथकंडों के बावजूद भाजपा कर्नाटक विधान सभा के पटल पर बहुमत के लिए जरूरी विधायकों का आंकड़ा नहीं जुटा पाई थी। भाजपा के महज दिन के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा को विधान सभा में एक भावनात्मक भाषण के बाद मुख्यमंत्री पद से वोटों के बंटवारे के पहले ही इस्तीफा देना पड़ा।

क्या है कर्नाटक का समीकरण

225 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में अध्यक्ष सहित कांग्रेस के कुल 80 विधायक हैं। जेडीएस के 37 विधायक हैं। भाजपा के पास 104 विधायक हैं। संख्याबल के आधार पर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। लेकिन जेडीएस के कांग्रेस के साथ जाने के चलते बीजेपी राज्य में सरकार बनाने से चूक गई।

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