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इको फ्रेंडली शादी से लेकर सियासत तक, भाजपा को मात देने वाली सौम्या की कहानी

कर्नाटक के जयानगर विधानसभा सीट के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस को बड़ी कामयाबी मिली है। जयानगर सीट पर...
इको फ्रेंडली शादी से लेकर सियासत तक, भाजपा को मात देने वाली सौम्या की कहानी

कर्नाटक के जयानगर विधानसभा सीट के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस को बड़ी कामयाबी मिली है। जयानगर सीट पर कांग्रेस की सौम्या रेड्डी ने भाजपा के बीएन प्रहलाद को लगभग चार हजार वोटों के अंतर से हराया है। सौम्या रेड्डी को 54,045 वोट मिले, जबकि भाजपा के बीएस प्रह्लाद को 50,270 वोट मिले हैं।

कौन हैं सौम्या?

छह बार से विधायक और राज्य के गृहमंत्री रामलिंगा रेड्डी की बेटी हैं सौम्या रेड्डी। वे पहली बार चुनाव लड़ी थीं, यानी जीत के साथ राजनीति में उनका पदार्पण हुआ है। हालांकि इस सीट से चुनाव लड़ना सौम्या के लिए इतना आसान नहीं था। इसके लिए पहले उन्हें पार्टी के भीतर ही लड़ाई लड़नी पड़ी। यह लड़ाई वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के रहमान खान से थी। वह भी अपने बेटे मंसूर अली खान के लिए यह सीट कांग्रेस आलाकमान से मांग रहे थे।

इको फ्रेंडली शादी से मिली सुर्खियां

सियासी हस्ती से कहीं ज्यादा सौम्या की पहचान पर्यावरण कार्यकर्ता के रूप में है। साल 2015 में जब उनकी शादी हुई तो उनकी 'इको फ्रेंडली' शादी को भरपूर चर्चा मिली थी। उनकी शादी में प्रदूषण और अपशिष्ट की जगह हरियाली देखने को मिली। सौम्या पशुअधिकार के लिए भी काम करती हैं। उन्होंने फैसला किया कि उनकी शादी पर्यावरण संरक्षण के लिए आदर्श होगी।

उन्होंने यहां पहला कदम उठाया कि उनकी शादी में जीरो-अपशिष्ट होगा। इसलिए, उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षित अपशिष्ट-पिकर्स के बैंगलोर स्थित संगठन 'हसीरू दाला' के 150 से अधिक  सदस्यों को तैनात किया।

इस शादी में सजावट, भोजन और उपहार सभी चीजों को पर्यावरण के अनुकूल योजनाबद्ध रुप से तैयार किया गया था। सौम्या शाकाहारी है, इसके मुताबिक ही मेनू डिजाइन किया गया था। यूं तो घी, या दही जैसे दूध उत्पादों का उपयोग कैटरर्स द्वारा किया जाता था। लेकिन इसके बजाय यहां नारियल का रस, सोया बीन दूध, और सोया बीन दही उपयोग में लाया गया। अगर कोई रिसेप्शन पर कॉफी या चाय चाहता था, तो उन्हें सोया बीन दूध से बना हुआ दिया गया।

सजावट में पेपर से बने फूल शामिल थे। इसके अलावा  मेहमानों को उपहार में पौधे दिए गए। इसके लिए बैंगलोर में सरकारी नर्सरी से 5,000 से अधिक पौधे खरीदे गए थे।

यहां तक कि निमंत्रण कार्ड भी रीसाइक्लिंग पेपर से बने थे या ईमेल किए गए थे।

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