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जेपी नड्डा बने भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष, संसदीय बोर्ड की मीटिंग में फैसला

जगत प्रकाश नड्डा (जेपी नड्डा) को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया। भाजपा की...
जेपी नड्डा बने भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष, संसदीय बोर्ड की मीटिंग में फैसला

जगत प्रकाश नड्डा (जेपी नड्डा) को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया। भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक में यह फैसला हुआ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी जानकारी देते हुए कहा, भाजपा ने अमित शाह जी के नेतृत्व में कई चुनाव जीते। लेकिन चूंकि प्रधानमंत्री ने उन्हें गृह मंत्री नियुक्त किया है, अमित शाह जी ने खुद कहा कि पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी अन्य व्यक्ति को दी जाए। इसलिइए संसदीय बोर्ड ने जेपी नड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष चुना है। हालांकि अमित शाह अगले लगभग 6 महीने तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे। उनके मार्गदर्शन में जेपी नड्डा कामकाज संभालेंगे।  

जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश के कद्दावर भाजपा नेता माने जाते हैं। 2014 में मोदी सरकार में उन्हें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का जिम्मा मिला था। इस बार 2019 में उन्हें मंत्री पद नहीं दिया गया, जिसके बाद कयास लगाया जा रहा था कि वह अगले भाजपा अध्यक्ष हो सकते हैं।

कौन हैं जेपी नड्डा

जेपी नड्डा का जन्म 2 दिसंबर, 1960 को बिहार के पटना में हुआ था। उन्होंने पटना के कॉलेज से स्नातक किया है और हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री हासिल की है। नड्डा के पिता नारायण लाल नड्डा पटना विश्वविद्यालय के कुलपति थे।

छात्र राजनीति से शुरुआत

जिस वक्त बिहार में स्टूडेंट मूवमेंट चरम पर था, उस दौर में जेपी नड्डा की उम्र 15-16 साल थी। मगर इसी उम्र में नड्डा ने इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसके बाद वह छात्र राजनीति में सक्रिय हुए और एबीवीपी के साथ जुड़े। 1977 में छात्र संघ चुनाव में वह पटना यूनिवर्सिटी के सेक्रेटरी चुने गए। 13 सालों तक वह विद्यार्थी परिषद में ऐक्टिव रहे।

हिमाचल यूनिवर्सिटी छात्र संघ के बने अध्यक्ष

नड्डा को साल 1982 में उनके पैतृक राज्य हिमाचल प्रदेश में विद्यार्थी परिषद का प्रचारक बना कर भेजा गया। इसके साथ ही उन्होंने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई भी शुरू की। तेज तर्रार जेपी नड्डा हिमाचल के उस दौर के छात्रों में काफी लोकप्रिय हुए। नड्डा के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली बार छात्र संघ चुनाव हुआ और उसमें विद्यार्थी परिषद को संपूर्ण जीत हासिल हुई। उस दौर में वह 1983-1984 में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में विद्यार्थी परिषद के पहले अध्यक्ष बने। 1986 से 1989 तक नड्डा विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव रहे।

बिलासपुर से जीते विधानसभा का पहला चुनाव

1993 में नड्डा ने चुनावी राजनीति की तरफ रुख किया और अपने पहले ही चुनाव में हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बिलासपुर के विधायक के रूप में कदम रखा। इस चुनाव में पार्टी के प्रमुख नेताओं की हार के कारण नड्डा को विधानसभा में विपक्ष का नेता चुना गया। 1998 में हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने पर नड्डा ने स्वास्थय मंत्रालय का कार्यभार संभाला। बाद में 2007 की बीजेपी सरकार में नड्डा वन पर्यावरण और संसदीय मामलों के मंत्री रहे। नड्डा को संगठन का आदमी माना जाता है इसलिए नड्डा ने मंत्रालय से इस्तीफा दिया और राष्ट्रीय टीम का रुख किया। वह नितिन गडकरी की टीम में राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता रहे।

लो प्रोफाइल रहकर करते हैं संगठन का काम

राजनाथ सिंह जब राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तब उन्हें दोबारा राष्ट्रीय महासचिव चुना गया। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान संगठन की जिम्मेदारी संभालने से लेकर और भी कई काम उन्होंने बखूबी निभाए। टिकट आवंटन के समय भी उनकी योग्यता पार्टी के काम आई। खास बात यह रही कि वह किसी भी खेमे से नहीं जुड़े और बीजेपी का हर धड़ा उनकी संगठन शक्ति को मानता है। लो-प्रोफाइल रहने वाले नड्डा को बीजेपी के लगभग सभी बड़े नेताओं का समर्थन हासिल है।

पीएम मोदी-अमित शाह की गुड बुक में शामिल 

नड्डा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की गुड बुक में शामिल हैं। एक अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मोदी जब हिमाचल प्रदेश के प्रभारी थे, तब से मोदी और नड्डा के बीच समीकरण काफी अच्छा है। दोनों अशोक रोड स्थित बीजेपी मुख्यालय में बने आउट हाउस में रहते थे। जब अमित शाह जनरल सेक्रेटरी थे तब नड्डा पार्टी की यूथ विंग भारतीय जनता युवा मोर्चा में काम कर चुके हैं।

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