तमिलनाडु के करूर में शनिवार रात हुई भीषण भगदड़ में राजनीतिक प्रचार और सार्वजनिक सुरक्षा के सवालों को एक साथ उठा दिया। अभिनेता-राजनेता थलापथी विजय के नेतृत्व में आयोजित किए गए तमिळागा वेत्ति काझागम के रैली-इवेंट में भीड़ बेकाबू हो गई और आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार सरकारी अस्पतालों में 39 शव लाए गए हैं; इनमें से 38 की पहचान कर ली गई और पोस्ट-मार्टम की प्रक्रिया जारी हैं, जबकि घायल दर्जनों अस्पताल में भर्ती हैं और कुछ की हालत नाजुक बताई जा रही है। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि कुल 39 शव सरकारी अस्पताल पहुंचे और अब तक 31 पर पोस्ट-मार्टम हो चुके हैं; फिलहाल 2 लोगों की स्थिति गंभीर है।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस के अनुसार घटना शनिवार की शाम तब हुई जब बड़ा जनसमूह थके-हारे और लंबे समय तक इंतजार के बाद रैली स्थल पर जमा था। यहां भीड़ अनियंत्रित हो गई। अधिकारियों ने बताया कि घटना रैली के समय विजय के मंच से संबोधित करने के दौरान सामने आई। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि कलाकार-नेता के देरी से पहुंचने तथा गर्मी और भीड़-वृद्धि के कारण हालात बिगड़े। कई समाचार एजेंसियों ने भीड़ के अचानक बढ़ने और लोगों के बेहोश होने को घटना के अहम कारण के रूप में बताया है।
घटना के तुरंत बाद राज्य सरकार और प्रशासनिक मशीनरी सक्रिय हो गई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सचिवालय में उच्च अधिकारियों की बैठक बुलाई और घटनाक्रम की जाँच के आदेश दिए; उन्होंने मृतकों के परिजनों के लिए 10-10 लाख रुपये और घायल लोगों के लिए 1-1 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने एक न्यायिक जांच आयोग गठित करने के भी निर्देश दिए। इस आयोग का नेतृत्व सेवानिवृत्त न्यायाधीश अरुणा जगदीशेन करेंगी और आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट माँगी और केंद्रीय स्तर से हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया गया।
घायलों और शवों का प्रबन्ध कर रहे करूर-सरकारी अस्पताल तथा क्षेत्रीय स्वास्थ्य अधिकारीयों ने बताया कि मरीजों को भरपूर ऑक्सीजन और दवाइयाँ उपलब्ध कराई जा रही हैं और ऐसे-ऐसे संसाधन दूसरे जिलों से भी मंगाए गए हैं। चिकित्सा शिक्षा निदेशिका की निदेशक डॉ. सुगंथि राजकुमारी ने बताया कि अस्पताल में कुल 39 शव पहुँचे, 31 का पोस्ट-मार्टम किया जा चुका है और कुछ घायलों की हालत गंभीर बनी हुई है। इलाज के लिए पड़ोसी जिलों से भी विशेषज्ञ और स्टाफ मदद पर भेजे गए हैं। जिलाधिकारी एस. सरवनन ने कहा कि अब तक 14 शव परिजनों को सौंपे जा चुके हैं और एक महिला की पहचान अभी अधूरी है। उसकी पहचान के बाद ही शव सौंपने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
घटना के बाद राज्य के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन (जो अपने विदेशी दौरे से लौटकर करूर पहुँचे) ने मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की और घायल मरीजों से मिलने अस्पताल का दौरा किया; उन्होंने बताया कि जांच आयोग आज ही बनेगा, आयोग प्रभावित लोगों से बात करके अपनी रिपोर्ट सौंपेगा और मुख्यमंत्री रिपोर्ट के आधार पर उपयुक्त कदम उठाएंगे।
उदयनिधि ने यह भी कहा कि पास-पड़ोसी जिलों से 345 से अधिक डॉक्टर और नर्स तैनात किए गए हैं ताकि इलाज-उपचार में कमी न रहे। उन्होंने सरकार की ओर से पीड़ितों को पूरा सहयोग देने और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के कदम उठाने का आश्वासन दिया।
