कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने बुधवार को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर ‘एंटी नेशनल’ (राष्ट्र विरोधी) होने का आरोप लगाया और कहा कि आम आदमी पार्टी के साथ लोकसभा चुनाव में गठबंधन करना उनकी पार्टी की एक भूल थी, जिसे सुधारना जरूरी है।
आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा एक ‘श्वेत पत्र ‘ जारी किए जाने के मौके पर कांग्रेस के कोषाध्यक्ष ने संवाददाताओं से यह भी कहा कि दिल्ली की दुर्दशा और यहां उनकी पार्टी की कमजोर होने की एक बड़ी वजह, कांग्रेस का 10 साल पहले केजरीवाल के नेतृत्व वाली पहली सरकार को समर्थन देना था। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह उनके निजी विचार हैं।
उन्होंने केजरीवाल की घोषणाओं का हवाला देते हुए कहा, ‘केजरीवाल को अगर एक शब्द में परिभाषित किया जा सकता है तो वह शब्द है ‘फर्जीवाल’। इस व्यक्ति की घोषणाएं सिर्फ फर्जीवाड़ा हैं, उसके अलावा और कुछ नहीं हैं।’
माकन ने कहा कि अगर वह (केजरीवाल) इतने गंभीर हैं तो पंजाब में इन कामों को करके दिखाएं क्योंकि वहां तो कोई उपराज्यपाल भी नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि वह फर्जी वादे करके लोगों को क्यों गुमराह कर रहे हैं?
माकन ने कहा, ‘हमारी पार्टी में सभी को अपने अपने विचार रखने की आजादी है। जहां तक केजरीवाल के बारे में मेरे विचार हैं तो आप (पत्रकार) लोगों से बेहतर कोई नहीं जानता। मेरा मानना है कि दिल्ली की आज जो दुर्दशा है और कांग्रेस इतनी कमजोर हुई है, तो इसकी वजह यह है कि 2014 में हमने उनका 40 दिनों के लिए समर्थन किया था। दिल्ली की दुर्दशा का एक सबसे बड़ा कारण यही है।’
माकन ने कहा, ‘ मेरा मानना है कि दोबारा गठबंधन (लोकसभा चुनाव में) करके एक भूल हुई है और उसे सुधारना जरूरी है। मैं कभी भी इस बात का पक्षधर नहीं रहा हूं कि केजरीवाल जैसे व्यक्ति पर भरोसा किया जाए।’
उन्होंने दावा किया कि केजरीवाल राजनीति में अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं तथा इनकी कोई विचारधारा और कोई सोच नहीं है।
माकन ने दावा किया कि केजरीवाल सामान नागरिक संहिता, अनुच्छेद 370 और संशोधित नागरिकता कानून के मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी के रुख के साथ खड़े नजर आए। उन्होंने आरोप लगाया, ‘वह ‘एंटी नेशनल’ हैं, उनकी कोई विचारधारा नहीं है सिवाय अपनी निजी महत्वाकांक्षा के। ‘
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘केजरीवाल की पार्टी का जन्म लोकपाल और जन लोकपाल के लिए हुआ था। सरकार बनने के बाद तो वह कई बार धरने पर बैठे हैं । लेकिन क्या वह एक बार भी लोकपाल या जन लोकपाल के लिए धरने पर बैठे? वह जन लोकपाल कहां है ? अब तो उसकी चर्चा भी नहीं होती।’
 
                                                 
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    