कानूनी कार्रवाई भी तेज़ी से हुई: स्थानीय पुलिस ने रैली के आयोजकों और TVK के कुछ नेता-कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है और कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों तथा आयोजकों को नामजद किया गया है; समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोजक-समूह के कई पदाधिकारियों को सुरक्षा उल्लंघन और लापरवाही से जुड़ी संगीन धाराओं के तहत तलब किया जा सकता है। पुलिस ने यह भी कहा है कि घटना के पूरे सच का पता लगाने के लिए विशेष जांच शुरू की जाएगी और अगले कदमों में आयोजकों की भूमिका की पड़ताल भी शामिल होगी।
राष्ट्रीय और क्षेत्रीय नेताओं ने एक स्वर में दुख और सहानुभूति व्यक्त की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कई राज्यों के मुख्यमंत्री, केरल के पिनारयी विजयन, झारखंड के हेमंत सोरेन, उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शोक व्यक्त कर परिजनों को सांत्वना दी और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की।
अमित शाह ने तमिलनाडु के राज्यपाल और मुख्यमंत्री से बात कर केंद्रीय मदद का आश्वासन दिया और गृह मंत्रालय ने भी राज्य से रिपोर्ट का अनुरोध किया। विपक्ष और अन्य पार्टियों ने भी उपलब्ध मदद को त्वरित रूप से जुटाने की अपील की।
स्थानीय हालात में शोक-लहर और रोष दोनों दिखाई दिए। करूर जिले के व्यापारिक संगठन ने रविवार (आज) के लिए बंद का ऐलान करके शोक अनुभूत कराया; वहीं सोशल मीडिया पर कुछ वायरल वीडियो और क्लिपों ने घटनाक्रम के माहौल और आयोजकों की तैयारी पर सवाल खड़े कर दिए। कुछ क्लिपों में यह दावा किया गया कि रैली के दौरान कुछ वक्त ऐसा भी दिखा जब मदद के प्रयास चल रहे थे और आयोजक-मंच पर गतिविधियाँ संचालित थीं, जिससे निएज या देरी-प्रबंधन को लेकर पोस्ट-फैक्टम बहस तेज हुई।
प्रशासन ने कहा कि वीडियो-वायरल की सत्यता और संदर्भ की जाँच की जाएगी, पर सामान्य तौर पर विशेषज्ञ यह मानते हैं कि बड़े जनसभाओं में समयबद्ध प्रवेश-नियंत्रण, पैनल-मैनेजमेंट और तात्कालिक चिकित्सा सहायता का समुचित इंतजाम न होने पर ऐसे हादसे विकसित हो जाते हैं।
रैली-आयोजन के इतिहास और ऐसे सार्वजनिक कार्यक्रमों में सुरक्षा-प्रावधानों पर भी सवाल उठे हैं। पिछले कुछ दिनों में TVK के कई आयोजनों में भीड़-व्यवस्था को लेकर प्रशासन ने निर्देश दिए थे और कुछ स्थानों पर आयोजकों के खिलाफ पहले से ही मामले दर्ज हुए हैं। करूर घटना के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि आयोग की रिपोर्ट में आयोजकों, स्थानीय प्रशासन और पुलिस की भूमिका की निष्पक्ष जाँच होगी और आवश्यक सख्त अनुशासनात्मक तथा दण्डात्मक कार्रवाई सुझाई जाएगी ताकि भविष्य में ऐसे जन-जमाव में मौतों का खतरा कम किया जा सके।
अंततः यह एक राष्ट्रीय-स्तर की चेतावनी भी है: चुनावी और प्रचारात्मक सभाओं में जनसमूहों की संख्या और भावनात्मक-ऊर्जा उच्च रहती है, पर छोटे-छोटे प्रबंधनात्मक चूकें बड़े नुकसान में बदल सकती हैं। करूर में जो हुआ उससे न सिर्फ करूर-वासी बल्कि तमिलनाडु और देश भर के नागरिकों को यह देखना होगा कि भविष्य में सार्वजनिक सुरक्षा के मानक कैसे सख्त और लागू किए जाएँ।
फिलहाल करूर में शोक की प्रक्रिया चल रही है, शवों की अंतिम पहचान और हस्तांतरण का काम पूरा किया जा रहा है, घायलों का इलाज जारी है और आयोग-जांच की रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि किस पर क्या कार्रवाई होती है। राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि वे रिपोर्ट के अनुसार कड़े कदम उठाएँगे।